पूर्व PM, CJI और लोक सभा अध्यक्षों को मिले आजीवन सरकारी आवास- AIBA ने PM मोदी से की मांग

टेन न्यूज़ नेटवर्क

New Delhi News (10/07/2025): ऑल इंडिया बार एसोसिएशन (All India Bar Association) के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आदीश सी. अग्रवाला (Dr Adish C. Aggarwala) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखकर एक अहम मांग रखी है। उन्होंने अनुरोध किया है कि पूर्व प्रधानमंत्रियों, लोकसभा अध्यक्षों और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को आजीवन सरकारी आवास सुविधा देने के लिए केंद्र सरकार को विधेयक लाना चाहिए।

यह मांग हाल ही में पूर्व सीजेआई डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ (D.Y. Chandrachud) को सेवानिवृत्ति के बाद आवास संबंधी कठिनाइयों के संदर्भ में की गई है। उन्हें छह माह तक टाइप-VII किराया मुक्त आवास की अनुमति मिली थी, परंतु वैकल्पिक निजी आवास न मिल पाने के कारण उन्हें अधिकृत बंगले (5, कृष्ण मेनन मार्ग) में रहने की अवधि बढ़वानी पड़ी। इसके कारण उनके उत्तराधिकारी जस्टिस संजीव खन्ना और फिर वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई को भी अधिकृत सरकारी आवास न मिलने की समस्या से जूझना पड़ा।

पत्र में डॉ. अग्रवाला ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को आजीवन आवास सुविधा देने वाले प्रावधानों – राष्ट्रपति वेतन और पेंशन अधिनियम, 1951 की धारा 2(क) और उपराष्ट्रपति पेंशन अधिनियम, 1997 की धारा 2(क) – का हवाला देते हुए समान कानून की मांग की है। उनका कहना है कि न्यायपालिका देश के तीन स्तंभों में से एक है और पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को भी समान गरिमा व सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि अधिकांश मुख्य न्यायाधीशों का कार्यकाल बहुत कम समय का होता है – कभी-कभी महज कुछ माह – जिससे उनके पास सेवानिवृत्ति के बाद आवास व्यवस्थित करने के लिए समय और संसाधन सीमित होते हैं।

पत्र में यह भी कहा गया कि वर्तमान में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष को पांच वर्षों का कार्यकाल और दोबारा नियुक्ति की संभावना रहती है, लेकिन मुख्य न्यायाधीशों को वरिष्ठता के आधार पर सीमित अवधि के लिए नियुक्त किया जाता है।

डॉ. अग्रवाला ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि लोकतंत्र के तीनों स्तंभों – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – को बराबरी का सम्मान देते हुए यह विधेयक लाया जाए, ताकि देश की न्याय व्यवस्था के सर्वोच्च पद पर आसीन हुए लोगों को मर्यादा और गरिमा के साथ जीवनयापन की सुविधा मिल सके।

यह कदम न केवल व्यावहारिक समस्याओं का समाधान करेगा, बल्कि संवैधानिक पदों के प्रति राष्ट्र की श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक भी बनेगा।।


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