दिल्ली विधानसभा चुनाव: आप-कांग्रेस में दूरी और ओवैसी की एंट्री से बदले सियासी समीकरण! | टेन न्यूज की विशेष रिपोर्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

दिल्ली (21 दिसंबर 2024): दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) जैसे प्रमुख दल अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतर चुके हैं। सत्तारूढ़ आप और भाजपा जहां सीधी टक्कर में हैं, वहीं कांग्रेस को कई स्तरों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

आप और कांग्रेस में टकराव जारी

इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच दिल्ली चुनावों में कोई सामंजस्य नहीं दिख रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी सभी 70 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। वहीं, कांग्रेस ने भी अपनी 21 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस की बजाय आप को समर्थन देने की घोषणा की है, हालांकि दिल्ली में सपा का कोई ठोस जनाधार नहीं है।

लोकसभा चुनाव से सबक

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आप ने गठबंधन कर सभी सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन दोनों पार्टियां एक भी सीट नहीं जीत सकीं। इसी अनुभव के चलते आप ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन न करने का फैसला लिया है।

कांग्रेस के सामने कठिन हालात

2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था। पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इस बार भी कांग्रेस को भाजपा और आप जैसी मजबूत पार्टियों के खिलाफ संघर्ष करना पड़ेगा। प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने न्याय यात्रा के जरिए जनता को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन बड़े नेताओं की उदासीनता के कारण इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।

Devender Yadav, Congress, Delhi Congress
Devender Yadav (Delhi Congress President)

ओवैसी की पार्टी से कांग्रेस को चुनौती

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली चुनावों में कम से कम एक दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। खासकर मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर ओवैसी की पार्टी सक्रिय है। दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को उम्मीदवार बनाकर उन्होंने बड़ा सियासी दांव खेला है। ताहिर पहले आप के पार्षद रह चुके हैं, लेकिन 2020 के दंगों में नाम आने के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष

दिल्ली में मुस्लिम वोटरों की संख्या लगभग 15 प्रतिशत है। मुस्तफाबाद, ओखला, सीलमपुर, मटिया महल और बल्लीमारान जैसी सीटें मुस्लिम बाहुल्य हैं। ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवारों की वजह से इन सीटों पर मुस्लिम वोट कांग्रेस, आप और एआईएमआईएम के बीच बंट सकते हैं, जिसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है।

भाजपा के लिए रणनीतिक लाभ

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ओवैसी की एंट्री से भाजपा को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा। मुस्लिम वोटों का बंटवारा विपक्षी दलों की ताकत को कमजोर कर सकता है। वहीं, आप और कांग्रेस के अलग-अलग चुनाव लड़ने से भाजपा की स्थिति और मजबूत हो सकती है।

Virendra Sachdeva, Delhi BJP President

दिल्ली चुनाव पर सबकी नजर

दिल्ली में विधानसभा चुनाव हमेशा से सियासी दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल रहा है। आम आदमी पार्टी जहां तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में है, वहीं भाजपा और कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पाने की रणनीति पर काम कर रही हैं। एआईएमआईएम की सक्रियता ने इन चुनावों को और रोचक बना दिया है। ऐसे में देखना होगा कि दिल्ली की जनता किसे अपना समर्थन देती है।।

रंजन अभिषेक (टेन न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली)


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