पैरोल पर निकला सीरियल किलर सोहराब फरार, पूर्व सांसद के नाती की हत्या का आरोपी

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (06 जुलाई 2025): तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा कुख्यात अपराधी और सीरियल किलर सोहराब तीन दिन की पैरोल पर बाहर निकलने के बाद फरार हो गया है। जेल से रिहा होने के बाद उसे अपनी पत्नी से मिलने लखनऊ जाना था और फिर नियत समय पर तिहाड़ लौटना था, लेकिन वह वापिस नहीं लौटा। अब इस फरारी से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए तिहाड़ प्रशासन ने तुरंत लखनऊ पुलिस को सूचित किया और दोनों शहरों की पुलिस संयुक्त रूप से उसकी तलाश में जुट गई है।

मामला इसलिए और भी खतरनाक बन गया है क्योंकि सोहराब कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि एक खूंखार सीरियल किलर है। उसने समाजवादी पार्टी के शासनकाल में लखनऊ के सआदतगंज इलाके में पूर्व सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के नाती की हत्या करवाने की साजिश जेल से बैठकर रची थी। वह उस समय भी जेल में बंद था, लेकिन पूरी साजिश खुद बनाकर हत्या को अंजाम दिलवाया। इसके अलावा वह लखनऊ के अमीनाबाद इलाके में भाजपा पार्षद पप्पू पांडे की हत्या के मामले में भी आरोपी है। सोहराब ने एक शूटर को सुपारी दी थी, जिसने पार्षद की हत्या की। इन दो वारदातों से ही स्पष्ट है कि सोहराब का आपराधिक नेटवर्क जेल के अंदर से भी सक्रिय रहता है।

सोहराब के खौफनाक अतीत की जड़ें साल 2005 की एक पारिवारिक त्रासदी से जुड़ी हैं, जब उसके छोटे भाई शहजादे की लखनऊ के हुसैनगंज में हत्या कर दी गई थी। इस हत्या ने सोहराब और उसके भाइयों सलीम और रुस्तम के भीतर बदले की आग भड़का दी। इसके एक साल बाद रमज़ान के दौरान ईद के दिन तीनों भाइयों ने अपने भाई के हत्यारों को मार डाला। हत्या से पहले सोहराब ने लखनऊ के तत्कालीन एसएसपी को फोन करके कहा था – “अपने भाई की मौत का बदला लेने जा रहा हूं, रोक सको तो रोक लो।” इसके बाद तीनों भाइयों ने सरेआम दिनदहाड़े तीन लोगों की हत्या कर दी थी।

ऐसे खूंखार और पूर्व में खुलेआम पुलिस को चुनौती देने वाले अपराधी को पैरोल देने के फैसले पर अब सवाल उठने लगे हैं। तीन दिन की पैरोल खत्म होने के बाद जब सोहराब तिहाड़ नहीं लौटा, तो अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए। जेल प्रशासन ने सबसे पहले लखनऊ पुलिस से संपर्क किया और दोनों शहरों में संभावित ठिकानों पर छापेमारी शुरू हो गई है। दिल्ली पुलिस भी अब इस पूरे मामले की निगरानी कर रही है।

सोहराब की फरारी का मतलब सिर्फ कानून तोड़ना नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाना है। जब एक ऐसा अपराधी, जिसने जेल में रहकर भी हत्याएं करवाईं, बाहर निकलकर फरार हो जाए, तो यह न सिर्फ प्रशासनिक विफलता है बल्कि जनता की सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने पूरे उत्तर भारत में अलर्ट जारी कर दिया है और हरसंभव कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द सोहराब को दोबारा हिरासत में लिया जा सके।

फिलहाल, जेल प्रशासन ने मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारियों को भेज दी है। दिल्ली पुलिस ने सोहराब पर फरारी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है और उसके रिश्तेदारों, पुराने साथियों और आपराधिक नेटवर्क से जुड़े लोगों से पूछताछ शुरू कर दी गई है। इस पूरी घटना ने न केवल जेल प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे एक अपराधी की पहुंच जेल की दीवारों से भी बाहर होती है।

देशभर में अलर्ट के बावजूद फिलहाल सोहराब का कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस और जांच एजेंसियां लगातार उसकी तलाश में लगी हैं। प्रशासन की कोशिश है कि जल्द से जल्द उसे गिरफ्तार कर कानून के हवाले किया जाए, ताकि एक बार फिर वह समाज के लिए खतरा न बन सके। लेकिन सवाल यह भी है कि ऐसे खूंखार अपराधियों को पैरोल देने से पहले क्या पर्याप्त सतर्कता बरती जाती है? अब यह जांच का विषय बन चुका है।


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