सुप्रीम कोर्ट का फैसला: एनटीबीसीएल को टोल वसूलने का अधिकार अवैध, समझौता अनुच्छेद 14 का उल्लंघन

टेन न्यूज नेटवर्क

नोएडा (20 दिसंबर, 2024): सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा टोल कंपनी (एनटीबीसीएल) से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाते हुए टोल वसूली को अवैध करार दिया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्णय लिया कि नोएडा अथॉरिटी ने एनटीबीसीएल को टोल वसूलने का अधिकार सौंपकर अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है और यह प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

जनहित याचिका पर विचार

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जनहित याचिका में सख्त मापदंड नहीं लगाए जा सकते, क्योंकि यह एक कल्याणकारी समाज का हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि देरी और अन्य प्रक्रियात्मक खामियों के बावजूद, इस याचिका को सुनवाई योग्य माना गया।

रियायत समझौते पर सवाल

कोर्ट ने कहा कि रियायत समझौता पूरी तरह अनुचित और मनमाना था। एनटीबीसीएल के चयन में किसी भी अन्य इच्छुक कंपनी से प्रतिस्पर्धात्मक बोली नहीं ली गई थी। यह प्रक्रिया अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

सीएजी रिपोर्ट पर निष्कर्ष

सीएजी रिपोर्ट के हवाले से कोर्ट ने कहा कि परियोजना लागतों में अत्यधिक बढ़ोतरी की गई और यह उपयोगकर्ताओं पर अनुचित आर्थिक बोझ डालने जैसा है। कोर्ट ने यह भी पाया कि रियायत समझौते की भाषा ऐसी थी, जिससे एनटीबीसीएल को लाभ मिलता रहा, जबकि आम जनता को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

निर्णय के मुख्य बिंदु

1. टोल वसूली का अधिकार अवैध: एनटीबीसीएल को दिया गया टोल वसूलने का अधिकार नोएडा के अधिकार क्षेत्र से बाहर था।

2. रियायत समझौता अनुचित: समझौते की शर्तें मनमानी थीं और इसका उद्देश्य एनटीबीसीएल को लाभ पहुंचाना था।

3. सार्वजनिक धन की सुरक्षा: कोर्ट ने कहा कि सरकारी नीतियों की न्यायिक समीक्षा जरूरी है, खासकर जब इसमें जनता के करदाताओं का पैसा शामिल हो।

4. आउटडोर विज्ञापन पर टिप्पणी नहीं: कोर्ट ने कहा कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एनटीबीसीएल द्वारा टोल वसूली अब जारी नहीं रहेगी। इस फैसले को जनता के हित में एक बड़ी जीत माना जा रहा है।

 


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