ग्रेटर नोएडा (30 जून 2025): साइबर ठगों ने एक बार फिर शातिराना अंदाज़ में धोखाधड़ी की घटना को अंजाम दिया है। वायरलेस विभाग से सेवानिवृत्त एक बुजुर्ग अधिकारी (Retired Senior Officer) को फर्जी तरीके से मनी लॉन्ड्रिंग (मनी Laundering) और ड्रग्स केस (Drugs Case) में फंसाने की धमकी देकर 24.5 लाख रुपये की ठगी कर ली गई। ठगों ने पीड़ित को छह दिनों तक तथाकथित डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) में रखकर मानसिक दबाव (Mental Pressure) में रखा और बार-बार पैसों की मांग की।
कॉल आई, आधार का दुरुपयोग बताया
सेक्टर-82 निवासी 70 वर्षीय सुखदास, जो वायरलेस विभाग से रिटायर (Retire) हैं और अकेले रहते हैं, ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि जून के दूसरे सप्ताह में उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर (Unknown Number) से कॉल आई। कॉलर ने खुद को दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) का अधिकारी बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड (Aadhar Card) का दुरुपयोग कर कई मोबाइल सिम कार्ड जारी किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल बैंक खाते खोलने में हुआ है। इसके अलावा बताया गया कि इन खातों और सिम का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराधों में किया गया है।
ड्रग्स से जुड़ा पार्सल और गिरफ्तारी की धमकी
ठग यहीं नहीं रुके, उन्होंने पीड़ित को डराया कि उनके नाम और पते से एक पार्सल (Parcel) भेजा गया है जिसमें ड्रग्स और संदिग्ध सामग्री बरामद हुई है। पीड़ित को यह भी कहा गया कि अब यह मामला CBI के पास भेजा जा रहा है और उनकी तत्काल गिरफ्तारी हो सकती है। कॉल को फिर कथित पुलिस अधिकारी से जोड़ दिया गया, जिसने कहा कि मामले की जांच संवेदनशील है और अगर वे डिजिटल प्रक्रिया से सहयोग करते हैं, तो उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा।
‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखकर मनोवैज्ञानिक दबाव (Psychological Pressure)
इसके बाद सुखदास को छह दिनों तक वीडियो कॉल पर निगरानी में रखा गया और कहा गया कि वे किसी को इस बारे में न बताएं, अन्यथा उनके परिवार के अन्य सदस्य भी गिरफ्तार हो सकते हैं। कथित पुलिस अधिकारी और अन्य साइबर अपराधियों ने उनसे बैंक खातों की जानकारी ली और कहा कि उनकी जमा पूंजी की जांच की जाएगी, जिसके बाद वह वापिस कर दी जाएगी।
पांच बार में ट्रांसफर कराए गए 24.5 लाख रुपये
डरे-सहमे सुखदास ने ठगों के निर्देश पर अपनी बचत के 24 लाख 50 हजार रुपये अलग-अलग पांच बार में बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दिए। इस दौरान उन्हें फर्जी गिरफ्तारी वारंट (Fake Arrest Warrent) और दस्तावेज भी भेजे गए ताकि डर और बढ़े।
ठगी का अंदेशा और पुलिस में शिकायत
जब ठगों ने अतिरिक्त रकम की मांग करनी शुरू की और दबाव बढ़ाया, तो सुखदास को शक हुआ। जब उन्होंने अपनी राशि वापस मांगनी चाही, तो ठगों ने उनसे संपर्क बंद कर दिया। कॉल बैक (Call back) करने पर नंबर बंद आने लगे। इसके बाद सुखदास ने अपने परिजनों को पूरी घटना की जानकारी दी और साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच शुरू
साइबर थाना प्रभारी ने बताया कि अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और आईटी एक्ट (IT Act) की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। जिन बैंक खातों में रकम ट्रांसफर की गई है, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही आरोपियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी।साइबर ठगी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। किसी भी अनजान कॉल (Unknown Call) पर निजी जानकारी (Personal Information) साझा न करें और आधार, बैंक खाते या OTP जैसी संवेदनशील जानकारियां किसी के साथ साझा करने से बचें। ऐसे मामलों में तत्काल 1930 हेल्पलाइन नंबर (Helpline Number) या स्थानीय साइबर थाने से संपर्क करें।
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