दिल्ली के टैक्सी-बस मालिकों ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन, 8 प्रमुख समस्याओं के समाधान का आग्रह

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली, (26 जून 2025): दिल्ली के टैक्सी और टूरिस्ट बस मालिकों ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को एक ज्ञापन सौंपकर वर्षों से चली आ रही समस्याओं और भूतपूर्व सरकार द्वारा किए गए अन्यायों के खिलाफ आवाज उठाई है। इस ज्ञापन में संजय सम्राट (अध्यक्ष) के नेतृत्व में 8 प्रमुख मांगों को स्पष्ट रूप से रखा गया है, जिनमें टैक्सी-बस मालिकों को हो रही आर्थिक और प्रशासनिक परेशानियों का विवरण है।

ज्ञापन में पहली मांग यह रखी गई है कि बीएस-4 डीजल/पेट्रोल टैक्सी और बसें, जिनका रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट वैध है, उन्हें उनकी तय वैधता तक दिल्ली में चलाने की अनुमति दी जाए, चाहे वे किसी भी राज्य में पंजीकृत क्यों न हों। दूसरी बड़ी चिंता पैनिक बटन को लेकर है, जिसे बसों और टैक्सियों में अनिवार्य कर दिया गया है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि ये सिर्फ प्लास्टिक के बटन हैं, जिनके नाम पर परिवहन विभाग टैक्सी मालिकों से जबरन 20 हजार रुपये वसूलता है, जबकि इसमें भारी भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई है।

तीसरी मांग में ऑल इंडिया टूरिस्ट टैक्सी बसों से स्पीड लिमिट डिवाइस हटाने की मांग की गई है। वर्तमान में इन वाहनों की स्पीड हाईवे और एक्सप्रेसवे पर भी 80 किमी/घंटा तक सीमित कर दी गई है, जबकि बाकी गाड़ियां 120 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती हैं, जिससे टैक्सी ऑपरेटरों को नुकसान होता है।

चौथे बिंदु में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP) को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि ₹200 की HSRP प्लेट के ₹1000 तक वसूले जा रहे हैं। जब तक सभी गाड़ियों में ये प्लेट नहीं लग जातीं, तब तक परमिट या फिटनेस नवीनीकरण को रोका न जाए।

पांचवीं मांग में एक अलग ट्रांसपोर्टर्स आयोग या पर्यटन आयोग गठित करने की मांग की गई है ताकि टैक्सी-बस मालिकों की समस्याओं को सीधे सुना और हल किया जा सके।

छठी अहम मांग है कि दिल्ली NCR में चलने वाली ऑल इंडिया टूरिस्ट टैक्सी-बसों को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के दायरे से बाहर किया जाए, जिससे उनके रोजगार पर संकट ना आए। साथ ही प्रदूषण की आड़ में काटे गए 20 हजार पुराने चालान माफ करने की भी अपील की गई है।

सातवीं और अत्यंत महत्वपूर्ण मांग में ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट की नई फीस पर सवाल उठाए गए हैं। पहले जहां यह परमिट ₹500 में मिल जाता था, अब इसे ₹3 लाख कर दिया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि यह बड़े ऑपरेटरों के लिए तो ठीक है लेकिन छोटे ट्रांसपोर्टर्स इसे वहन नहीं कर सकते। मांग की गई कि यह परमिट दोनों विकल्पों के साथ उपलब्ध हो – एक राज्य से दूसरे राज्य तक का या पूरे देशभर का, जिससे सभी ट्रांसपोर्टर्स अपनी सुविधानुसार चयन कर सकें।

अंतिम और आठवीं मांग में MCD टोल टैक्स को दिल्ली की पंजीकृत टैक्सी-बसों से हटाने की मांग की गई है। टैक्सी मालिकों का कहना है कि वे पहले से ही दिल्ली सरकार को रोड टैक्स और MCD को पार्किंग टैक्स दे रहे हैं, इसलिए उन्हें अतिरिक्त MCD टोल से मुक्त किया जाए।

मुख्यमंत्री को सौंपे गए इस ज्ञापन में उम्मीद जताई गई है कि नई सरकार ट्रांसपोर्टर्स की इन मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी और जल्द ही राहतकारी निर्णय लेगी, जिससे हजारों टैक्सी-बस मालिकों को राहत मिल सकेगी।।


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