दिल्ली में पहली बार होगा कृत्रिम वर्षा का प्रयोग, मौसम विभाग ने दी हरी झंडी
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (19 जून 2025): देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सरकार जल्द ही कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) कराने जा रही है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा (Mqnjindar Singh Sirsa) ने जानकारी देते हुए कहा कि इस पायलट प्रोजेक्ट को भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) से आवश्यक मौसमीय मंजूरी मिल चुकी है। दिल्ली सरकार ने सभी तकनीकी तैयारियां पूरी कर ली हैं और अब सिर्फ उपयुक्त बादलों की प्रतीक्षा है। जैसे ही अनुकूल मौसम और बादल उपलब्ध होंगे, यह प्रयोग शुरू कर दिया जाएगा। सिरसा ने इसे “भविष्य के लिए एक वैज्ञानिक रोडमैप” बताया।
यह पायलट प्रोजेक्ट दिल्ली सरकार और IIT कानपुर के साझा सहयोग से लागू किया जा रहा है। IIT कानपुर की विशेषज्ञ टीम एक सेसना विमान के ज़रिए फ्लेयर-बेस्ड सिस्टम से सिल्वर आयोडाइड, आयोडीन सॉल्ट और रॉक सॉल्ट के मिश्रण का छिड़काव करेगी ताकि बादलों को वर्षा के लिए प्रेरित किया जा सके। उड़ानों की कुल संख्या पांच होगी, और प्रत्येक उड़ान कम से कम 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 1 से 1.5 घंटे तक संचालित की जाएगी। उड़ानें खास सुरक्षा वाले इलाकों जैसे राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास और संसद भवन से दूर रखी जाएंगी।
मंत्री सिरसा ने कहा कि स्वच्छ हवा सभी नागरिकों का अधिकार है और दिल्ली सरकार इस दिशा में हरसंभव उपाय कर रही है। उन्होंने बताया कि एंटी स्मॉग गन, सड़कों पर जल छिड़काव और निर्माण स्थलों पर कड़े नियमन जैसे कई उपायों के बाद अब ‘आसमान से इलाज’ की तैयारी है। यह पायलट प्रोजेक्ट न केवल तकनीकी क्षमता का परीक्षण है, बल्कि यह विज्ञान-आधारित और डेटा-ड्रिवेन नीति निर्धारण का उदाहरण भी बनेगा।
परियोजना के अंतर्गत विशेष रूप से निंबोस्ट्रेटस (Ns) प्रकार के बादलों को निशाना बनाया जाएगा, जो 500 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होते हैं और इनमें कम से कम 50 प्रतिशत आर्द्रता होनी चाहिए। IMD रियल टाइम पर बादलों की ऊंचाई, नमी, दिशा और बनावट की जानकारी साझा करेगा। क्लाउड सीडिंग से उत्पन्न प्रभाव का आकलन CAAQMS (कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम) स्टेशनों की मदद से किया जाएगा।
इस पूरे प्रयोग पर कुल 3.21 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसे दिल्ली सरकार वहन कर रही है। अगर यह परीक्षण सफल रहता है, तो भविष्य में इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है। मंत्री सिरसा ने कहा, “यह सिर्फ बारिश लाने की कोशिश नहीं, बल्कि दिल्ली की हवा को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक निर्णायक और साहसी कदम है।” विशेषज्ञों की निगरानी में यह परियोजना देश भर में पर्यावरणीय समाधान का एक उदाहरण बन सकती है।
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