दिल्ली सरकार का बड़ा कदम: अब निजी स्कूल नहीं बढ़ा सकेंगे मनमानी फीस

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (10 जून 2025): दिल्ली में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में दिल्ली कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस के निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अध्यादेश, 2025’ को मंजूरी दे दी है। यह अध्यादेश आगामी 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस फैसले की जानकारी दी और कहा कि यह निर्णय अभिभावकों को राहत देने वाला है। उन्होंने बताया कि अब कोई भी निजी स्कूल बिना तय प्रक्रिया के फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेगा।

शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि कैबिनेट की आठवीं बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई, जो बाद में उपराज्यपाल और राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद कानून का रूप लेगा। यह बिल पारदर्शिता लाने और छात्रों के हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली की शिकायतें लंबे समय से आ रही थीं, जिन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने यह ठोस कदम उठाया है। अध्यादेश लागू होने के बाद, सभी स्कूलों को अपनी फीस बढ़ोतरी के प्रस्ताव के लिए एक रेगुलेटरी प्रक्रिया से गुजरना होगा।

बिल के तहत प्रत्येक स्कूल में एक स्कूल फीस रेगुलेशन कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी में स्कूल की प्रिंसिपल, तीन शिक्षक और ड्रॉ के माध्यम से चुने गए कुछ अभिभावक सदस्य होंगे। स्कूल का डायरेक्टर केवल ऑब्जर्वर की भूमिका में रहेगा और फैसले में उसका हस्तक्षेप नहीं होगा। यह कमेटी स्कूल की सुविधाएं, स्टाफ को दिए जाने वाले वेतन, डिजिटल लाइब्रेरी, लैब की उपलब्धता जैसे कुल 18 बिंदुओं के आधार पर तय करेगी कि फीस बढ़ाई जाए या नहीं। कमेटी का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा और वह 31 जुलाई तक गठित कर दी जाएगी।

स्कूल कमेटी को 30 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी होगी। अगर वह रिपोर्ट समय पर नहीं दे पाती तो मामला जिला स्तरीय फीस रेगुलेशन कमेटी के पास जाएगा। इस कमेटी में डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, दो शिक्षक और दो अभिभावक सदस्य शामिल होंगे। यह कमेटी 30 से 45 दिनों के भीतर निर्णय देगी। यदि फिर भी कोई सहमति नहीं बनती, तो अंतिम फैसला राज्य स्तरीय रेगुलेशन कमेटी करेगी। इस कमेटी में शिक्षा मंत्रालय द्वारा नियुक्त चेयरपर्सन, शिक्षा विशेषज्ञ, सीए, स्कूल और पैरेंट्स प्रतिनिधि शामिल होंगे।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई स्कूल बिना अनुमति के फीस बढ़ाता है, तो उस पर एक लाख रुपये से दस लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना दोहराए जाने पर बढ़ाया भी जा सकता है। सरकार का कहना है कि यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक अहम प्रयास है। इस कानून से अभिभावकों की आर्थिक चिंता कम होगी और स्कूलों को जवाबदेह बनाने में मदद मिलेगी।

दिल्ली सरकार के इस अध्यादेश को शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव माना जा रहा है। पहले जहां निजी स्कूल मनमाने तरीके से फीस बढ़ाते थे, अब उन्हें पूरी प्रक्रिया से गुजरना होगा। इससे ना सिर्फ अभिभावकों को राहत मिलेगी, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में समरसता और समानता भी आएगी। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार इसे शिक्षा सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल बता रही है, जो आने वाले समय में देश के अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण बन सकती है।


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