नई दिल्ली (10 जून 2025): 29 जनवरी को प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेला दौरान मौनी अमावस्या के दिन भयंकर भगदड़ की चार घटनाएँ हुईं। उत्तर प्रदेश सरकार ने आधिकारिक रूप से 37 श्रद्धालुओं की मौत की जानकारी दी, और उनके परिवारों को 25-25 लाख रुपए का मुआवज़ा देने की घोषणा की। हालांकि, एक मीडिया संस्थान की गहन जांच में यह सामने आया कि इन घटनाओं में कम-से-कम 82 लोगों की मौत हुई है।इस संस्थान के रिपोर्टर्स ने देशभर में 50 से अधिक जिलों में जाकर 100 से अधिक परिवारों से मुलाकात की, जिन्होंने दावा किया कि उनके परिजनों की मौत कुंभ मेले की भगदड़ में हुई थी।
सरकार की मुआवज़ा नीति और बीबीसी की जांच
संबंधित मीडिया संस्थान ने अपनी पड़ताल में पाया कि जिन 82 मृतकों की पहचान की गई, उनमें से कुछ को यूपी सरकार की ओर से 25 लाख रुपए का मुआवज़ा मिला, जबकि अन्य परिवारों को पांच लाख रुपए कैश में दिए गए थे। मगर, इसमें यह भी रिपोर्ट किया कि कई मृतकों के परिवारों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने अब तक मृतकों की आधिकारिक सूची जारी नहीं की है, और यह भी स्पष्ट नहीं किया कि किन परिवारों को मुआवज़ा दिया गया।
पुलिस की भूमिका और मुआवज़े का वितरण
रिपोर्ट्स की जांच में यह बात भी सामने आई कि जिन 26 परिवारों को पांच लाख रुपए कैश में दिए गए, उनके पास इस बात के पुख़्ता सबूत थे कि मुआवज़ा वितरित करते समय सरकारी अधिकारियों द्वारा कागज़ों पर हस्ताक्षर कराए गए थे, जिनमें मृतक की मौत की वजह अचानक तबीयत बिगड़ना बताया गया था, जबकि असलियत में यह भगदड़ में हुई मौतें थीं। इन परिवारों में से कई ने वीडियो और तस्वीरें भी साझा कीं, जिनमें पुलिस टीमें कैश के बंडल वितरित करती हुई नजर आ रही हैं।
विनोद और तारा देवी के परिवार की दुखभरी कहानी
पश्चिम बंगाल के पश्चिमी बर्धमान जिले के निवासी विनोद रुइदास की मौत भी इस भगदड़ में हुई। उनके परिवार ने बताया कि यूपी पुलिस ने उन्हें पांच लाख रुपए दिए, लेकिन विनोद की मृत्यु के कारण को सरकारी दस्तावेज़ में गलत तरीके से दर्ज करवा दिया गया। इसी तरह, बिहार के गोपालगंज में तारा देवी के परिवार को भी पांच लाख रुपए कैश में मिले थे। इन परिवारों ने भी पुलिस अधिकारियों द्वारा गलत कागज़ों पर हस्ताक्षर करवाने की बात कही।
मृतकों के परिवारों की ओर से दिए गए सबूत
इनकोको ऐसे कई वीडियो और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें यह साबित हुआ कि मृतकों की मौत भगदड़ में हुई। इनमें से कई परिवारों ने अपने परिजनों की लाशों की तस्वीरें भी साझा कीं। इनमें से एक वीडियो में झारखंड के शिवराज गुप्ता, हरियाणा की रामपति देवी और अन्य मृतकों के शव एक साथ पड़े हुए थे। इस वीडियो को देखकर उनके परिवारों ने शव की पहचान की और सरकारी लापरवाही की ओर इशारा किया।
गंभीर सवाल: सरकार के मुआवज़े की पारदर्शिता
कुंभ मेला में हुई भगदड़ के बाद सरकारी मुआवज़ा वितरण में पारदर्शिता की कमी के गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बीबीसी ने पाया कि कई मृतकों के परिवारों को मुआवज़ा देने में बड़ी असंगतियां थीं। उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया था कि 25 लाख का मुआवज़ा सीधे ट्रांसफर किया गया, लेकिन कई परिवारों का कहना था कि उन्हें कैश में पैसे दिए गए थे, और इन पैसे का स्रोत अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप
जब इस मामले पर प्रशासन और पुलिस से प्रतिक्रिया मांगी, तो अधिकारियों ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। मीडिया की जांच में यह भी सामने आया कि पुलिस ने मृतकों के परिवारों से कई कागज़ों पर हस्ताक्षर करवाए, जिनमें मृतकों की मौत की वजह गलत तरीके से दर्ज की गई थी। इस मामले में सरकारी अधिकारियों की चुप्पी और असंवेदनशीलता ने मृतकों के परिवारों को और भी परेशान किया।
एक अज्ञात मृतक का मामला: केएन वासुदेवाचार्य की कहानी
कुंभ भगदड़ में मारे गए एक अन्य व्यक्ति केएन वासुदेवाचार्य का शव लावारिस बताया गया। वासुदेवाचार्य के शव को बाद में बीजेपी से जुड़े एक व्यक्ति ने रिसीव किया और उनके शव को वाराणसी भेजा। उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि उनका शव पहले मेला क्षेत्र में लावारिस पड़ा था और बाद में एंबुलेंस द्वारा लाया गया। यह स्थिति उन परिवारों की थी जिनकी पहचान सरकार ने नहीं की और उन्हें मुआवज़ा नहीं दिया गया।
कुंभ मेले में हुई भगदड़ की घटनाएँ न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक भयानक त्रासदी साबित हुईं, बल्कि इसके बाद सरकार की मुआवज़ा वितरण नीति और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल भी उठाए गए हैं। मीडिया की पड़ताल में यह स्पष्ट हुआ है कि भगदड़ में मारे गए 82 लोगों के परिवारों के बीच असमानता और भ्रम की स्थिति थी, और कई परिवारों को मुआवज़े के नाम पर शोषण का सामना करना पड़ा। यह रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि सरकार और प्रशासन को इस मामले की पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए और मृतकों के परिवारों को न्याय दिलवाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
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