पीएम नरेंद्र मोदी के 11 साल पूरे: विकसित भारत, स्वदेशी निर्माण या फिर बिगड़ा सामाजिक सौहार्द?
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (09 जून 2025): भारतीय राजनीति में वर्ष 2014 में आए ऐतिहासिक परिवर्तन ने देश की दिशा और दशा को पूरी तरह से बदल कर रख दिया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बहुमत वाली सरकार और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने राष्ट्रीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया। 11 सालों के इस लंबे कार्यकाल में केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधारों, बुनियादी ढांचे के निर्माण और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। ‘जनधन योजना’ से लेकर ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्वच्छ भारत अभियान’ तक, देश को आत्मनिर्भर और वैश्विक मंच पर सक्षम बनाने की दिशा में कई निर्णायक कदम उठाए गए। विशेष रूप से सामान्य नागरिकों के जीवन में सुधार लाने के लिए योजनाएं सीधी ज़मीन पर उतरती नजर आईं।
इन 11 वर्षों में सरकार ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जिनमें जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना सबसे बड़ा और साहसिक कदम माना गया। इसके अलावा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना, चारधाम यात्रा को सुव्यवस्थित करना और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना भी बड़े निर्णयों में शामिल रहा। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ कूटनीतिक संतुलन साधते हुए अपनी सुरक्षा और रणनीतिक स्थिति को और मज़बूत किया। समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक भारत की गतिविधियों ने यह दर्शाया कि देश अब सिर्फ विकासशील नहीं, बल्कि नेतृत्व करने वाला राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है।
हालांकि, इन उपलब्धियों के समानांतर देश में अनेक राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियां भी देखी गईं। विपक्ष ने इन 11 सालों में मीडिया की स्वतंत्रता में गिरावट, संस्थानों की स्वायत्तता में हस्तक्षेप और सामाजिक ध्रुवीकरण जैसे आरोप सरकार पर लगाए। अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों और स्वतंत्र संगठनों ने भी भारत में प्रेस स्वतंत्रता, मानवाधिकार और अल्पसंख्यक सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की। देश में मीडिया का झुकाव और धार्मिक विभाजन की घटनाएं विपक्षी दलों के आरोपों को बल देती रहीं। वहीं, सरकार समर्थकों का मानना है कि ऐसे आरोप सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने के लिए लगाए जाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व इन वर्षों में प्रशासनिक मजबूती और वैश्विक प्रभाव के लिए पहचाना गया। उन्होंने शासन को मिशन मोड में चलाया, जिससे बुनियादी ढांचा, रेलवे, सड़क, ऊर्जा, और डिजिटल सेवाओं का तीव्र विकास हुआ। आर्थिक मोर्चे पर सरकार ने पूंजीगत व्यय में वृद्धि कर देश के विकास इंजन को तेज किया। नरेंद्र मोदी ने ‘लोकल फॉर वोकल’ का नारा देकर स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा दिया, जिससे खिलौनों, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक वाहनों और रक्षा उपकरणों के निर्माण में भारत आत्मनिर्भर बना। प्रधानमंत्री की छवि एक दूरदर्शी, सख्त निर्णय लेने वाले और वैश्विक नेता के रूप में उभरी है।
अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में भी मोदी सरकार ने भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इसरो द्वारा चंद्रयान-3 की सफलता और सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ जैसे अभियानों ने भारत को वैश्विक विज्ञान मंच पर सम्मान दिलाया। इसके साथ ही रक्षा क्षेत्र में भी स्वदेशी हथियारों और मिसाइलों के निर्माण में सरकार ने निवेश बढ़ाया। कोविड-19 काल में भारत ने वैक्सीन उत्पादन और आपूर्ति में जो भूमिका निभाई, उससे वैश्विक स्तर पर भारत की विश्वसनीयता और नेतृत्व क्षमता सिद्ध हुई। नरेंद्र मोदी को फ्रांस, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका सहित अनेक देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्राप्त हुए, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि और मजबूत हुई।
राजनीतिक दृष्टिकोण से भाजपा ने अपने संगठनात्मक ढांचे को इतनी मजबूती से खड़ा किया कि आज भारत के आधे से अधिक राज्यों में उसकी सरकारें हैं। केंद्र और राज्य स्तर पर मजबूत नेतृत्व, जमीनी कार्यकर्ताओं का नेटवर्क और आक्रामक प्रचार रणनीति भाजपा को लगातार चुनावी सफलता दिलाती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषण शैली, संवाद कौशल और जन-संपर्क रणनीति ने उन्हें आम जनमानस में लोकप्रिय बनाए रखा है। वहीं पार्टी ने अपने नेतृत्व के तहत लगातार प्रशासनिक पारदर्शिता और टेक्नोलॉजी आधारित गवर्नेंस को प्राथमिकता दी है।
हालांकि विपक्ष का आरोप है कि पिछले 11 वर्षों में देश में धार्मिक सौहार्द की स्थिति पहले जैसी नहीं रही। अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा की भावना को लेकर राजनीतिक विमर्श लगातार बना रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय को हाशिए पर लाने की नीतियां सरकार के सामाजिक दृष्टिकोण पर सवाल खड़ा करती हैं। इसके बावजूद, यह भी एक तथ्य है कि देश में इन 11 सालों के दौरान कोई बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। सरकार समर्थकों का तर्क है कि भाजपा सरकार कानून व्यवस्था को लेकर सख्त रही है और सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास किए हैं।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 वर्षों का कार्यकाल भारतीय राजनीति का एक निर्णायक कालखंड माना जा सकता है। एक ओर जहां भारत आर्थिक, वैज्ञानिक और वैश्विक कूटनीति में नई ऊंचाइयों को छूता नजर आया, वहीं दूसरी ओर देश के भीतर सामाजिक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर बहसें तेज रहीं। लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं कि भारत ने 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की संकल्पना के तहत खुद को एक नये युग में प्रवेश दिलाया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अगले कुछ वर्षों में यह गति किस दिशा में आगे बढ़ती है और भारत कैसे अपने लक्ष्यों को हासिल करता है।।
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