DNA टेस्ट ने सुलझाई 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार की गुत्थी, चाचा गिरफ्तार

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (1 जून 2025): उत्तरी दिल्ली के तिमारपुर में एक 15 वर्षीय मानसिक रूप से कमजोर लड़की के साथ हुए बलात्कार के एक जघन्य मामले को दिल्ली पुलिस ने DNA टेस्ट की निर्णायक मदद से सुलझा लिया है। पीड़िता के 29 वर्षीय चाचा को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिसका DNA पीड़िता द्वारा जन्में बच्चे के DNA से पूरी तरह मेल खाता है। पुलिस के पास इस मामले में कोई ठोस सुराग नहीं था, क्योंकि पीड़िता मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण काउंसलिंग के बाद भी आरोपी की पहचान नहीं कर पा रही थी। इसके बावजूद, पुलिस ने हार नहीं मानी और एक व्यापक जांच शुरू की। उन्होंने पड़ोसियों और परिवार के सदस्यों सहित सात लोगों के DNA सैंपल लिए। इन सैंपलों के विश्लेषण से चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि पीड़िता का चाचा ही अपराधी है, जो पास में ही रहता था। आरोपी के खिलाफ POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।

मामले की शुरुआत और पीड़िता की स्थिति:

यह मामला 14 जनवरी को तब सामने आया जब पुलिस को एक अस्पताल से एक मानसिक रूप से कमजोर और शारीरिक रूप से लकवाग्रस्त लड़की की गर्भावस्था के बारे में सूचना मिली। पीड़िता अपने पिता और दादी के साथ रहती थी और अपनी स्थिति के बारे में कोई जानकारी देने में असमर्थ थी। परिवार के सदस्यों ने भी गर्भावस्था के बारे में जानकारी होने से इनकार किया। पुलिस ने तत्काल मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। DCP (उत्तर) राजा बंथिया ने मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया। जांच में पता चला कि लड़की लगभग सात महीने से गर्भवती थी और उसे दिल से संबंधित बीमारियां भी थीं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि लड़की और उसके परिवार ने घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। 17 जनवरी को उसे पुलिस सुरक्षा में दूसरे अस्पताल भेजा गया, जहां उसने फरवरी में एक बच्चे को जन्म दिया और मार्च में उसे छुट्टी मिल गई।

काउंसलिंग और संदिग्धों पर ध्यान केंद्रित:

पुलिस को परिवार पर शक होने के कारण लड़की को उनकी कस्टडी में वापस नहीं दिया गया और उसे एक बाल गृह भेज दिया गया। बच्चे को एक NGO को सौंप दिया गया। पीड़िता को लगातार मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए अस्पतालों और निजी काउंसलरों के साथ नियमित रूप से काउंसलिंग सत्र आयोजित किए गए, जो महीने में हर तीन दिन में एक बार होते थे। पुलिस ने बताया कि पीड़िता का बयान फरवरी में अस्पताल में और बाद में मार्च में ऑडियो-विजुअल माध्यम से दर्ज किया गया, लेकिन दोनों बयानों में उसने किसी भी आरोपी का नाम नहीं लिया। जब अन्य सभी सुराग विफल हो गए, तो पुलिस ने परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और अन्य लोगों सहित सात संदिग्धों पर ध्यान केंद्रित किया, जो या तो पीड़िता के साथ रहते थे या उसके घर आते थे। फरवरी और मार्च में उनके खून के नमूने लिए गए और उन्हें बच्चे के DNA के साथ FSL रोहिणी भेजा गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने फोरेंसिक नतीजों में तेजी लाने के लिए नियमित रूप से फॉलोअप किया।

DNA से खुला राज और आरोपी का कबूलनामा:

कुछ दिन पहले FSL के नतीजे प्राप्त हुए, जिससे पता चला कि एक संदिग्ध, पीड़िता के 29 वर्षीय चाचा का DNA, बच्चे के खून के नमूने से पूरी तरह मेल खाता है। पुलिस टीम तुरंत आरोपी के घर गई और उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि चाचा ने पूछताछ में कबूल किया कि वह पीड़िता के पिता के साथ उनके घर पर शराब पीता था और नशे की हालत में उसने कुछ महीने पहले दो बार लड़की के साथ यौन उत्पीड़न किया। इस मामले के सफल समाधान से यह साबित होता है कि दिल्ली पुलिस कितनी प्रतिबद्ध है और कठिन मामलों को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग कर रही है।।


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