दिल्ली के विजय नगर में गोमांस बेचने के संदेह में दुकानदार की पिटाई
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (29 मई 2025): दिल्ली के विजय नगर इलाके में एक बार फिर भीड़ के हाथों कानून व्यवस्था को चुनौती देते हुए एक दुकानदार की बर्बर पिटाई की गई। आरोप है कि 44 वर्षीय चमन कुमार ने अपनी किराना दुकान में गोमांस बेचा, जिसकी जानकारी फैलते ही मौके पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई और मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जब्त किया गया मांस वास्तव में गोमांस था या नहीं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मांस के नमूने जब्त कर उन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है।
इस मामले की शुरुआत एक 15 वर्षीय नाबालिग की शिकायत से हुई, जो विजय नगर का रहने वाला है। उसका दावा है कि उसने चमन कुमार की दुकान से 400 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मांस खरीदा था, लेकिन बाद में उसे उस मांस की प्रकृति को लेकर संदेह हुआ कि शायद वह गोमांस हो सकता है। इस संदेह के आधार पर स्थानीय स्तर पर अफवाहें फैलनी शुरू हुईं और देखते ही देखते कुछ संगठन और स्थानीय लोग चमन कुमार की दुकान के बाहर जुट गए। वहां उन्होंने हंगामा किया और दुकानदार के साथ मारपीट की।
पुलिस को घटना की जानकारी मिलने के बाद तुरंत पीसीआर कॉल के जरिए एक टीम मौके पर भेजी गई। अधिकारियों ने बताया कि चमन कुमार घायल अवस्था में पाया गया और उसकी मेडिकल जांच कराई जा रही है। इसके साथ ही घटनास्थल और उसके आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि घटना की पूरी सच्चाई सामने आ सके और दोषियों की पहचान की जा सके।
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “दुकान से मांस के नमूने जब्त कर लिए गए हैं और उन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है ताकि यह तय हो सके कि वह मांस वाकई गोमांस था या नहीं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस सभी एंगल से मामले की जांच कर रही है और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जाएगा। इस घटना के बाद विजय नगर क्षेत्र में तनाव की स्थिति को देखते हुए एहतियातन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पुलिस ने अतिरिक्त बल तैनात कर दिया है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके और इलाके में शांति बनी रहे। अधिकारी लगातार स्थानीय लोगों से संवाद कर स्थिति को सामान्य बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि अफवाहों और संदेह के आधार पर कानून अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति किस तरह समाज में कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है। दिल्ली जैसे बहुसांस्कृतिक और संवेदनशील शहर में ऐसी घटनाएं सामाजिक सौहार्द के लिए खतरे की घंटी हैं। अब पूरा मामला फॉरेंसिक जांच और पुलिस की निष्पक्ष कार्रवाई पर निर्भर है, जिससे यह तय होगा कि क्या वाकई कानून तोड़ा गया था या फिर अफवाहों के आधार पर एक निर्दोष व्यक्ति को भीड़ के गुस्से का शिकार होना पड़ा।
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