नई दिल्ली (17 दिसंबर 2024): दिल्ली की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। अरविंद केजरीवाल, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2011-12 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ CAG रिपोर्ट्स को हथियार बनाकर की थी, अब उन्हीं पर CAG की रिपोर्टों को सार्वजनिक न करने का आरोप लग रहा है। दिल्ली बीजेपी का दावा है कि 2017-18 से 2021-22 के बीच CAG द्वारा जारी 14 महत्वपूर्ण रिपोर्टों को केजरीवाल सरकार ने दबाकर रखा है।
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि ये रिपोर्टें शराब पर एक्साइज ड्यूटी, प्रदूषण, और अन्य वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़ी हैं। दिल्ली विधानसभा में बीजेपी विधायक दल ने इन रिपोर्टों को पटल पर रखने की बार-बार मांग की, लेकिन सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
बीजेपी नेताओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर इस मामले को उठाया। 29 अक्टूबर 2024 को दायर इस याचिका पर सुनवाई के दौरान CAG ने भी अदालत में अपना पक्ष रखा और कहा कि रिपोर्टों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। अदालत ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा, लेकिन सरकार ने दावा किया कि ये रिपोर्ट उपराज्यपाल के पास हैं। बीजेपी का आरोप है कि सरकार ने अदालत को भ्रमित करने और मामले को टालने का प्रयास किया।
विरोधाभास पर उठे सवाल
दिलचस्प बात यह है कि अरविंद केजरीवाल ने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के शुरुआती दिनों में 2014 में एक सी.ए.जी. रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ ए.सी.बी. जांच के आदेश दिए थे। लेकिन अब वही सरकार सी.ए.जी. रिपोर्टों को सार्वजनिक करने से बच रही है।
सी.ए.जी. एक स्वतंत्र संस्था है, जिसकी रिपोर्टें सार्वजनिक व्यय और प्रशासन की समीक्षा करती हैं। ये रिपोर्टें सरकारों को जवाबदेह बनाती हैं और अदालतों में मान्य होती हैं। बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल सरकार की चुप्पी इस बात का प्रमाण है कि रिपोर्टों में घोटालों की ओर इशारा है।
बीजेपी की मांग: विशेष सत्र बुलाया जाए
दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि “दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए और इसमें केवल सी.ए.जी. की रिपोर्टों पर चर्चा हो। इन रिपोर्टों को दिल्ली की जनता के सामने लाना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है।”
बीजेपी विधायकों ने कहा कि अगर रिपोर्टें सार्वजनिक होती हैं, तो यह स्पष्ट होगा कि पूर्ववर्ती केजरीवाल सरकार के दौरान कितने घोटाले हुए। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि आतिशी मार्लेना, जो वर्तमान में दिल्ली सरकार का नेतृत्व कर रही हैं, इन मामलों पर जांच की सिफारिश करेंगी।
इस विवाद ने दिल्ली की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। 21 दिसंबर को संभावित विधानसभा सत्र में क्या रिपोर्टें पेश की जाएंगी या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन यह स्पष्ट है कि सी.ए.जी. रिपोर्टों पर राजनीति अभी और गर्म होने वाली है।।
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