नई दिल्ली (23 मई 2025): 25 अप्रैल को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हुए हिंसक टकराव के मामले में प्रशासन ने सख्त अनुशासनात्मक कदम उठाए हैं। हिंसा में कथित संलिप्तता के कारण छह छात्रों को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया है और आगामी तीन वर्षों तक उन्हें किसी भी कोर्स में प्रवेश से वंचित कर दिया गया है। साथ ही, 20 अन्य छात्रों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिनसे सात दिनों के भीतर जवाब मांगा गया है। यह पूरा मामला गेट नंबर 8 के निकट स्थित दीन दयाल उपाध्याय कौशल केंद्र के पास दो छात्र गुटों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सामने आया।
घटना के विवरण में बताया गया कि विवाद की शुरुआत छोटी कहासुनी से हुई थी, लेकिन जल्द ही यह स्थिति हाथ से निकल गई और बड़े पैमाने पर हिंसा में तब्दील हो गई। दोनों पक्षों के छात्रों और बाहरी तत्वों ने लाठी, पत्थर और अन्य खतरनाक हथियारों से एक-दूसरे पर हमला किया, जिससे कैंपस का शांति वातावरण पूरी तरह से भंग हो गया। प्रशासन का कहना है कि भीड़ ने विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और शैक्षणिक गतिविधियों को बाधित किया।
विश्वविद्यालय की ओर से जारी निष्कासन आदेश में कहा गया है कि दंगाई तत्वों ने ‘हाइजेनिक पॉइंट कैफे’ के पास एक-दूसरे पर पत्थरबाजी और ईंटबाजी की। इस दौरान छात्रों, स्टाफ और आगंतुकों के साथ गाली-गलौच और हाथापाई की गई। यहां तक कि जब सुरक्षाकर्मियों और विश्वविद्यालय अधिकारियों ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो उन्हें भी अपशब्दों और शारीरिक हमले का सामना करना पड़ा।
नोटिस के अनुसार, हिंसक छात्र गेट नंबर 7 के रास्ते उत्तर परिसर तक जा पहुंचे और वहां भी उत्पात मचाते रहे। उन्होंने छात्रों, कर्मचारियों और संकाय सदस्यों की सुरक्षा को खतरे में डालते हुए विश्वविद्यालय की केंद्रीय लाइब्रेरी और अन्य सुविधाओं पर भी हमला किया। इस हिंसा से प्रयोगशालाओं की परीक्षाएं बाधित हुईं और शिक्षण कार्य प्रभावित हुआ, जिससे विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल गंभीर रूप से प्रभावित हुआ।
छह निष्कासित छात्र विभिन्न कोर्स से जुड़े हुए हैं, जिनमें सामाजिक विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, एमबीए और योग अध्ययन के छात्र शामिल हैं। इन छात्रों के निष्कासन की अवधि अलग-अलग है, जिसमें चार छात्रों को तीन साल के लिए निष्कासित किया गया है और दो को एक साल के लिए। सभी निष्कासित छात्रों को अपने पहचान पत्र जमा करने और छात्रावास एक सप्ताह के भीतर खाली करने का निर्देश दिया गया है।
हिंसा में संलिप्त छात्रों के खिलाफ जामिया प्रशासन ने जामिया नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई है। हालांकि, पुलिस की ओर से अभी तक इस शिकायत पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। विश्वविद्यालय ने नोटिस में यह भी उल्लेख किया है कि इनमें से कई छात्रों पर पहले भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा चुकी है और उन पर जुर्माना लगाया गया था।
20 अन्य छात्रों को जारी कारण बताओ नोटिस में उन्हें इस हिंसा की साजिश में शामिल मुख्य आरोपी बताया गया है। नोटिस में कहा गया है कि इन छात्रों की गतिविधियाँ कानून-व्यवस्था और विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व प्रशासनिक कार्य में बाधा डालने वाली आपराधिक साजिश के समान हैं। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि समय रहते स्पष्टीकरण नहीं मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नोटिस में विस्तार से बताया गया है कि हिंसक भीड़ ने कैसे परिसर में गार्ड्स और कर्मचारियों पर हमला किया, छात्रों को डराया और विश्वविद्यालय की संपत्तियों को क्षति पहुंचाई। आखिर में भीड़ ने उत्तरी परिसर के पीछे के गेट का ताला तोड़कर भागने की कोशिश की। भारी पुलिस बल के पहुंचने पर हिंसक तत्व निर्माणाधीन इमारतों, शैक्षणिक ब्लॉकों और पुस्तकालय में छिप गए और फिर मौके से फरार हो गए। प्रशासन अब स्थिति को सामान्य बनाने और शैक्षणिक वातावरण को पुनः पटरी पर लाने के प्रयास कर रहा है।
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