‘वक्फ संशोधन कानून 2025’ पर सुनवाई जारी, कपिल सिब्बल ने कोर्ट में मजबूती से रखा पक्ष
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (20 मई 2025): वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अहम सुनवाई हुई, जिसमें मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कानून की वैधानिकता को खुलकर चुनौती दी। सिब्बल ने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की रक्षा के नाम पर उन्हें कब्जाने का एक हथियार बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नए प्रावधानों से बिना किसी प्रक्रिया के धार्मिक संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण संभव हो गया है, जो संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
सिब्बल ने अदालत में विस्तार से बताया कि संशोधित कानून वक्फ को समाप्त करने या गैर अधिसूचित घोषित करने का रास्ता बना सकता है, जबकि पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। उन्होंने कहा कि पहले के कानून में पंजीकरण मुतवल्ली की जिम्मेदारी थी और पंजीकरण न होने पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान था, लेकिन वक्फ की समाप्ति की कोई बात नहीं थी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि सुनवाई को सिर्फ उन तीन मुद्दों तक सीमित रखा जाए जिन पर कोर्ट ने पहले चर्चा तय की थी। लेकिन कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया और कहा कि कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था और पूरा कानून बहस के दायरे में है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह मामला सिर्फ तीन बिंदुओं तक सीमित नहीं रह सकता।
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी सिब्बल का समर्थन करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संवैधानिक बहस को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता। कोर्ट को पूरी वैधानिकता पर विचार करना चाहिए। कोर्ट की पीठ, जिसमें प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह शामिल हैं, ने कहा कि वे सभी पक्षों को सुनेंगे और आवश्यक हुआ तो अंतरिम आदेश भी पारित किया जाएगा।याचिकाकर्ताओं की मांग है कि कोर्ट इस कानून पर तत्काल अंतरिम रोक लगाए, जिससे किसी भी तरह की कार्रवाई वक्फ संपत्तियों पर फिलहाल ना हो। इससे पहले, केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि अगली सुनवाई तक गैर मुस्लिम सदस्यों की वक्फ बोर्डों में नियुक्ति नहीं की जाएगी और किसी पंजीकृत वक्फ को गैर अधिसूचित भी नहीं किया जाएगा।
इस बीच, अदालत में दो अन्य याचिकाएं भी लगी हैं जो मूल वक्फ कानून 1995 और 2013 को गैर मुस्लिमों के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताकर खारिज करने की मांग कर रही हैं। इन याचिकाओं पर कोर्ट ने केंद्र को नोटिस भेजा था लेकिन अभी तक उसका जवाब नहीं आया है।अगली सुनवाई में सिब्बल की बहस भोजनावकाश के बाद फिर से शुरू होगी। कोर्ट इस संवेदनशील मामले में आगे क्या रुख अपनाता है, इस पर देश की नजर टिकी है।
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