विदेश मंत्री के बयान पर सियासी बवाल: कांग्रेस ने उठाए गंभीर सवाल, पूछा- क्या पाकिस्तान को पहले से दी गई थी जानकारी?

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (19 मई 2025): पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी समर्थित पहलगाम में 22 अप्रैल को किए गए हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए सभी कदमों का कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया था। हालांकि इन पार्टियों ने यह भी कहा था कि सुरक्षा चुक तथा अन्य कमियों के बारे में सवाल तो बाद में पूछे जाएंगे, लेकिन अभी सभी दल भारत सरकार के द्वारा लिए जाने वाले हर फैसले के साथ है। अब जब भारत सरकार में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को करारा जवाब दे दिया है, तो कांग्रेस ने सवाल उठने शुरू कर दिए हैं। आज नई दिल्ली में कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भारत सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए। इन सवालों की झड़ी में एक तरफ जहां सुरक्षा चुक, पाकिस्तान को दी गई ऑपरेशन सिंदूर की पूर्व जानकारी के बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान तथा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा व्यापारिक दबाव बनाकर युद्ध रोकने गए के लिए किए गए दावे संबंधित सवाल मुख्य रूप से मौजूद रहे।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने स्वीकार किया था कि भारत ने पाकिस्तान पर हमला करने से पहले उसे सूचित कर दिया था। खेड़ा ने कहा कि इस बयान के बाद न केवल पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया में भारत की कूटनीतिक स्थिति का मज़ाक उड़ाया जा रहा है। राहुल गांधी भी लगातार सवाल उठा रहे हैं कि इस चेतावनी का देश को क्या नुकसान हुआ? उन्होंने मांग की है कि सरकार बताए कि कितने विमान खोए, कितने आतंकवादी बच निकले और सेना के पराक्रम को किस तरह क्षति पहुंची।

युद्ध सिर्फ सीमाओं पर नहीं, दिल्ली में भी लड़ा जाता है

कांग्रेस ने यह भी कहा कि युद्ध केवल सीमाओं पर सैनिक नहीं लड़ते, बल्कि दिल्ली में बैठे रणनीतिकार भी उसमें बराबर की भूमिका निभाते हैं। सैनिक अपना फर्ज बहादुरी से निभाते हैं, लेकिन उनका साहस तभी फलदायी होता है जब राजधानी में बैठी सरकार उन्हें सही दिशा और समर्थन दे। यदि राजनीतिक निर्णय गलत हों, तो सैनिकों की मेहनत भी निष्फल हो सकती है। इसीलिए विदेश मंत्री के बयान को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

डोनाल्ड ट्रंप की धमकी और प्रधानमंत्री की चुप्पी पर उठाए सवाल

राहुल गांधी और कांग्रेस ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों को भी मुद्दा बनाया है। ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने भारत को व्यापारिक दबाव डालकर युद्ध रोकने पर मजबूर किया था। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि क्या देश की सुरक्षा नीतियां विदेशी दबाव में तय होती हैं? यदि भारत पर व्यापार रोकने की धमकी दी गई थी, तो प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री चुप क्यों रहे? क्या यह सिंदूर का सौदा था, जिसमें देश के आत्मसम्मान से समझौता किया गया? पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेताओं के अमेरिका और चीन के सामने हमेशा चुप रहने के पीछे कुछ गहरे राज़ हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब भी प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाते हैं, तो उनका रवैया आत्मसमर्पण जैसा क्यों होता है? क्या चीन और अमेरिका के पास सरकार से जुड़े रहस्यों की कोई फाइल है जो उन्हें चुप रहने पर मजबूर करती है?

विदेश मंत्री की ‘सूचना’ या ‘मुखबिरी’?

कांग्रेस ने विदेश मंत्री के बयान को ‘कूटनीति’ नहीं बल्कि ‘मुखबिरी’ की संज्ञा दी है। उन्होंने पूछा कि पाकिस्तान को हमले की सूचना क्यों दी गई? क्या विदेश मंत्री को पाकिस्तान पर इतना भरोसा है कि सूचना पाकर वहां के आतंकी चुपचाप बैठ जाएंगे? क्या यह सूचना देने का नतीजा यह नहीं हुआ कि मसूद अजहर और हाफिज सईद जैसे आतंकवादी भाग निकले? पार्टी ने यह भी पूछा कि क्या इसी चुप्पी के कारण पेहलगाम हमले का दोषी अब तक नहीं पकड़ा गया? कल ही देश में ISI से जुड़े कुछ जासूसों के पकड़े जाने की खबर आई है। पहले भी DRDO के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर, जो RSS से जुड़े थे, उन पर पाकिस्तान को जानकारी देने का आरोप लगा था। वहीं भाजपा नेता ध्रुव सक्सेना का भी ISI से जुड़ाव सामने आया था। कांग्रेस ने पूछा कि क्या बीजेपी और RSS का पाकिस्तान से कोई गहरा रिश्ता है?

नरेंद्र मोदी के पुराने बयान पर कटाक्ष

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस पुराने बयान की याद दिलाई जब उन्होंने कहा था कि “समस्या बॉर्डर पर नहीं, दिल्ली में है।” आज कांग्रेस इसी पंक्ति को दोहराते हुए कह रही है कि असल समस्या दिल्ली में बैठे उन लोगों की है जो पाकिस्तान को हमारी योजनाओं की पहले ही जानकारी दे देते हैं। जयशंकर का बयान देश को हास्यास्पद स्थिति में डाल रहा है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की गंभीरता को कमज़ोर कर रहा है।

तीखे सवालों की लंबी सूची

कांग्रेस ने सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है:

* कितने भारतीय विमान खोए गए?
* देश को कुल कितना नुकसान हुआ?
* कितने आतंकी हमले की सूचना मिलते ही फरार हो गए?
कांग्रेस का कहना है कि सरकार देशहित से जुड़े गंभीर मुद्दों पर भी ओछी राजनीति करती है और जब विपक्ष सवाल करता है, तो उसे राष्ट्रद्रोह करार दिया जाता है।

मोरारजी देसाई की पुरानी गलती की याद

कांग्रेस ने मोरारजी देसाई के कार्यकाल का भी उदाहरण दिया जब उन्होंने जनरल ज़िया उल-हक को फोन कर पाकिस्तान के काहुटा न्यूक्लियर प्रोजेक्ट की जानकारी दे दी थी। इसके बाद कई RAW एजेंट मारे गए और देश की खुफिया एजेंसियों को बड़ा नुकसान हुआ। मोरारजी को पाकिस्तान ने ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से नवाज़ा था। कांग्रेस ने कहा कि जयशंकर का बयान भी उसी तरह का ‘पाप’ है, जिसकी कीमत आने वाली पीढ़ियों को चुकानी पड़ेगी।

हम चुप नहीं रहेंगे, सवाल पूछते रहेंगे

कांग्रेस ने कहा कि सैनिकों ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था, लेकिन बीच में डोनाल्ड ट्रंप आए और सीज़फायर करवा दिया गया। इससे देश को गहरा धक्का लगा। कांग्रेस ने दो टूक कहा कि वह सिंदूर का सौदा मंजूर नहीं करेगी, गद्दारी किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं की जा सकती और वह सत्ता में बैठे हर व्यक्ति से जवाब मांगती रहेगी। जनता को सच्चाई जानने का हक है और विपक्ष इस हक को दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।


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