जेएनयू(JNU) में अंतिम वर्ष के 232 छात्रों को हॉस्टल खाली करने का मिला नोटिस l छात्रों में गहरी नाराजगी
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (18 मई 2025): जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के 232 अंतिम वर्ष के छात्रों को 31 मई तक छात्रावास खाली करने का नोटिस जारी किया गया है, जिससे छात्रों में गहरी नाराज़गी और चिंता देखने को मिल रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब अधिकतर छात्रों की थीसिस जमा करने की आखिरी तारीख़ और अंतिम परीक्षाएं सिर पर हैं। छात्रों का कहना है कि हॉस्टल खाली करने की समय-सीमा और उनकी अकादमिक ज़िम्मेदारियां एक साथ आने से मानसिक और आर्थिक दोनों ही स्तरों पर बोझ बढ़ गया है।
नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 2017 से 2021 बैच के पीएचडी छात्र और 2020 से 2023 के बीच के मास्टर, एमसीए, एमटेक, बीटेक और इंटीग्रेटेड कोर्स के अंतिम वर्ष के छात्रों को 31 मई तक हॉस्टल छोड़ना होगा। इसके बाद 1 जून से उनकी मेस और हॉस्टल की सारी सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी। विश्वविद्यालय ने यह भी निर्देश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में हॉस्टल में रहने की अवधि 31 मई के बाद नहीं बढ़ाई जाएगी। छात्रों से कहा गया है कि वे निर्धारित समयसीमा तक नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी जमा करवा दें।
इस आदेश को लेकर छात्रों ने कड़ा ऐतराज़ जताया है। कई छात्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके शोध और परीक्षाएं अभी चल रही हैं, और इस समय हॉस्टल छोड़ना बेहद कठिन है। एक इंटीग्रेटेड एमए-पीएचडी प्रोग्राम के छात्र ने बताया, “मैं 2018 बैच का हूं, और मुझे नियमानुसार छह साल यानी 2026 तक का समय मिलना चाहिए। 2023 में एमफिल जमा करने के बाद मेरी पीएचडी अवधि शुरू हुई है, फिर भी मुझे निष्कासन नोटिस मिला है। यह न केवल नीतियों के गलत अनुप्रयोग का उदाहरण है बल्कि शोध में अवरोध पैदा करने वाला भी है।”
छात्रों ने कोविड काल का ज़िक्र करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय दो वर्षों तक बंद रहा, जिससे उनकी पढ़ाई और रिसर्च में बाधा आई। छात्रों का यह भी कहना है कि जेएनयू प्रशासन ने इस अवधि को नज़रअंदाज़ किया है। एक छात्रा ने बताया कि पहले छात्रों को यूजीसी-नेट और जेआरएफ की तैयारी के लिए एक माह का विस्तार दिया जाता था, लेकिन अब ऐसे किसी भी विस्तार की अनुमति नहीं दी जा रही। “यूजीसी-नेट की परीक्षा अगले महीने है और उससे ठीक पहले हॉस्टल खाली करने को कहा जा रहा है। यह पूरी तरह से अनुचित है,” छात्रा ने कहा।
वहीं दूसरी ओर, जेएनयू प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय विश्वविद्यालय की नीति के अनुसार लिया गया है। डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रोफेसर मनुराधा चौधरी ने कहा कि हॉस्टल सुविधा अकादमिक कैलेंडर से जुड़ी होती है और अंतिम सेमेस्टर समाप्त होने के बाद छात्रावास में रहने की अनुमति नहीं होती। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ छात्रों को परीक्षा की तैयारी के मद्देनज़र एक महीने का विस्तार दिया गया है, लेकिन यह हर छात्र को नहीं दिया जा सकता।
जेएनयू प्रशासन और छात्रों के बीच इस मुद्दे को लेकर टकराव की स्थिति बनती जा रही है। छात्र जहां इसे अन्यायपूर्ण और संवेदनहीन बता रहे हैं, वहीं प्रशासन इसे नियमों के दायरे में लिया गया आवश्यक कदम मान रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या छात्रों की ओर से विरोध और अपील के बाद विश्वविद्यालय कोई राहत देता है या छात्राओं को परीक्षा और थीसिस के बीच किराए के मकान की तलाश करनी पड़ेगी।
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