दिल्ली की हवा फिर हुई ज़हरीली, AQI 400 के पार, राजस्थान से उठ रही धूल बन रही मुसीबत
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (16 मई 2025): राजधानी दिल्ली की हवा एक बार फिर सांस लेने लायक नहीं बची है। शुक्रवार सुबह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट में दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 305 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। कई इलाकों में AQI 400 के पार पहुंच गया है, जिससे हवा ज़हरीली हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह गिरावट राजस्थान में बने मौसमीय प्रेशर ग्रिड की वजह से आई है, जिससे धूलभरी हवाएं दिल्ली-एनसीआर तक पहुंच रही हैं।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के वरिष्ठ वैज्ञानिक नरेश कुमार के मुताबिक, राजस्थान में तेज़ गर्मी और अचानक तापमान में गिरावट के कारण एक अस्थिर प्रेशर ग्रिड बन गया है। इसके कारण वहां से उठी धूलभरी आंधियां हरियाणा और पंजाब होते हुए दिल्ली तक आ पहुंची हैं। नरेश कुमार ने आशंका जताई है कि अगले दो दिनों तक दिल्ली में डस्ट स्टॉर्म की स्थिति बनी रह सकती है। इस वजह से प्रदूषण स्तर में और बढ़ोतरी हो सकती है। दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता अत्यंत गंभीर श्रेणी में पहुंच चुकी है। मुंडका (AQI 419), वजीरपुर (422), आनंद विहार (362), अलीपुर (352), अशोक विहार (328), द्वारका सेक्टर-8 (388) और जहांगीरपुरी (353) जैसे इलाकों में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। वहीं, ITO (218) और जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम (260) जैसे इलाकों में AQI अपेक्षाकृत कम पर बना हुआ है।
एनसीआर के प्रमुख शहरों में भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं। गुरुग्राम में AQI 294, फरीदाबाद 288, गाजियाबाद 283, नोएडा 289 और ग्रेटर नोएडा में 256 दर्ज किया गया है। ये सभी स्तर ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणियों में आते हैं, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और सांस के रोगियों के लिए स्थिति और अधिक जोखिम भरी हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने बुजुर्गों, बच्चों और हृदय व सांस रोगियों को विशेष सावधानी बरतने और अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने की चेतावनी दी है। साथ ही निर्माण कार्यों में धूल नियंत्रण उपाय अपनाने और खुले में कचरा जलाने पर रोक की पुनः पुष्टि की गई है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता में गिरावट के पीछे स्थानीय कारणों से ज़्यादा बाहरी कारक जिम्मेदार हैं। खासकर राजस्थान से आने वाली धूलभरी हवाएं बड़े पैमाने पर दिल्ली की हवा को प्रदूषित कर रही हैं। इसके अलावा, तापमान में वृद्धि और हवा की गति में कमी भी प्रदूषण के स्तर को और बढ़ा रही है। जब तक हवा की दिशा में परिवर्तन नहीं होता और मानसून पूर्व की बारिश नहीं होती, तब तक राहत मिलना मुश्किल है। IMD ने उम्मीद जताई है कि अगले सप्ताह के मध्य में हल्की बारिश हो सकती है, जिससे हालात कुछ सुधर सकते हैं। फिलहाल शहरवासियों को मास्क पहनने, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने और घर के अंदर रहने की सलाह दी जा रही है।
राजधानी में बढ़ते प्रदूषण पर सियासी बयानबाज़ी भी शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा है कि हर साल प्रदूषण की यही कहानी दोहराई जाती है, लेकिन कोई स्थायी समाधान अब तक नहीं निकाला गया है। दूसरी ओर सरकार का कहना है कि प्राकृतिक कारकों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रयास लगातार जारी हैं। दिल्ली की आबोहवा एक बार फिर खतरे की घंटी बजा रही है। विशेषज्ञों और सरकार की चेतावनियों के बावजूद यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और गहरा सकता है। अब ज़रूरत है दीर्घकालिक समाधान और क्षेत्रीय समन्वय की, ताकि आने वाले दिनों में दिल्लीवासी सांस ले सकें खुलकर, सुरक्षित और बिना डर के।
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