ओम बिरला की बेटी अंजलि बिरला को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत, अपमानजनक पोस्ट हटाने का निर्देश
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (13 मई 2025): दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा (IRPS) की अधिकारी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की बेटी अंजलि बिरला के समर्थन में फैसला सुनाते हुए सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ फैलाई गई अपमानजनक और मानहानिकारक पोस्ट्स को हटाने का अंतिम निर्देश दे दिया। जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने अंजलि द्वारा एक्स (पूर्व में ट्विटर), गूगल और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद मुकदमे की कार्यवाही समाप्त कर दी।
अंजलि बिरला ने याचिका में आग्रह किया था कि सोशल मीडिया से वे सभी पोस्ट हटाए जाएं जिनमें उन पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने पिता के प्रभाव से UPSC परीक्षा पास की और प्रशासनिक सेवा में स्थान पाया। सुनवाई के दौरान उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि अंजलि ने वैध प्रक्रिया से 2019 की आरक्षित सूची के जरिए चयन पाकर IRPS में स्थान प्राप्त किया था।
कोर्ट ने पहले ही 2023 में अंतरिम आदेश जारी कर ‘एक्स’ और ‘गूगल’ को अधिकतर पोस्ट्स हटाने का निर्देश दिया था। मंगलवार को हुई अंतिम सुनवाई में कोर्ट को सूचित किया गया कि 16 में से 12 पोस्ट मूल स्रोत से हटा दिए गए हैं और बाकी चार को ब्लॉक कर दिया गया है। कोर्ट ने सोशल मीडिया कंपनी को निर्देश दिया कि वे शेष चार पोस्ट्स भी स्थायी रूप से हटा दें।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि भविष्य में अंजलि बिरला कोई नई आपत्तिजनक पोस्ट उनके संज्ञान में लाती हैं, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को उन्हें भी हटाना होगा। कोर्ट ने माना कि इस तरह की पोस्ट न केवल एक अधिकारी की छवि खराब करने की कोशिश हैं, बल्कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के परिवार की प्रतिष्ठा पर भी प्रहार है।
अंजलि के वकील ने कोर्ट को बताया कि 2021 में जब उन्होंने अधिकारी के रूप में जॉइन किया था, तब भी इस तरह के आरोप लगे थे, जिन्हें मीडिया जांच के बाद खारिज कर दिया गया था। लेकिन 2024 में अचानक फिर से NEET और UPSC विवाद के बहाने उनके खिलाफ सोशल मीडिया अभियान शुरू कर दिया गया, जिसमें उन्हें मॉडल बताकर उनकी निजी तस्वीरें वायरल की जा रही थीं। अंजलि बिरला ने इस मामले में साइबर क्राइम विभाग में भी शिकायत दर्ज कराई थी। उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि इस अभियान का उद्देश्य केवल बदनाम करना और राजनीतिक हित साधना था। हाई कोर्ट के इस फैसले को निजी प्रतिष्ठा और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण उदाहरण माना जा रहा है।।
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