यमुना अथॉरिटी घोटाला: हाईकोर्ट सख्त, चेयरमैन अनिल सागर हटाए गए
टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा, (15 दिसंबर 2024): यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यमुना अथॉरिटी) में जमीन आवंटन और परियोजनाओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव और यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन अनिल सागर के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो सीबीआई जांच के आदेश जारी किए जाएंगे।
हाईकोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल
जस्टिस पंकज भाटिया की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान अनिल सागर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सागर ने जमीन आवंटन और बिल्डर्स के प्रोजेक्ट्स में नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया। कोर्ट में पेश दस्तावेजों में खुलासा हुआ कि समान प्रकृति के तीन मामलों में, सागर ने एक ही दिन में अलग-अलग निर्णय लिए।
एक मामले में उन्होंने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी, जबकि दूसरे में उसी प्रकार के प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया। इन विरोधाभासी फैसलों से उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठे। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि यह सब व्यक्तिगत लाभ और सांठगांठ के तहत किया गया।
हाईकोर्ट के आदेश पर अनिल सागर हटाए गए
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद योगी सरकार ने शनिवार शाम को कार्रवाई करते हुए अनिल सागर को उनके पद से हटा दिया। उन्हें प्रतीक्षारत सूची में डाल दिया गया है। यह कदम हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने और बढ़ते दबाव को कम करने के लिए उठाया गया।
सीबीआई जांच की चेतावनी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सोमवार तक सरकार इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाती, तो मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है। कोर्ट का यह कदम यमुना, नोएडा, और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की पारदर्शिता पर सवाल उठाने वाले मामलों को गंभीरता से लेने का संकेत है।
घोटाले का इतिहास और अनियमितताएं
यमुना अथॉरिटी पहले भी जमीन आवंटन और परियोजनाओं में अनियमितताओं को लेकर विवादों में रही है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि अनिल सागर ने बिल्डर्स के हित साधने के लिए प्रोजेक्ट्स में भेदभावपूर्ण निर्णय लिए।
सरकार और विभाग पर सवाल
हाईकोर्ट ने औद्योगिक विकास विभाग की कार्यशैली और बिल्डर्स के साथ कथित सांठगांठ पर भी सवाल उठाए। अदालत ने सरकार से कहा है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों में ठोस कार्रवाई की जाए।
सोमवार को अगली सुनवाई
मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी। कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि तब तक संतोषजनक कार्रवाई नहीं होती, तो सीबीआई जांच का आदेश देने में देर नहीं की जाएगी। यह घटनाक्रम उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा संदेश है।
यह मामला यमुना अथॉरिटी के साथ-साथ अन्य औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की पारदर्शिता और कार्यशैली पर भी गहन नजर रखने की जरूरत को रेखांकित करता है।।
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