बांग्लादेशी घुसपैठ का बड़ा खुलासा, दिल्ली पुलिस का ऑपरेशन सफल

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (04 मई 2025): दिल्ली पुलिस की साउथ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट एंटी नारकोटिक्स स्क्वॉड ने एक बड़े मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस गिरोह के जरिए बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में अवैध रूप से बसाया जा रहा था। पुलिस ने 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें पांच भारतीय भी शामिल हैं। मुख्य आरोपी चांद मियां है, जिसने पूछताछ में कई अहम जानकारियां दी हैं। गिरोह का काम केवल एंट्री तक सीमित नहीं था, बल्कि ये फर्जी दस्तावेज बनवाकर सरकारी लाभ भी दिलवा रहे थे। इस ऑपरेशन के तहत चेन्नई से 33 और दिल्ली से 18 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया। सौ से ज्यादा अन्य लोग भी पुलिस जांच के घेरे में हैं।

फर्जी दस्तावेजों से सरकारी योजनाओं का लाभ

गिरफ्तार किए गए बांग्लादेशी नागरिकों के पास से भारत के आधार कार्ड, पते और अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं। ये लोग इन दस्तावेजों के जरिये केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा रहे थे। मुख्य आरोपी चांद मियां ने बताया कि वह हर एक व्यक्ति के भारत में बसने के बदले 20 से 25 हजार रुपये तक लेता था। पुलिस को जानकारी मिली कि ये नागरिक कई राज्यों में फैले हुए हैं, और अलग-अलग जगहों पर काम कर रहे हैं। पकड़े गए बांग्लादेशियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। कुछ नागरिकों के पास दोहरी पहचान के दस्तावेज भी मिले हैं। इससे देश की सुरक्षा व्यवस्था को गंभीर खतरा माना जा रहा है।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

डीसीपी रवि कुमार ने बताया कि इस पूरे ऑपरेशन की शुरुआत एक गुप्त सूचना से हुई थी। इंस्पेक्टर विष्णु दत्त और उनकी टीम ने तैमूर नगर में छापा मारकर असलम उर्फ मासूम नामक व्यक्ति को पकड़ा। उसके पास से भारत का आधार कार्ड और बांग्लादेशी आईडी कार्ड दोनों मिले। उससे पूछताछ के बाद चांद मियां समेत गिरोह के अन्य सदस्यों का खुलासा हुआ। पुलिस ने इस मामले में विदेशी अधिनियम और आधार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है। अब देश भर में फैले अन्य बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए टीमें लगाई गई हैं। चेन्नई, दिल्ली और एनसीआर में छापेमारी जारी है।

मुख्य आरोपी चांद मियां की कहानी

चांद मियां ने बताया कि वह महज चार साल की उम्र में अपने पिता के साथ भारत आया था। सीमापुरी और फिर तैमूर नगर में उसका पालन-पोषण हुआ, जहां उसके पिता स्क्रैप का काम करते थे। चांद मियां का पूरा परिवार अब चेन्नई में रहता है। वह महीने में तीन बार बांग्लादेश जाकर वहां से नागरिकों को लाने का काम करता था। गिरोह बांग्लादेशियों को न केवल अवैध रूप से भारत में लाता था, बल्कि उनके रहने, काम दिलाने और पहचान पत्र बनवाने की पूरी व्यवस्था करता था। यह एक संगठित नेटवर्क था, जो लंबे समय से देश की सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचता रहा। अब उसका पर्दाफाश होने के बाद प्रशासन सतर्क हो गया है।

देश की सुरक्षा पर गंभीर सवाल

इस खुलासे से देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं। बांग्लादेशी नागरिकों का इस तरह से फर्जी पहचान और सरकारी योजनाओं का फायदा उठाना, देश की व्यवस्था में गंभीर सेंध का संकेत है। पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े बाकी एजेंटों और नागरिकों की जानकारी जुटाने में लगी है। सवाल यह भी उठ रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज आखिर कैसे बने और कौन-कौन इसमें शामिल रहा। सरकार से सब्सिडी और रोजगार हासिल करना केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि कानूनी और सामाजिक समस्या भी बन गया है। दिल्ली पुलिस ने इस ऑपरेशन को सुरक्षा की दिशा में बड़ी सफलता बताया है। आगे की जांच में कई और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।


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