दिल्ली की कोर्ट ने BJP सांसद योगेंद्र चंदोलिया के खिलाफ आरोप तय किए, सरकारी कर्मचारी पर हमले का है मामला

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (03 मई 2025): दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया के खिलाफ पांच साल पुराने एक आपराधिक मामले में आरोप तय कर दिए हैं। यह मामला वर्ष 2020 का है जब प्रसाद नगर थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप है कि उन्होंने एक सरकारी कर्मचारी पर हमला किया और उसे ड्यूटी से रोकने की कोशिश की। एफआईआर में दर्ज है कि चंदोलिया ने हेड कॉन्स्टेबल राजकुमार से मोबाइल फोन भी छीन लिया था। इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट भी दायर की थी। अदालत ने संज्ञान लेते हुए 17 अक्टूबर 2023 को चंदोलिया को समन भेजा था। शनिवार को कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए आगे की कार्रवाई शुरू की।

एसीजेएम नेहा मित्तल की अदालत ने चंदोलिया के खिलाफ आईपीसी की धारा 341, 353 और 356 के तहत आरोप तय किए हैं। हालांकि, कोर्ट ने IPC की धारा 186 के तहत उन्हें आरोपमुक्त कर दिया। यह धारा किसी लोकसेवक को ड्यूटी से रोकने से संबंधित होती है। आरोप तय किए जाते समय योगेंद्र चंदोलिया कोर्ट में मौजूद थे। उनके साथ उनके वकील हरिओम गुप्ता, सुकृत और अनन्या भी पेश हुए। अदालत ने स्पष्ट किया कि विस्तृत आदेश जल्द ही अपलोड किया जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 22 मई तय की गई है।

एफआईआर के अनुसार, 2020 में चंदोलिया ने सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी करने से रोका था। इसके साथ ही उनके ऊपर कर्मचारी से मोबाइल छीनने और बल प्रयोग करने के आरोप लगे थे। मामले की जांच के बाद पुलिस ने तीस हजारी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। लेकिन चंदोलिया के सांसद बनने के बाद मामला राउज एवेन्यू कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया। कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया और फिर आरोपी को समन जारी किया। अब आरोप तय होने के बाद केस की सुनवाई प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है। अदालत आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखकर आगे की जांच करेगी।

चंदोलिया के वकील हरिओम गुप्ता ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कोई चश्मदीद गवाह नहीं है और न ही किसी मेडिकल रिपोर्ट से पुष्टि होती है। इसके अलावा, जिस मोबाइल फोन को लेकर आरोप है उसकी भी कोई बरामदगी नहीं हुई है। वकील ने अदालत को बताया कि उन्होंने इस एफआईआर को रद्द करने के लिए पहले ही याचिका दाखिल कर दी है। इस याचिका पर 19 मई को सुनवाई निर्धारित है। बचाव पक्ष का कहना है कि आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। अदालत अब इन दलीलों पर गौर कर रही है।

मामला कोर्ट में आने के बाद राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। विपक्षी पार्टियों ने भाजपा सांसद पर लगे आरोपों को लेकर सवाल उठाए हैं। हालांकि चंदोलिया ने इन आरोपों को बेबुनियाद और झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। चंदोलिया का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल जनसेवा है और वह न्यायपालिका पर पूरा भरोसा रखते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि अदालत से उन्हें न्याय मिलेगा। इस बीच, भाजपा की ओर से इस मामले पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मामला अब कानूनी प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ रहा है।

अदालत की ओर से तय की गई अगली सुनवाई 22 मई को होगी। इस दौरान अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष दोनों को अपनी-अपनी दलीलें पेश करनी होंगी। कोर्ट द्वारा विस्तृत आदेश अपलोड होने के बाद आरोपों की पूरी कानूनी स्थिति स्पष्ट होगी। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो चंदोलिया को न्यायिक कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा। वहीं, अगर सबूत पर्याप्त नहीं हुए तो उन्हें राहत भी मिल सकती है। यह मामला अब सिर्फ कानून के दायरे में तय होगा। अदालत ने स्पष्ट किया है कि वह निष्पक्ष और तथ्यों के आधार पर फैसला सुनाएगी। फिलहाल, सभी की निगाहें 22 मई की सुनवाई पर टिकी हैं।


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