दागी इमरान की शिकायत पर बर्खास्त किए गए दो हिंदू कांस्टेबलों को मिला इंसाफ, बर्खास्तगी अवैध, दिल्ली पुलिस के अफसरों पर लगा जुर्माना
टेन न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली (03 मई 2025): साल 2023 में एक अपराधी की झूठी शिकायत पर दो निर्दोष पुलिसकर्मियों की नौकरी चली गई थी। अब दो साल बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने फैसला सुनाया है कि इनकी बर्खास्तगी न केवल अनुचित थी, बल्कि पूरी तरह से अवैध भी थी। यह मामला दिल्ली पुलिस के कंझावला थाने में तैनात हेड कांस्टेबल मंगतू राम और कांस्टेबल आकाश से जुड़ा है, जिन्हें जुलाई 2023 में एक आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मोहम्मद इमरान की शिकायत पर बिना उचित अनुशासनात्मक जांच के सेवा से हटा दिया गया था। इमरान ने इन दोनों पर 28.5 लाख रुपये की लूट का आरोप लगाया था, जो अब न्यायाधिकरण की दृष्टि में झूठा साबित हुआ।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने दिल्ली पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को फटकार लगाते हुए, पुलिस आयुक्त, संयुक्त आयुक्त (पूर्व), और डीसीपी (पूर्व) पर प्रत्येक पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करने का निर्देश दिया गया है। ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट कहा कि बिना किसी गहन अनुशासनात्मक प्रक्रिया के, सिर्फ एक दागी व्यक्ति की शिकायत पर दो अधिकारियों की नौकरी छीन लेना न केवल गैर-कानूनी था, बल्कि न्याय के सिद्धांतों के भी विरुद्ध था।
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अनुच्छेद 311(2)(बी) का हवाला देते हुए दोनों पुलिसकर्मियों को सेवा से हटाया था। इस प्रावधान के तहत, यदि ऐसा लगे कि जांच व्यावहारिक नहीं है, तो बिना जांच भी कर्मचारी को हटाया जा सकता है। लेकिन CAT ने स्पष्ट किया कि यह प्रावधान अत्यंत दुर्लभ परिस्थितियों में ही लागू किया जाना चाहिए, जबकि इस मामले में उसे अनुचित तरीके से प्रयोग किया गया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि शिकायतकर्ता अपराधी है या गवाह सामने नहीं आएंगे, यह मान लेना उचित नहीं कि जांच नहीं हो सकती।
इमरान, जो खुद सट्टेबाजी का गिरोह चलाता था, ने आरोप लगाया था कि मंगतू राम और आकाश ने पीसीआर कॉल पर पहुंचने के बाद उसकी पिटाई की और उसके पास से लाखों रुपये लूट लिए। दिल्ली पुलिस ने इस आरोप के आधार पर जल्दबाजी में कार्रवाई करते हुए दोनों कांस्टेबलों को नौकरी से निकाल दिया। लेकिन जब इन पुलिसकर्मियों ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में न्याय की गुहार लगाई, तो सच सामने आया।
16 अप्रैल 2025 को दिए गए अपने निर्णय में न्यायाधिकरण ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने साफ कहा कि विभागीय जांच की प्रक्रिया का पालन न करना गंभीर लापरवाही है और इसने दो निर्दोष कर्मचारियों के जीवन को प्रभावित किया। ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि दोनों कांस्टेबलों को तुरंत सेवा में बहाल किया जाए और उनकी वरिष्ठता व अन्य सभी लाभों को भी बहाल किया जाए।
इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली पुलिस इन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध उचित अनुशासनात्मक जांच शुरू कर सकती है, यदि उसके पास पर्याप्त आधार हो। साथ ही, जिन अधिकारियों ने बिना जांच यह निर्णय लिया, उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज करने का भी निर्देश दिया गया है।
यह फैसला पुलिस विभाग में जवाबदेही और निष्पक्षता की दिशा में एक अहम संदेश है। यह साफ करता है कि चाहे शिकायतकर्ता कोई भी हो, न्याय की प्रक्रिया और नियमों का पालन करना अनिवार्य है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि दोषमुक्त कर्मियों को बिना कसूर सजा न मिले।
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