ग्रेटर नोएडा (2 मई 2025): भारतीय कारोबारी समूह अदाणी ग्रुप और अमेरिकी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच चली लंबी खींचतान अब निर्णायक मोड़ पर आ पहुंची है। एक ओर जहां अदाणी ग्रुप ने बीते महीनों में बाजार में जबरदस्त वापसी की है, वहीं दूसरी ओर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने ऑपरेशन को हमेशा के लिए बंद करने का एलान कर दिया है। साथ ही, ग्रुप ने स्विस बैंक खातों को लेकर हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए ताजा आरोपों को भी पूरी तरह निराधार और झूठा करार दिया है।
हिंडनबर्ग की विवादित रिपोर्ट ने मचाया था भूचाल
जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक विस्फोटक रिपोर्ट जारी कर अदाणी समूह पर शेयर बाजार में हेराफेरी और अकाउंटिंग फ्रॉड जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई थी जब अदाणी पोर्ट्स और एक इज़राइली कंपनी गैडोट के बीच 1.2 बिलियन डॉलर की डील लगभग फाइनल स्टेज में थी, जो हाइफा पोर्ट के अधिग्रहण से जुड़ी थी। इस सौदे को भारत और इज़राइल के रणनीतिक संबंधों के लिए बेहद अहम माना जा रहा था। रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही समूह की कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट आई और मार्केट कैप में 150 अरब डॉलर से अधिक की कमी दर्ज की गई। निवेशकों में दहशत फैल गई और भारतीय बाजार में अस्थिरता का माहौल बन गया।
‘ऑपरेशन ज़ेपलिन’: अदाणी की रणनीतिक वापसी
कई महीनों की चुप्पी के बाद अदाणी समूह ने योजना बद्ध रूप से जवाबी रणनीति अपनाई, जिसे सूत्रों ने ‘ऑपरेशन ज़ेपलिन’ का नाम दिया। बताया जा रहा है कि इस अभियान में इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने भी अदाणी ग्रुप को जानकारी मुहैया कराई। साथ ही, अमेरिका की एक कानूनी फर्म ‘वाइट स्नो’ की मदद से 326 पन्नों का एक विस्तृत डोजियर तैयार किया गया जिसमें कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों, चीनी फर्मों, अमेरिकी एक्टिविस्टों, और भारतीय राजनीतिक चेहरों की भूमिका का उल्लेख था।
हिंडनबर्ग ने की कंपनी बंद करने की घोषणा
नवंबर 2024 में नाथन एंडरसन ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वे हिंडनबर्ग रिसर्च के संचालन को बंद कर रहे हैं। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट में एंडरसन ने लिखा कि उनकी योजनाओं का मकसद पूरा हो चुका है और अब कंपनी को बंद किया जा रहा है।
स्विस खातों पर नए आरोप और अदाणी की प्रतिक्रिया
हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में दावा किया कि अदाणी समूह के छह स्विस बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया है, जिनमें कुल 310 मिलियन डॉलर की राशि जमा थी। आरोप यह भी था कि यह कार्रवाई स्विट्ज़रलैंड में मनी लॉन्ड्रिंग और ट्रांसपेरेंसी उल्लंघनों की जांच के तहत की गई है।
इन दावों को अदाणी समूह ने सिरे से खारिज करते हुए कहा, “हम स्पष्ट रूप से इन आरोपों को बेबुनियाद और झूठा मानते हैं। हमारी किसी भी कंपनी का स्विस अधिकारियों की जांच में नाम तक नहीं है और न ही कोई खाता फ्रीज किया गया है।” समूह ने यह भी बताया कि न तो स्विस कोर्ट ने उन्हें कोई नोटिस भेजा है और न ही किसी कानूनी प्रक्रिया में उनकी भूमिका है।
राजनीतिक साजिश या वैश्विक साजिश?
सूत्रों के अनुसार, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पीछे एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय साजिश की बात सामने आई है, जिसमें अमेरिका की डीप स्टेट, USAID, OCCRP जैसे संगठनों की भूमिका बताई गई है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि यह सब भारत की आर्थिक वृद्धि दर को कमजोर करने के मकसद से किया गया था।
निष्कर्ष: अदाणी की मजबूती और हिंडनबर्ग का अंत
जहां एक ओर अदाणी ग्रुप ने बाज़ार में मजबूती से वापसी कर निवेशकों का विश्वास फिर से अर्जित किया है, वहीं हिंडनबर्ग की साख और संचालन पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। कंपनी का बंद होना इस लड़ाई में एक प्रतीकात्मक मोड़ है—एक ऐसे कारोबारी घराने की जीत, जिसे वैश्विक स्तर पर अस्थिर करने की कोशिश की गई थी।।
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