सीएम रेखा गुप्ता का बड़ा ऐलान,18 माह में स्थापित होंगे 27 डीएसटीपी प्लांट

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (01 मई 2025): दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने राजधानी की सबसे जटिल समस्याओं में से एक यमुना नदी की सफाई को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले 18 महीनों में 27 डिसेंट्रलाइज्ड सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (डीएसटीपी) स्थापित किए जाएंगे ताकि गंदे पानी को ट्रीट कर यमुना में छोड़ा जा सके। यह फैसला उस बैठक के बाद सामने आया जिसमें जल विभाग, पीडब्ल्यूडी और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ यमुना सफाई और जलापूर्ति की समीक्षा की गई। रेखा गुप्ता ने कहा कि अब राजधानी में गंदे नालों का सीधा पानी यमुना में नहीं गिरेगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए इस योजना को समय पर पूरा किया जाए। बैठक में प्लांट्स की जगह, क्षमता और संचालन प्रणाली पर भी चर्चा की गई। यह योजना यमुना एक्शन प्लान से एक कदम आगे बढ़कर ठोस क्रियान्वयन की दिशा में माना जा रहा है।

तीन चरणों में लागू होगी योजना, तकनीक का होगा समुचित उपयोग

सरकार द्वारा प्रस्तुत योजना को तीन मुख्य चरणों अल्पकालिक (3 महीने), मध्यमकालिक (9 महीने) और दीर्घकालिक (18 महीने) में विभाजित किया गया है। पहले चरण में नालों की सफाई और आपात ट्रीटमेंट यूनिट्स की व्यवस्था होगी। दूसरे चरण में सीवर नेटवर्क की मरम्मत, पुरानी टंकियों की क्षमता बढ़ाने और ट्रैकिंग सिस्टम की स्थापना की जाएगी। तीसरे और अंतिम चरण में स्थायी डीएसटीपी प्लांट्स की स्थापना होगी, जो आधुनिक तकनीक से युक्त होंगे। सभी चरणों में जीआईएस मैपिंग, सेंसर्स और ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाएगा। रेखा गुप्ता ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर स्टेज पर साप्ताहिक रिपोर्ट बनाई जाए और मुख्यमंत्री कार्यालय को सौंपी जाए। इस योजना से न सिर्फ यमुना का प्रदूषण रुकेगा, बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण पर भी इसका सकारात्मक असर होगा।

पीडब्ल्यूडी कराएगा थर्ड पार्टी ऑडिट, जवाबदेही होगी सुनिश्चित

सीएम रेखा गुप्ता ने नालों की सफाई की गुणवत्ता को लेकर एक नया कदम उठाया है, जिसमें अब पीडब्ल्यूडी विभाग थर्ड पार्टी ऑडिट कराएगा। ऑडिट के लिए विशेषज्ञ संस्थानों की सेवाएं ली जाएंगी जो यह जांचेंगे कि नालों की सफाई कितनी प्रभावी रही। इससे पहले नालों की सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन परिणाम शून्य रहे। इस बार सरकार कोई चूक नहीं चाहती, इसलिए जवाबदेही तय करने के लिए यह कदम उठाया गया है। ऑडिट की रिपोर्ट हर महीने तैयार होगी और उसे सार्वजनिक पोर्टल पर डाला जाएगा ताकि जनता भी निगरानी कर सके। सफाई में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित ठेकेदारों और अफसरों पर कार्रवाई तय की गई है। इससे भविष्य में काम की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। पहली बार इस प्रकार की निगरानी का फैसला लिया गया है, जो दिल्ली में प्रशासनिक पारदर्शिता का प्रतीक बन सकता है।

₹3,140 करोड़ की लागत से होगा बुनियादी ढांचा मजबूत

इस पूरे मिशन को सफल बनाने के लिए सरकार ने ₹3,140 करोड़ की मंजूरी दी है, जिसमें डीएसटीपी प्लांट्स की स्थापना, सीवर नेटवर्क सुधार, पाइपलाइन बिछाने, और निगरानी उपकरणों की खरीद शामिल है। इस धनराशि का उपयोग तकनीकी उपकरणों जैसे स्मार्ट मीटर, सेंसर नेटवर्क, ऑनलाइन कंट्रोल सिस्टम और सोलर पॉवर्ड पंप्स की खरीद में किया जाएगा। साथ ही 24 घंटे नियंत्रण केंद्रों की स्थापना भी इसी बजट में होगी। बजट का आवंटन चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। परियोजना की लागत का एक हिस्सा केंद्र सरकार की योजना के तहत और शेष दिल्ली सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इस बजट का दुरुपयोग रोकने के लिए एक स्वतंत्र वित्तीय ऑडिट टीम भी काम करेगी। यह सुनिश्चित करेगा कि हर पैसा सही जगह खर्च हो।

1,226 अनधिकृत कॉलोनियों में पहुंचेगा सीवर नेटवर्क

राजधानी दिल्ली की 1,226 अनधिकृत कॉलोनियों में अब सीवर नेटवर्क पहुंचाने का बड़ा कदम उठाया जाएगा। अब तक इन क्षेत्रों में गंदा पानी सीधे नालों में गिरता था, जिससे यमुना का प्रदूषण बढ़ता गया। नई योजना के तहत इन कॉलोनियों में पाइपलाइन बिछाई जाएगी और सीवर लाइन को डीएसटीपी प्लांट से जोड़ा जाएगा। यह कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा, जिसके लिए क्षेत्रवार सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। सीएम ने बताया कि पहले चरण में 47 कॉलोनियों को चुना गया है, जहां पाइपलाइन कार्य 3 महीने में पूरा होगा। यह पहली बार है जब अनधिकृत क्षेत्रों को योजना में पूरी तरह शामिल किया गया है। इससे इन इलाकों के नागरिकों को भी बुनियादी सुविधा मिलेगी और यमुना के प्रदूषण पर भी असर पड़ेगा।

जल आपूर्ति के लिए बनेंगे 5 आधुनिक कंट्रोल सेंटर

रेखा गुप्ता ने जल आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने के लिए 5 नए कंट्रोल सेंटर बनाने की घोषणा की है। ये सेंटर दिल्ली के पांच प्रमुख क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे और 24×7 मॉनिटरिंग करेंगे। सेंटरों को स्मार्ट सेंसर्स, डेटा एनालिटिक्स और जीआईएस टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाएगा। इसके ज़रिए पानी की लीकेज, दबाव, वितरण और उपभोक्ता शिकायतों की निगरानी की जाएगी। प्रत्येक सेंटर को एक इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम से जोड़ा जाएगा जो किसी भी समस्या पर त्वरित कार्रवाई करेगी। इससे जल आपूर्ति में हो रही अनियमितताओं पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। यह व्यवस्था राजधानी की जल व्यवस्था को डिजिटल और जवाबदेह बनाएगी। आने वाले महीनों में इन्हें जनता के लिए भी इंटरफेस के रूप में खोला जाएगा।

21वीं क्षेत्रीय योजना के अनुरूप होगा शहरी विकास और सीवर प्रबंधन

दिल्ली के सीवर और जल शोधन का पूरा ढांचा अब 21वीं क्षेत्रीय योजना के अनुरूप पुनर्गठित किया जाएगा। इसके तहत हर जोन को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जाएगा और उन्हें स्थानीय डीएसटीपी प्लांट्स से जोड़ा जाएगा। यह विकेंद्रीकरण प्रणाली काम को तेज़ और प्रभावी बनाएगी। साथ ही संबंधित विभागों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी ताकि कार्य में समन्वय बना रहे। यह प्रणाली भविष्य की जनसंख्या और जल उपयोग के अनुमान पर आधारित होगी। शहरी विकास विभाग, जल बोर्ड और पर्यावरण विभाग को साथ मिलाकर एक एकीकृत कार्ययोजना बनाई जा रही है। इससे सरकार की योजनाओं का प्रभाव कई गुना बढ़ेगा और यमुना की सफाई एक स्थायी रूप ले पाएगी।

यमुना को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए रेखा गुप्ता का संकल्प

बैठक के अंत में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने यमुना को पूरी तरह प्रदूषण मुक्त बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि यह केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य और भविष्य से जुड़ा मिशन है। सरकार की कोशिश है कि अगले तीन वर्षों में यमुना एक बार फिर स्वच्छ और जीवनदायिनी नदी के रूप में बह सके। इसके लिए जनभागीदारी को भी जरूरी बताया गया। जल बोर्ड द्वारा जल्द ही एक जनजागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें स्कूल, कॉलेज और आरडब्ल्यूए की भागीदारी होगी। मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि यदि सभी विभाग और नागरिक साथ आएं, तो यमुना का कायाकल्प निश्चित रूप से संभव है।


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