नई दिल्ली (30 अप्रैल 2025): केंद्र सरकार ने देश में जातिगत जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगामी जनगणना में नागरिकों से उनकी जाति की जानकारी भी ली जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि अब जनगणना प्रक्रिया में जातियों की भी गणना की जाएगी।
अश्विणी वैष्णव ने इस कदम को सामाजिक न्याय और नीति निर्माण के लिहाज से महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे सरकार को समाज के हर वर्ग की सटीक स्थिति जानने और उनके लिए प्रभावी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने जातियों का उपयोग हमेशा वोट बैंक के रूप में किया, जबकि मोदी सरकार इसे नीति और समावेशन के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।
जातिगत जनगणना का सीधा अर्थ है कि देश की जनगणना प्रक्रिया में अब प्रत्येक व्यक्ति से उसकी जाति की भी जानकारी ली जाएगी। इस डेटा के आधार पर यह आकलन किया जा सकेगा कि किस जाति के लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति क्या है। इससे आरक्षण, कल्याण योजनाओं और विकास की नीतियों में पारदर्शिता और संतुलन आने की उम्मीद है।
बता दें कि इससे पहले बिहार ने राज्य स्तर पर जातिगत जनगणना कराई थी, जिससे वहां की सरकार को कई सामाजिक आँकड़े जुटाने में सफलता मिली। केंद्र सरकार के इस फैसले को सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है, जो लंबे समय से कई दलों और संगठनों की मांग रही है। जाति जनगणना के ज़रिए देश के सामाजिक ढांचे की हकीकत सामने लाने की कोशिश होगी।
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