नई दिल्ली (29 अप्रैल 2025): दिल्ली में सरकार बदलने के बाद प्रशासनिक स्तर पर कई बड़े बदलाव सामने आने लगे हैं। खासतौर पर स्वास्थ्य विभाग में एक बड़ा फेरबदल किया गया है, जिससे 28 से अधिक अस्पतालों के प्रमुख प्रभावित हुए हैं। दिल्ली सरकार ने इन अस्पतालों के चिकित्सा निदेशक (MD) और चिकित्सा अधीक्षक (MS) का तबादला कर दिया है। इस फैसले के पीछे अस्पतालों में कामकाज को अधिक सुचारू और पारदर्शी बनाना बताया गया है। सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी अधिकारी बिना किसी औपचारिक कार्यमुक्ति आदेश की प्रतीक्षा किए तत्काल नई पोस्टिंग पर रिपोर्ट करें। साथ ही किसी को भी एडिशनल चार्ज पर कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं किया जाएगा। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि सभी डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारी अपनी पुरानी पोस्टिंग से मुक्त माने जाएंगे। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे तुरंत अपना कार्यभार सौंपें और नए स्थान पर कार्यभार ग्रहण करें। आदेश का पालन न करने को प्रशासन ने गंभीरता से लेने की बात कही है। यह कदम सरकारी अस्पतालों में लंबे समय से जमे अधिकारियों के बीच बदलाव लाने के उद्देश्य से उठाया गया है। कई अस्पतालों में एक ही अधिकारी वर्षों से शीर्ष पद पर बना हुआ था। सरकार अब प्रशासनिक संतुलन और कार्यकुशलता के आधार पर फेरबदल कर रही है। इन बदलावों से अस्पताल प्रबंधन में नई ऊर्जा और जवाबदेही की उम्मीद की जा रही है।
इस फेरबदल में सबसे प्रमुख नाम लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार का है। वे वर्ष 2020 के अंत से इस पद पर कार्यरत थे और चार साल से अधिक समय तक इस पद पर बने रहे। जबकि दिल्ली सरकार के नियम के अनुसार, कोई भी अधिकारी एक ही अस्पताल में प्रशासनिक पद पर अधिकतम तीन वर्षों तक ही रह सकता है। उनका ट्रांसफर लंबे समय से तय माना जा रहा था। डॉ. सुरेश कुमार को अब बाबासाहेब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज का डायरेक्टर प्रिंसिपल नियुक्त किया गया है। इससे पहले वे लोकनायक अस्पताल के मेडिसिन विभाग के प्रमुख रह चुके हैं। उन्होंने कोरोना काल में भी प्रशासनिक नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
दिल्ली सरकार के इस बड़े फेरबदल में राव तुलाराम अस्पताल का भी जिक्र है, जहां अब नई जिम्मेदारी दी गई है। दक्षिण-पूर्वी जिले की मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. पूनम को राव तुलाराम अस्पताल का नया चिकित्सा अधीक्षक नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति अस्पताल की सेवाओं को बेहतर बनाने की दृष्टि से की गई है। डॉ. पूनम का प्रशासनिक अनुभव इस अस्पताल में सुधार की उम्मीदें जगा रहा है। वहीं, कई अन्य अस्पतालों में भी पुराने अधिकारियों को स्थानांतरित कर नई नियुक्तियाँ दी गई हैं। सभी अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे तत्काल प्रभाव से नए स्थान पर कार्यभार संभालें। सरकार इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की देरी को स्वीकार नहीं करेगी।
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) में भी नेतृत्व परिवर्तन किया गया है। दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल के वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड के सीएमओ डॉ. रति मक्कड़ को दिल्ली सरकार का नया स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक बनाया गया है। यह नियुक्ति उपराज्यपाल की स्वीकृति के बाद की गई है, जिससे इस फैसले की गंभीरता को समझा जा सकता है। जनवरी से इस पद का अतिरिक्त कार्यभार डॉ. राजेश कुमार संभाल रहे थे। अब यह जिम्मेदारी स्थायी रूप से डॉ. मक्कड़ को सौंप दी गई है। उनके अनुभव और प्रशासनिक कौशल को देखते हुए सरकार को उनसे काफी उम्मीदें हैं। DGHS का नेतृत्व बदलने से राज्य की स्वास्थ्य नीतियों पर भी असर पड़ सकता है।
दिल्ली सरकार के इस फैसले को एक व्यापक सुधार प्रक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय से जमे अधिकारियों को हटाकर नई ऊर्जा और कार्यप्रणाली लाने की यह कोशिश है। सरकार का मानना है कि अस्पतालों की दक्षता तभी बढ़ सकती है जब नेतृत्व समय-समय पर बदला जाए। इससे न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, बल्कि अस्पतालों में जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। चिकित्सा अधीक्षक और निदेशकों की जवाबदेही तय करने के लिए अब नियमित मूल्यांकन की भी योजना है। सरकार अस्पतालों के बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार लाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सख्त रवैया अपना रही है। यह फेरबदल उसी रणनीति का हिस्सा है।
स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव ज़रूरी था और काफी समय से लंबित भी। कई अस्पतालों में वर्षों से एक ही अधिकारी पद पर बना हुआ था, जिससे नए विचारों और तरीकों का समावेश नहीं हो पा रहा था। अब नए अधिकारियों के आने से अस्पतालों की कार्यशैली में ताजगी और नया दृष्टिकोण देखने को मिलेगा। हालांकि, इस ट्रांसफर प्रक्रिया से कुछ जगहों पर अस्थायी अव्यवस्था की संभावना भी जताई जा रही है। लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह बदलाव दीर्घकालिक सुधार की दिशा में है। आने वाले समय में इसके सकारात्मक नतीजे सामने आने की उम्मीद है। प्रशासन का कहना है कि यह शुरुआत है, आगे और भी बदलाव होंगे।
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