जम्मू–कश्मीर (28 अप्रैल 2025): जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में विधानसभा में भावुक भाषण दिया। उमर ने सभी मृतकों के नाम पढ़कर श्रद्धांजलि दी और कहा कि यह हमला सिर्फ जम्मू-कश्मीर नहीं, पूरे भारत पर हमला है। उन्होंने कहा कि चंद दिन पहले बजट सत्र में बहस हो रही थी, किसे पता था कि अब हमें शोक के माहौल में मिलना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्रिपरिषद की बैठक में तय किया गया कि इस मुद्दे पर एक विशेष सत्र बुलाया जाए। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हमले ने राज्य को अंदर से झकझोर दिया है। सदन में मौजूद कई सदस्य खुद भी अपनों को खोने का दर्द झेल चुके हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा इस पीड़ा को सबसे बेहतर तरीके से समझ सकती है।
उमर अब्दुल्ला ने भावुक होते हुए कहा कि मुझे उस नौसेना अफसर की विधवा को क्या जवाब देना चाहिए। उस छोटे बच्चे को क्या समझाऊं जिसने अपने पिता को खून में लथपथ देखा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे दर्द को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि संसद या देश की कोई और विधानसभा इस दुख को उतना नहीं समझ सकती जितना जम्मू-कश्मीर की विधानसभा। अतीत में भी आतंक ने इस धरती को कई बार खून से रंगा है। लेकिन इस बार चोट कहीं गहरी है। उमर ने कहा कि यह हमला हमारी आत्मा को जख्मी कर गया है।
मुख्यमंत्री उमर ने कहा कि अतीत में हमने कश्मीरी पंडितों और सिखों पर भी आतंकी हमले होते देखे हैं। इतने लंबे वक्त के बाद फिर से निर्दोषों को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि मेरे पास पीड़ितों के परिवारों से माफी मांगने के लिए भी शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मैं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए खुद लोगों को कश्मीर बुला रहा था। लेकिन आज जब मेहमानों के साथ ऐसा हुआ, तो मैं शर्मिंदा हूं। कानून व्यवस्था का जिम्मा भले मेरी प्रत्यक्ष जिम्मेदारी न हो, फिर भी मुझे जिम्मेदार महसूस होता है। उमर ने कहा कि हमें खुद से सवाल पूछने की जरूरत है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इस घटना के बाद आम लोग भी स्वत: सड़क पर उतर आए। उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर, बैनर-पोस्टर के जरिए आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट संकेत है कि अब जनता आतंक के खिलाफ हमारे साथ है। अगर लोग हमारे साथ हैं तो हम उग्रवाद को जड़ से खत्म कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे लोग हमसे दूर हो जाएं। अब वक्त है कि पूरे समाज को एकजुट कर आतंक को करारा जवाब दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब कश्मीर बदल रहा है और लोग समझ चुके हैं कि आतंक का कोई भविष्य नहीं है।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद कश्मीर की मस्जिदों में भी मृतकों को श्रद्धांजलि दी गई। मस्जिदों में मौन धारण कर आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखाई गई, जो अपने आप में ऐतिहासिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कश्मीर के मस्जिदों से ऐसी आवाज उठ रही है, तो यह बहुत बड़ी बात है। यह बताता है कि अब आतंकियों के लिए जमीन खिसक रही है। हमें इस एकजुटता को बनाए रखना होगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ सेना या पुलिस के दम पर नहीं, बल्कि जनता के सहयोग से ही आतंकवाद खत्म हो सकता है। अब हम सबकी साझा जिम्मेदारी है कि इस दर्द को एक नई ताकत में बदलें।
मुख्यमंत्री ने आदिल नाम के युवक का जिक्र करते हुए उसकी बहादुरी को सलाम किया। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आदिल ने अपनी जान जोखिम में डालकर कई पर्यटकों को बचाया। जब दूसरों ने भागने का रास्ता चुना, आदिल ने मदद करने का फैसला किया। उसने अपनी जान गंवाकर मानवता की मिसाल पेश की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे वीरों की कहानियों को सामने लाना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही कई फूड स्टॉल मालिकों ने भी घायलों को मुफ्त भोजन कराया। यह साबित करता है कि कश्मीर का दिल अब भी जिंदा है। संकट की घड़ी में इंसानियत सबसे बड़ी ताकत बनकर सामने आई है।
उमर अब्दुल्ला ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि हमें एक साथ मिलकर आतंक को जड़ से उखाड़ फेंकना है। उन्होंने कहा कि पहलगाम के शहीदों की कुर्बानी हमें हमेशा याद रहेगी। यह हमला हमें तोड़ने के लिए किया गया था, लेकिन हम इससे और मजबूत होकर उभरेंगे। मुख्यमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे एकजुट होकर आतंक के खिलाफ लड़ें। उन्होंने कहा कि यह वक्त एक-दूसरे पर आरोप लगाने का नहीं, बल्कि एकजुट होने का है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर हम सब साथ हैं, तो कोई भी ताकत हमें तोड़ नहीं सकती। उन्होंने सदन से दो मिनट का मौन रखने की अपील भी की।
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