नई दिल्ली (23 अप्रैल 2025): संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) परीक्षा 2024 में प्रीति चौहान ने 140वीं रैंक प्राप्त कर न सिर्फ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं। टेन न्यूज़ नेटवर्क से विशेष बातचीत में उन्होंने अपनी तैयारी, रणनीति और तकनीकी उपयोग को लेकर जो अनुभव साझा किए, वे हर UPSC अभ्यर्थी के लिए मार्गदर्शक साबित हो सकते हैं।
प्रीति का मानना है कि तैयारी में सफलता पढ़ाई के घंटों की गिनती से नहीं, बल्कि उन घंटों में किए गए प्रभावी अध्ययन से मिलती है। उन्होंने बताया कि यदि कोई छात्र प्रतिदिन केवल आठ घंटे पढ़ाई करता है, लेकिन पूरी एकाग्रता और समझ के साथ, तो वह दूसरों से कहीं बेहतर कर सकता है। प्रीति के अनुसार, समय के बजाय उस समय में सीखी गई बातें और आत्मसात की गई जानकारी ही असली पूंजी है। उनका अनुभव कहता है कि निरंतरता, अनुशासन और मानसिक दृढ़ता ही इस कठिन परीक्षा में सफलता की कुंजी हैं।
प्रीति ने तकनीक के सही उपयोग को भी अपनी सफलता का एक प्रमुख आधार बताया। उन्होंने कहा कि मोबाइल फोन और इंटरनेट को पढ़ाई से संबंधित सामग्री जैसे मॉक टेस्ट, वीडियो लेक्चर और अपडेट्स के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे समय की बचत होती है और फोकस बना रहता है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि सोशल मीडिया और अन्य निरर्थक गतिविधियों से दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि ये अध्ययन के सबसे बड़े शत्रु हैं।
किताबों के चयन को लेकर प्रीति ने कहा कि कम लेकिन विश्वसनीय स्रोतों का बार-बार अध्ययन ज्यादा कारगर होता है। उन्होंने बताया कि उन्होंने कुछ किताबों को 20 से 30 बार तक पढ़ा ताकि विषय की गहराई तक पहुंच सकें और उत्तर लेखन में स्पष्टता आ सके। यह तरीका उन्हें मुख्य परीक्षा में बेहद मददगार साबित हुआ।
यूपीएससी की तैयारी के दौरान मानसिक थकान और हताशा के क्षणों को लेकर भी प्रीति ने ईमानदारी से साझा किया कि कई बार उन्हें लगा कि वे यह सब छोड़ दें, लेकिन आत्मबल और परिवार के सहयोग ने उन्हें संबल दिया। यह उनका पहला प्रयास था और प्रारंभिक परीक्षा पास होने की उन्हें उम्मीद भी नहीं थी, लेकिन परिणाम आने के बाद उन्होंने पूरे उत्साह के साथ मुख्य परीक्षा की तैयारी की।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रीति ने एक ऑनलाइन कोचिंग संस्थान से मार्गदर्शन लिया और समाजशास्त्र को अपना वैकल्पिक विषय चुना। उन्होंने विभिन्न संस्थानों द्वारा आयोजित निःशुल्क साक्षात्कार सत्रों में भाग लिया और वहां से मिले फीडबैक को गंभीरता से अपनाया। अंततः इंटरव्यू में उनका चयन हुआ, जिसका श्रेय वे आत्मविश्वास, संतुलित उत्तर और सकारात्मक बॉडी लैंग्वेज को देती हैं।
प्रीति चौहान की यह उपलब्धि उन सभी युवाओं के लिए मिसाल है जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखने की हिम्मत रखते हैं। उनका कहना है कि सही दिशा, सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास से कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। यूपीएससी जैसे चुनौतीपूर्ण परीक्षा में प्रीति की सफलता यह सिद्ध करती है कि साधनों की नहीं, साधना की आवश्यकता होती है।।
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