“संसद को पूरा अधिकार है”, वक्फ संशोधन विधेयक पर कानून मंत्री का जवाब

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (22 अप्रैल 2025): वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि संसद को संविधान द्वारा मिले अधिकारों के तहत कोई भी विधेयक पास करने का पूरा हक है। दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक पूरी तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत पारित हुआ है। मेघवाल ने कहा कि जब 1954 में पहला वक्फ संशोधन हुआ, तब संसद ने ही उसे पारित किया था। इसके बाद 1995 और फिर 2013 में भी संशोधन हुए, लेकिन किसी ने तब सवाल नहीं उठाया। उन्होंने विरोध कर रहे लोगों से पूछा कि उन्हें अब अचानक संविधान की याद क्यों आ रही है। उन्होंने कहा कि यह विरोध राजनीति से प्रेरित लग रहा है।

कानून मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब यह विधेयक लेकर आए, तभी कुछ समूहों को संविधान का हवाला देना याद आया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के समय जब इसी तरह के संशोधन हुए, तब किसी ने संवैधानिक अधिकारों को चुनौती नहीं दी। मेघवाल ने इसे दोहरे मापदंड करार देते हुए कहा कि अब जब बदलाव पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, तब विरोध हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ अधिनियम में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं। इसका उद्देश्य व्यवस्था को अधिक पारदर्शी बनाना है। ऐसे में यह कहना गलत है कि संसद को ऐसा करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बयानबाजी सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए की जा रही है।

मेघवाल ने संसद की सर्वोच्चता पर जोर देते हुए कहा कि संविधान ने ही संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की असंवैधानिकता नहीं है। उन्होंने विरोध करने वालों से अपील की कि वे पहले के संशोधनों का भी अध्ययन करें। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में विरोध और असहमति का अधिकार है, लेकिन तथ्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। मंत्री ने कहा कि अगर किसी को आपत्ति है तो उसे संवैधानिक ढांचे में रहकर अपनी बात रखनी चाहिए। संसद में पारित विधेयकों को लेकर भ्रम फैलाना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। यह न सिर्फ विधायी प्रक्रिया का अपमान है, बल्कि लोगों को भटकाने वाला भी है।

विपक्षी दल और कुछ सामाजिक संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक को अल्पसंख्यकों के हितों के खिलाफ बताया है। इन समूहों का कहना है कि नए प्रावधान वक्फ संपत्तियों के अधिकार को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं सरकार का कहना है कि यह विधेयक पारदर्शिता बढ़ाने और अनियमितताओं को खत्म करने के लिए लाया गया है। सरकार ने यह भी साफ किया है कि इससे किसी धार्मिक अधिकार को ठेस नहीं पहुंचेगी। मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक देशहित में है और इसका उद्देश्य किसी वर्ग को नुकसान पहुंचाना नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सुधार समय की मांग हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा संसद और सड़कों पर कितना उबाल लाता है।।


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