दिल्ली में नई आबकारी नीति लाने की तैयारी तेज़, राजस्व बढ़ाने की तैयारी

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (10 अप्रैल 2025): दिल्ली सरकार एक नई आबकारी नीति (Excise Policy) को लागू करने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है, जिसका प्राथमिक उद्देश्य तस्करी पर लगाम लगाना, राज्य का राजस्व बढ़ाना और उपभोक्ताओं को बेहतर अनुभव प्रदान करना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में आबकारी विभाग ने नई नीति का प्रारूप प्रस्तुत किया। इस मसौदे में मौजूदा शुल्क आधारित प्रणाली के साथ-साथ उद्योगों को समान अवसर देने के लिए कुछ नीतिगत बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे दिल्ली की सीमाओं से लगते राज्यों से होने वाली शराब तस्करी को सख्ती से रोकें और ईमानदार, पारदर्शी तथा प्रभावी प्रणाली के ज़रिए राज्य के राजस्व को बढ़ाएं। मुख्यमंत्री का कहना है कि आबकारी नीति सिर्फ़ कारोबार का मामला नहीं है, बल्कि इससे सरकार की आमदनी के साथ-साथ उपभोक्ताओं का अनुभव भी जुड़ा हुआ है। इसलिए किसी भी नई नीति में पारदर्शिता और जवाबदेही की प्राथमिकता होनी चाहिए।

दिल्ली में वर्तमान में लागू आबकारी नीति सितंबर 2021 में आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई थी। लेकिन इस नीति को लेकर कथित अनियमितताओं के आरोप सामने आए, जिसके चलते केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) इसकी जांच कर रही है। इसी विवाद के बीच 1 अप्रैल 2025 से मौजूदा नीति को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है, ताकि नई नीति के निर्माण और क्रियान्वयन की तैयारी पूरी की जा सके।

AAP सरकार के दौरान वापस ली गई आबकारी नीति के बाद चार वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति बनाई गई थी, जिसे नई नीति का ढांचा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस समिति के प्रमुख तत्कालीन प्रधान सचिव (वित्त) थे। हालांकि जिस नीति को वापस लिया गया, उसके कई प्रावधान अब जांच के दायरे में हैं और इसकी गंभीरता को देखते हुए सरकार अब एक साफ़-सुथरी नीति की ओर बढ़ रही है।

नई नीति को लेकर उद्योग जगत की भी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज के महानिदेशक अनंत एस अय्यर ने सुझाव दिया है कि सरकार को विशेष रूप से उन इलाकों में खुदरा दुकानों की संख्या बढ़ानी चाहिए, जहां अभी दुकानें बेहद कम हैं। उनका मानना है कि इससे न केवल राजस्व बढ़ेगा, बल्कि तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों पर भी रोक लगेगी।

दिल्ली में इस समय 700 से अधिक शराब की दुकानें और 900 से अधिक होटल, क्लब और रेस्टोरेंट हैं, जहां शराब परोसी जाती है। अय्यर ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते, दिल्ली के उपभोक्ताओं को एक प्रीमियम अनुभव मिलना चाहिए। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि पॉश इलाकों में कुछ ऐसी दुकानें खोली जानी चाहिए, जहां केवल प्रीमियम ब्रांड्स उपलब्ध हों और उपभोक्ताओं को एक अलग अनुभव दिया जा सके।

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को भारतीय शराब ब्रांड्स पर लगने वाले पंजीकरण शुल्क में कटौती करनी चाहिए, ताकि देसी ब्रांड्स को बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धा मिल सके और छोटे व्यवसायों को बढ़ावा मिले। इससे न सिर्फ़ उद्योग को फायदा होगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी वैकल्पिक और किफायती विकल्प मिल सकेंगे।

नई आबकारी नीति को लेकर सरकार की मंशा साफ है। एक ऐसी व्यवस्था लाना जो पारदर्शी हो, राजस्व में वृद्धि करे और शराब की तस्करी पर निर्णायक कार्रवाई कर सके। हालांकि यह भी स्पष्ट है कि पिछली नीति से जुड़े विवादों के चलते नई नीति के निर्माण में बेहद सतर्कता बरती जा रही है।

सरकार के भीतर भी यह समझदारी बनी है कि आबकारी नीति सिर्फ़ एक वित्तीय मसला नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील विषय है। ऐसे में नीति निर्माण में सभी पक्षों उद्योग, उपभोक्ता, प्रशासन और विधि की भागीदारी सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है। नई नीति के लागू होने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह दिल्ली की आबकारी व्यवस्था में स्थायित्व और पारदर्शिता ला पाएगी।।


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