दिल्ली की सरकारी इमारतों की होगी भूकंपीय जांच, भूकंप से सुरक्षा को लेकर तैयार हो रहा विस्तृत मूल्यांकन

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (10 अप्रैल 2025): दिल्ली में हाल ही में म्यांमार में आए भूकंप के झटकों के बाद एक बड़ा और अहम फैसला लिया गया है। राजधानी में मौजूद सभी सरकारी इमारतों की भूकंपीय सुरक्षा की जांच की जाएगी ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में जान-माल की हानि से बचा जा सके। इस दिशा में पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) को ज़िम्मेदारी सौंपी गई है कि वह सभी प्रमुख सरकारी संस्थानों की भूकंप जोखिम का मूल्यांकन करे और समय रहते जरूरी कदम उठाए।

3 अप्रैल की सुबह म्यांमार में आए भूकंप के झटके दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में महसूस किए गए थे। इस घटना ने दिल्ली के सरकारी तंत्र को एक बार फिर झकझोर दिया और भूकंपीय तैयारियों पर पुनर्विचार की जरूरत को उजागर किया। इसी के मद्देनज़र अब तय किया गया है कि दिल्ली की सभी सरकारी इमारतों – जैसे अस्पताल, स्कूल, पुलिस स्टेशन, इंजीनियरिंग भवन, कार्यालय और अन्य विभागीय संरचनाओं की सेफ्टी ऑडिट कराई जाएगी।

पीडब्ल्यूडी ने सभी इंजीनियरों को यह निर्देश दिए हैं कि वे अपनी-अपनी ज़िम्मेदारी वाली सरकारी इमारतों की जांच कर भूकंपीय सुदृढ़ता (seismic vulnerability) का विश्लेषण करें। हर विभाग को कहा गया है कि वे अपने भवनों की स्थायित्व रिपोर्ट तैयार कर 30 अप्रैल तक जमा करें। यह रिपोर्ट निर्धारित करेगी कि कौन-सी इमारतें भूकंप के लिए उपयुक्त हैं और किन्हें मरम्मत या पुनर्निर्माण की ज़रूरत है।

रिपोर्ट में यह देखा जाएगा कि इमारत किस वर्ष बनी है, उसमें किस तरह की निर्माण सामग्री का उपयोग हुआ है, क्या उसमें भूकंप रोधी तकनीकों का पालन किया गया है या नहीं, और उसमें आपदा के समय निकासी मार्ग (evacuation plan) की व्यवस्था है या नहीं। इसके अलावा भवन के नींव की गहराई, स्तंभों की मजबूती, दीवारों में दरारें और छत की संरचना जैसी बातों की भी बारीकी से जांच की जाएगी।

यदि किसी सरकारी विभाग ने भूकंप सुरक्षा संबंधी मानकों का पालन नहीं किया है, तो उन्हें तुरंत योजना पर दोबारा कार्य करना होगा। साथ ही नई परियोजनाओं को ज़मीन आवंटन तभी किया जाएगा जब वे भूकंपीय सुरक्षा मानकों को पूरा करती हों। यह कदम न केवल नई इमारतों को सुरक्षित बनाएगा बल्कि पुरानी इमारतों को भी सुरक्षित रूप से उपयोग में लाए जाने की दिशा में मदद करेगा। दिल्ली भूकंपीय जोन-4 में आता है, जिसे उच्च जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है। यहां की घनी आबादी और पुराने निर्माण ढांचे को देखते हुए किसी भी बड़े भूकंप की स्थिति में भारी नुकसान की आशंका बनी रहती है। ऐसे में यह पहल बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सरकारी ढांचे की सुरक्षा के साथ-साथ आमजन की जान की हिफाजत से जुड़ा है।

सरकार का यह फैसला न केवल तकनीकी दृष्टि से एक बड़ी पहल है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि आपदा प्रबंधन अब प्रशासन की प्राथमिकता बन चुका है। अगर यह मूल्यांकन प्रक्रिया प्रभावी रूप से की गई और रिपोर्टों के आधार पर समयबद्ध कार्रवाई की गई, तो न केवल इमारतें सुरक्षित होंगी बल्कि दिल्ली एक आपदा-सुरक्षित राजधानी बनने की ओर भी अग्रसर होगी। यह कदम दिल्ली के भविष्य को अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में एक मजबूत नींव साबित हो सकता है।


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