दिल्ली को मिली 670 नई बसों की सौगात, मोहल्ला बसें पहली बार दौड़ेगी सड़कों पर
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (09 अप्रैल 2025): दिल्ली की सड़कों पर इस सप्ताह 670 नई बसें उतरने जा रही हैं, जिससे सार्वजनिक परिवहन को नया बल मिलेगा। महीनों से डिपो में खड़ी इन बसों को लेकर अब सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। स्वदेशी अनुपालन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता से अस्थायी राहत देते हुए सरकार ने इन्हें सड़कों पर लाने की मंजूरी दे दी है। इनमें 390 बड़ी इलेक्ट्रिक बसें हैं, जबकि 280 नौ मीटर लंबी मिनी ‘मोहल्ला बसें’ होंगी, जो राजधानी की सड़कों पर पहली बार नजर आएंगी। यह कदम न केवल यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाएगा, बल्कि मार्च तक हटाई गई 790 डीटीसी बसों की कमी को भी पूरा करेगा।
परिवहन मंत्री डॉ. पंकज सिंह ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि कंपनियों से स्वदेशी अनुपालन प्रमाण पत्र की शर्त पहले जरूरी थी। लेकिन कई बस निर्माता कंपनियां यह प्रमाणपत्र समय पर नहीं ला सकीं, जिससे परिचालन में देरी हुई। अब सरकार ने आंशिक प्रमाणपत्र के साथ बसों को अस्थायी मंजूरी दी है। बाकी बसों के लिए कंपनियों ने शपथ पत्र देकर छह महीने में प्रमाण पत्र लाने का वादा किया है। इससे सड़कों पर बसों की कमी को तत्काल दूर करने में मदद मिलेगी और यात्री सुविधा भी बेहतर होगी।
राजधानी में सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय ई-बस योजना के तहत 12 मीटर लंबी 1900 बसों और लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए 1040 नौ मीटर वाली मिनी बसों की निविदाएं जारी की थीं। बड़ी बसों का अधिकतर बेड़ा पहले ही सड़कों पर उतर चुका है। अब 390 बसों को और उतारा जा रहा है, जबकि मिनी बसों में से सिर्फ 280 अब तक पहुंची थीं। लेकिन स्वदेशी अनुपालन प्रमाणपत्र के अभाव में ये परिचालन से वंचित थीं। अब इन्हें भी मंजूरी मिल गई है, जिससे मोहल्ला स्तर पर बेहतर सेवा सुनिश्चित होगी।
जनवरी से मार्च 2025 के बीच 790 पुरानी डीटीसी बसें उनकी निर्धारित आयु पूरी होने के बाद हटा दी गई थीं। आने वाले अप्रैल और मई में भी 476 और बसें रिटायर होने जा रही हैं। इससे डीटीसी की बसों की संख्या घटकर 3200 के करीब पहुंचने की आशंका थी। ऐसे में सरकार के इस फैसले से राहत मिली है और बसों की उपलब्धता में बड़ा सुधार होगा। अप्रैल में ही 670 नई बसों के सड़कों पर उतरने से लोगों को बेहतर और अधिक विकल्प मिल सकेंगे।
स्वदेशी अनुपालन प्रमाणपत्र को लेकर निविदा में यह शर्त रखी गई थी कि बस निर्माता कंपनियों को यह सिद्ध करना होगा कि उन्होंने बस निर्माण में 50 प्रतिशत से अधिक घरेलू सामग्रियों का उपयोग किया है। यह प्रमाणपत्र आईसीएटी और एआरएआई जैसी एजेंसियों से लेना होता है, जो सीएमवीआर नियमों के तहत जारी किया जाता है। लेकिन कंपनियां समय पर यह प्रक्रिया पूरी नहीं कर सकीं। नतीजतन, 8 महीने से अधिक समय तक ये बसें डिपो में खड़ी रहीं। अब सरकार ने इन्हें अस्थायी मंजूरी देकर परिचालन शुरू करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
यह निर्णय जहां यात्री सुविधाओं को बढ़ावा देगा, वहीं दिल्ली के बढ़ते ट्रैफिक लोड के बीच पब्लिक ट्रांसपोर्ट को एक नई रफ्तार देगा। खास तौर पर मोहल्ला बसों की शुरुआत से कॉलोनियों और तंग इलाकों में आवाजाही आसान होगी। सरकार का मानना है कि अगले कुछ महीनों में सभी प्रमाण पत्र पूरे हो जाएंगे और तब तक यात्री इन बसों का लाभ उठा सकेंगे। स्वदेशीकरण की नीति को संरक्षित रखते हुए सरकार ने यह लचीला कदम उठाया है, जिससे संतुलन बना रहे।।
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