नई दिल्ली, (5 अप्रैल 2025): ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने हाल ही में संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर गंभीर आपत्ति जताई है और राष्ट्रपति से तत्काल मुलाकात का समय मांगा है।
बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एस.क्यू.आर. इलियास ने कहा कि इस अधिनियम में किए गए संशोधन वक्फ संस्थानों के प्रशासन और स्वायत्तता पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि “संशोधन धार्मिक और परोपकारी गतिविधियों में ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली वक्फ संस्थाओं की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है।”
AIMPLB ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के लिए चिंताजनक है और इसे असंवैधानिक करार दिया। पत्र में कहा गया कि नया अधिनियम मुस्लिम समुदाय पर सीधा हमला है और इसके प्रावधानों को फिर से देखने की आवश्यकता है क्योंकि यह संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और धार्मिक संस्थाओं की सुरक्षा के मूल अधिकारों के विपरीत है।

बोर्ड के महासचिव ने अपने पत्र में लिखा कि “हम मानते हैं कि अधिनियम के प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए क्योंकि यह भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।”
AIMPLB ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वे इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द से जल्द मुलाकात का समय दें ताकि इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके और संवैधानिक दायरे में समाधान खोजा जा सके।
बोर्ड के सचिव डॉ. वकार उद्दीन लतीफ द्वारा जारी इस बयान के साथ AIMPLB ने सरकार से अपील की है कि वे इस कानून के प्रभावों पर पुनर्विचार करें।।
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