WAQF Amendment Bill 2024: राज्यसभा से भी पारित, राष्ट्रपति की मंजूरी शेष
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (04 अप्रैल 2025): केंद्र सरकार के लिए अहम माने जा रहे वक्फ संशोधन विधेयक (WAQF Amendment Bill) 2024 को राज्यसभा से भी बहुमत के साथ मंजूरी मिल गई है। लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका यह विधेयक अब सिर्फ राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 वोट पड़े जबकि 95 सांसदों ने विरोध में मतदान किया। यह परिणाम सरकार के लिए एक बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय से लंबित इस विधेयक को लेकर सरकार की रणनीति सफल रही। अब यह कानून बनने के अंतिम चरण में पहुंच चुका है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानूनी रूप ले लेगा।
राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर लगभग 13 घंटे तक बहस चली। इससे पहले लोकसभा में भी यह विधेयक 12 घंटे की लंबी बहस के बाद पारित हुआ था। दोनों सदनों में इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई और पक्ष-विपक्ष की दलीलें सामने आईं। यह दर्शाता है कि विधेयक को लेकर राजनीतिक दलों के बीच गहरी मतभेद मौजूद हैं। बहस के दौरान कई सदस्यों ने विधेयक के प्रावधानों पर सवाल उठाए। वहीं, सरकार ने इसे पारदर्शिता और व्यवस्था सुधार का कदम बताया। लंबी बहस के बावजूद सरकार ने अपने पक्ष में संख्या बल जुटाने में सफलता पाई। अंततः यह विधेयक बहुमत से पारित कर लिया गया।
वोटिंग के परिणामों ने विपक्ष की कमजोर रणनीति और आंतरिक एकजुटता की कमी को उजागर कर दिया। विरोध करने वाले कई सांसद वोटिंग के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे, जिससे सत्तापक्ष को फायदा मिला। विपक्षी दलों की यह विफलता उनके संगठनात्मक ढांचे पर भी सवाल खड़े करती है। संसद में किसी बड़े विधेयक पर एकजुटता न दिखा पाना उनकी राजनीतिक स्थिति को कमजोर करता है। सरकार ने इस मौके का भरपूर लाभ उठाते हुए विधेयक को पारित करा लिया। बहुमत के साथ मिली सफलता सरकार की राजनीतिक सूझबूझ का परिणाम है। इससे यह संदेश भी गया कि विपक्ष सरकार की गति को रोकने में फिलहाल सक्षम नहीं है।
वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के दौरान एक दिलचस्प घटना देखने को मिली। देर रात जब मतदान हो रहा था, तब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ आसन पर उपस्थित थे। विपक्ष के कुछ सदस्य उन्हें देखकर हैरान रह गए और इस पर सवाल भी उठाया। इस पर सभापति ने स्पष्ट किया कि उन्हें भी वोट डालने का अधिकार है। ट्रेजरी बेंच की ओर से जब कहा गया कि उनकी वोटिंग की जरूरत नहीं है, तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “दूर-दूर तक जरूरत नहीं है।” यह पल सदन में हल्के-फुल्के माहौल का कारण बना। लेकिन इससे यह भी साफ हुआ कि सरकार को विपक्ष की जरूरत तक नहीं पड़ी।
संसद ने सिर्फ वक्फ संशोधन विधेयक ही नहीं, बल्कि मुसलमान वक्फ (रिपील) बिल 2025 को भी पारित कर दिया है। यह विधेयक पहले ही लोकसभा से पारित हो चुका था और अब राज्यसभा की मंजूरी के साथ इसे भी अंतिम मंजूरी मिल गई है। इस विधेयक का उद्देश्य पुराने कानूनों को समाप्त कर नए कानूनी प्रावधान लागू करना है। अब इन दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही ये कानून बन जाएंगे। इससे संबंधित नियमावली को सरकार बाद में अधिसूचित करेगी। यह बदलाव वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में व्यापक असर डालेगा।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को 4 अप्रैल 2025 को राज्यसभा में देर रात 2 बजकर 32 मिनट पर पारित किया गया। ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह विधेयक दिन में 1 बजे सदन के पटल पर रखा गया था। इसके बाद घंटों लंबी बहस और चर्चा के बाद अंततः यह पारित हुआ। विधेयक को लेकर चर्चा पूरे दिन और रात चली, जिससे इसकी संवेदनशीलता और महत्व स्पष्ट होता है। यह दर्शाता है कि सरकार इसे लेकर गंभीर थी और किसी भी कीमत पर इसे पारित कराना चाहती थी। अंततः उसने ऐसा कर दिखाया। यह एक रणनीतिक जीत कही जा सकती है।
विधेयक के अहम प्रावधानों की बात करें तो अब सेंट्रल वक्फ काउंसिल में कुल 22 सदस्य होंगे। इनमें से चार से अधिक सदस्य गैर-मुस्लिम नहीं हो सकते। यह प्रावधान वक्फ काउंसिल की संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की निगरानी और प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता लाना है। इसके साथ ही कई पुराने नियमों को हटाकर नई व्यवस्था लागू की जाएगी। सरकार का दावा है कि इससे वक्फ बोर्ड के कामकाज में सुधार होगा। हालांकि, विपक्ष का कहना है कि इससे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर असर पड़ सकता है। इस बहस के बीच कानून बनने की प्रक्रिया अब लगभग पूरी हो चुकी है।
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