दिल्ली उच्च न्यायालय ने खेल संघों की गुटबाजी पर जताई नाराजगी!

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (03 अप्रैल 2025): दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में खेल संघों के भीतर लगातार बढ़ रही गुटबाजी और कानूनी विवादों पर गहरी चिंता जताई है। अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि यदि यह आपसी कलह जल्द खत्म नहीं हुई तो वह कठोर कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। यह टिप्पणी हाईकोर्ट ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (BFI) के चुनावी विवाद से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान दी।

अदालत ने कहा कि खेल संघों का मुख्य उद्देश्य खेलों को बढ़ावा देना और खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करना होना चाहिए, लेकिन इसके बजाय वे आंतरिक गुटबाजी में उलझे हुए हैं। इस तरह की स्थिति न केवल खेलों के विकास में बाधा डाल रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा रही है।

मामला तब शुरू हुआ जब BFI ने 7 मार्च को एक आदेश जारी कर कहा कि केवल राज्य इकाइयों के निर्वाचित सदस्य ही आगामी चुनाव में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे। इस फैसले को दिल्ली एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसके बाद 19 मार्च को एकल न्यायाधीश ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी।

इस रोक के खिलाफ BFI ने हाईकोर्ट में अपील दायर की और तर्क दिया कि चुनाव प्रक्रिया पहले ही उन्नत चरण में पहुंच चुकी थी, ऐसे में इस पर रोक लगाने से पूरी चुनावी व्यवस्था प्रभावित होगी। महासंघ ने यह भी कहा कि कोर्ट का आदेश व्यावहारिक रूप से लागू करना कठिन होगा और इससे संगठन के कामकाज में बाधा उत्पन्न होगी।

सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने खेल संघों की स्वायत्तता पर भी जोर दिया। अदालत ने कहा कि यदि गुटबाजी और कानूनी लड़ाइयां इसी तरह चलती रहीं तो अंतरराष्ट्रीय खेल निकाय भारत के संघों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक चार्टर के अनुसार, खेल संघों को स्वायत्त रहना चाहिए, लेकिन लगातार बढ़ते विवाद इस स्वायत्तता को खतरे में डाल रहे हैं।

हाईकोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि खेल संघों को जल्द से जल्द अपने आंतरिक मतभेद सुलझाने होंगे, अन्यथा अदालत को कठोर निर्णय लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। अदालत ने सभी पक्षों को खेलों के व्यापक हित में आपसी सहमति से समाधान निकालने की सलाह दी।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी, और कयास लगाए जा रहे हैं कि कोर्ट कोई बड़ा फैसला सुना सकती है। यदि खेल संघों के बीच जारी गतिरोध समाप्त नहीं हुआ तो अदालत कोई कड़ा कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेगी।

यह देखना दिलचस्प होगा कि हाईकोर्ट इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेती है और क्या BFI के चुनावी संकट का कोई समाधान निकल पाता है। वहीं, यह मामला अन्य खेल संघों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश हो सकता है कि वे अपने आंतरिक विवादों को सुलझाकर खेलों के विकास पर ध्यान केंद्रित करें।।


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