दिल्ली में PUC जांच में बड़ा घोटाला, बिना टेस्टिंग जारी किए प्रदूषण सर्टिफिकेट
टेन न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली (02 अप्रैल 2025): दिल्ली में गाड़ियों के प्रदूषण जांच केंद्रों (PUC सेंटर) पर भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2020 के बीच लाखों वाहनों को बिना जांच किए ही प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUC) जारी कर दिए गए। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 24% डीजल गाड़ियों की टेस्ट वैल्यू रिकॉर्ड ही नहीं की गई, जबकि 4,007 वाहनों में प्रदूषण मानकों से अधिक उत्सर्जन के बावजूद उन्हें प्रमाण पत्र दे दिया गया।
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पेट्रोल, सीएनजी और एलपीजी से चलने वाली करीब 1.08 लाख गाड़ियों को तय सीमा से अधिक धुआं छोड़ने के बावजूद PUC प्रमाण पत्र जारी किए गए। इतना ही नहीं, 7,643 मामलों में एक ही समय पर एक ही केंद्र पर एक से अधिक गाड़ियों की जांच की गई, जो तकनीकी रूप से संभव नहीं है। 76,865 मामलों में मात्र एक मिनट से भी कम समय में वाहनों की प्रदूषण जांच कर उन्हें प्रमाण पत्र दे दिया गया।
गाड़ियों की फिटनेस जांच में भी अनियमितताएं
CAG रिपोर्ट में गाड़ियों की फिटनेस जांच पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। लगभग 95% वाहनों की जांच मैनुअल तरीके से की गई, जहां सिर्फ ऊपरी निरीक्षण के आधार पर उन्हें फिट घोषित कर दिया गया। दिल्ली में झुलझुली स्थित ऑटोमेटेड वीकल इंस्पेक्शन यूनिट का बहुत कम उपयोग हुआ। इस सेंटर की क्षमता प्रतिदिन 167 वाहनों की जांच करने की थी, लेकिन 2020-21 में प्रतिदिन केवल 24 वाहनों की ही फिटनेस जांच की गई।
DTC बसों की कमी बनी प्रदूषण बढ़ने की वजह
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि दिल्ली सरकार ने पिछले 10 वर्षों में (2011-12 से 2020-21 तक) दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के लिए एक भी नई बस नहीं खरीदी। 2011 में दिल्ली को 11,000 बसों की जरूरत थी, लेकिन 2014 तक DTC की केवल 5,223 बसें थीं, जो मार्च 2021 तक घटकर 3,760 रह गईं। सार्वजनिक परिवहन की इस कमी के कारण लोगों ने निजी वाहनों की खरीदारी बढ़ा दी, जिससे शहर में प्रदूषण का स्तर और अधिक बढ़ गया।
सार्वजनिक परिवहन की गिरती स्थिति
क्लस्टर योजना के तहत बसों की संख्या 2015 में 1,292 थी, जो 2021 तक बढ़कर 2,990 हो गई। हालांकि, 2018 में सरकार ने 1,000 नई इलेक्ट्रिक बसें खरीदने का फैसला किया था, लेकिन 385 बसों की खरीद के लिए निकाले गए टेंडर को 2021 में रद्द कर दिया गया। इससे सार्वजनिक परिवहन की स्थिति और बिगड़ गई।
निजी गाड़ियों की संख्या में बड़ा उछाल
सार्वजनिक परिवहन की गिरती स्थिति के चलते दिल्ली में निजी गाड़ियों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई। 2011 तक दिल्ली में 43 लाख दोपहिया वाहन पंजीकृत थे, जिनकी संख्या 2021 तक बढ़कर 81 लाख हो गई। वहीं, कुल पंजीकृत वाहनों की संख्या 69 लाख से बढ़कर 1 करोड़ 30 लाख हो गई, जिससे शहर में ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या और विकराल हो गई।
सरकार की लापरवाही उजागर
CAG की रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ है कि दिल्ली सरकार ने PUC जांच केंद्रों की कोई प्रभावी निगरानी नहीं की। न ही इन केंद्रों की गुणवत्ता जांच के लिए कोई थर्ड-पार्टी ऑडिट कराया गया। इस घोर लापरवाही के कारण प्रदूषण नियंत्रण प्रक्रिया महज एक औपचारिकता बनकर रह गई है। रिपोर्ट में सख्त सुधारों की सिफारिश की गई है ताकि सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत किया जा सके और प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा सके।
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