नई दिल्ली (30 मार्च 2025): सोशल मीडिया पर व्यूज और लाइक्स की होड़ में लोग कभी-कभी ऐसे कदम उठा लेते हैं जो उन्हें जेल तक पहुंचा देती है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली मेट्रो के राजीव चौक स्टेशन पर सामने आया, जहां एक प्रैंक वीडियो ने पूरे शहर में हड़कंप मचा दिया। इस वीडियो में एक बच्चे के दिनदहाड़े अपहरण का दावा किया गया था, जिससे यात्रियों और आम जनता में दहशत फैल गई। लेकिन पुलिस जांच में यह वीडियो महज एक प्रैंक निकला, जिसे चार युवकों ने शूट किया था। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इन चारों को गिरफ्तार कर लिया है।
कैसे सामने आया सच?
25 मार्च 2025 को सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो ने लोगों में भय का माहौल बना दिया। दिल्ली मेट्रो पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच शुरू की और राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज की छानबीन की। फुटेज में किसी भी तरह की अपहरण की घटना सामने नहीं आई, जिससे पुलिस को वीडियो की सच्चाई पर संदेह हुआ। इसके बाद पुलिस ने सोशल मीडिया अकाउंट्स को ट्रेस किया और 28 मार्च 2025 को वीडियो अपलोड करने वाले व्यक्ति तक पहुंच गई। पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह वीडियो 19 मार्च को प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर चार युवकों सूरज, पंकज, अभिषेक और साकिर द्वारा शूट किया गया था।
सोशल मीडिया पर व्यूज के लिए किया प्रैंक
पुलिस जांच में पता चला कि वीडियो में दिखाया गया बच्चा वास्तव में अपहरण का शिकार नहीं था, बल्कि प्रैंक करने वाले एक युवक का ही भतीजा था। आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने यह वीडियो केवल सोशल मीडिया पर लोकप्रियता हासिल करने के लिए बनाया था। वीडियो को इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया, लेकिन जैसे ही पुलिस ने कार्रवाई शुरू की, इसे हटा दिया गया।
कानूनी शिकंजे में चारों आरोपी
इस भ्रामक वीडियो से जनता में दहशत फैलाने और सार्वजनिक शांति भंग करने के आरोप में दिल्ली मेट्रो पुलिस ने चारों युवकों के खिलाफ मेट्रो रेलवे (संचालन एवं रखरखाव) अधिनियम, 2002 की धारा 59 के तहत मामला दर्ज किया है।
दिल्ली पुलिस की कड़ी चेतावनी
दिल्ली मेट्रो पुलिस के डीसीपी हरेश्वर वी. स्वामी ने कहा कि इस तरह के झूठे वीडियो न केवल अफवाहें फैलाते हैं बल्कि मेट्रो यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरे में डालते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को चेतावनी दी कि झूठी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना एक महत्वपूर्ण सीख है कि सोशल मीडिया पर लोकप्रियता पाने की कोशिश में कोई भी गैर-जिम्मेदाराना हरकत न करें। झूठी अफवाहें फैलाने से न केवल कानून का उल्लंघन होता है, बल्कि इससे समाज में अनावश्यक तनाव भी पैदा होता है। पुलिस द्वारा उठाए गए इस कदम से भविष्य में ऐसे मामलों पर सख्ती से रोक लगाने की उम्मीद की जा सकती है।
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