AI का उपयोग कहां और कैसे करें | प्रोफेसर डी पी सिंह , कुलाधिपति , TISS | EPSI – The Road Ahead 2.0

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (29 मार्च 2025): EPSI द्वारा “द रोड अहेड 2.0” (The Road Ahead 2.0) पुस्तक का विमोचन समारोह नई दिल्ली के पीएचडी हाउस में आयोजित हुआ। इस विशेष अवसर पर कई विद्वानों एवं तकनीकी एक्सपर्ट्स ने अपने विचार व्यक्त किए। “द रोड अहेड 2.0 पुस्तक के लेखक प्रो.(डॉ) टी. जी. सीताराम, चेयरमैन, AICTE; और सह लेखक योगी कोचर, संस्थापक, YOL; हैं। पुस्तक विमोचन समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में UGC के पूर्व चेयरमैन एवं उत्तर प्रदेश सरकार के सलाहकार और TISS (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज) के कुलाधिपति प्रो. डीपी सिंह उपस्थित रहे। इस विशेष अवसर पर टेन न्यूज नेटवर्क के संवाददाता जी.के.झा ने प्रो. डीपी सिंह से AI के उपयोग, सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर व्यापक चर्चा की।

AI के आने के बाद महत्वपूर्ण परिवर्तन

प्रो.डीपी सिंह ने टेन न्यूज नेटवर्क से विशेष बातचीत में कहा कि, जो भी नई तकनीक आते हैं तो उसके दोनों पक्ष होते हैं सकारात्मक भी और नकारात्मक भी, AI आज के समय की मांग है। हमने AI के प्रयोग से पाया कि अध्ययन, अध्यापन और जीवन जीना कितना आसान हो गया है। कोरोना काल में हमने पाया कि किस तरह से ऑनलाइन लर्निंग में इसका उपयोग हो सकता है। हमारी टेक्निकल टूल्स (तकनीकी उपकरण) में इसका उपयोग हो सकता है। ठीक उसी तरह AI का उपयोग हमें करना चाहिए लेकिन एथिकल कार्यों (नैतिक कार्यों) के लिए करना चाहिए। इसका उपयोग रचनात्मकता के साथ करना चाहिए है, हमें हमारे संवेदना, रचनात्मकता, सृजनात्मक क्षमता, बौद्धिकता और नैतिकता के साथ जोड़कर इसका उपयोग करना चाहिए और इसके नकारात्मक प्रभाव को भी ध्यान में रखना चाहिए।

“द रोड अहेड 2.0” पुस्तक में AI के किस दृष्टिकोण का उल्लेख है

प्रो. डीपी सिंह ने पुस्तक के विषय में बात करते हुए कहा कि इस पुस्तक को AICTE के चेयरमैन प्रो. (डॉ) टी.जी. सीताराम और YOL ऐप के संस्थापक योगी कोचर ने लिखी है। दो वॉल्यूम में पुस्तक है और काफी अच्छी लिखी गई है। पुस्तक में AI के सभी पक्षों का उल्लेख किया गया है, कई बड़े विद्वानों की बातों को, उनके अध्ययन को और उनके शोध को पुस्तक में समाहित किया गया है। इतना ही नहीं बल्कि इस पुस्तक में AI को लेकर हमारे भविष्य की चिंताओं का भी उल्लेख किया गया है, और हमें सचेत किया गया है। इसके साथ ही इस पुस्तक में AI द्वारा किस कार्यों को कुशलता पूर्वक किया जा सकता है उसका भी उल्लेख किया गया है और किन कार्यों को नहीं किया जा सकता है उसका भी उल्लेख किया गया है। कुल मिलाकर इस पुस्तक में AI के सभी पक्षों को समाहित कर एक समग्र विश्लेषण किया गया है।

NEP 2020 में AI की भूमिका

प्रो.डीपी सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विषय में चर्चा करते हुए कहा कि, UGC के चेयरमैन रहते हुए मुझे ये सौभाग्य मिला कि मैं NEP 2020 के निर्मात्री समिति का हिस्सा रहा। NEP 2020 में शिक्षा, रचनात्मकता, नवाचार, भारतीय ज्ञान पद्धति आदि पर विशेष जोर दिया गया है लेकिन इसके साथ ही एक और विषय पर खास जोर दिया गया है और वह है तकनीकी आधारित शिक्षा, इसपर भी काफी जोर दिया गया है। तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दिया गया है और ये बढ़ावा ना केवल पठन- पाठन में बल्कि पूरे संस्थागत गतिविधियों में दिया गया है। गवर्नेंस में AI के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया है और इसके साथ ही NETF (नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम) तैयार किया गया है। जिसके माध्यम से स्कूल से लेकर उच्च स्तरीय शिक्षा तक में इसको काफी बढ़ावा दिया गया है।

विकसित भारत में EPSI की भूमिका

प्रो. डीपी सिंह ने कहा कि, विकसित भारत की यात्रा में वैसे तो सभी का योगदान होना चाहिए और EPSI निजी संस्थानों और विश्वविद्यालयों का एक सशक्त संगठन है और सभी अच्छी और बड़ी संस्थाएं इससे जुड़ी है। इसीलिए इनकी एक अहम भूमिका है, और विकसित भारत के लिए जिस पीढ़ीगत तैयारियों की जरूरत है उसमें EPSI जैसे संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका है।

साथ ही आखिरी में उन्होंने बताया कि स्कूलों, विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों में AI के सकारात्मक पहलू को समाहित करना चाहिए और छात्रों में नैतिक पक्षों के साथ, रचनात्मकता और सृजनात्मक क्षमता का विकास करना चाहिए। युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि सोशल मीडिया के जाल को समझें और उस पर अपना समय व्यर्थ ना करें बल्कि जितना आवश्यक है और जितना आपके लिए उपयोगी हो उतना ही उपयोग करें।

गौरतलब है कि AI के प्रयोग और इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को लेकर दुनिया भर में चर्चा तेज हो गई है। इस क्षेत्र के विद्वान एवं एक्सपर्ट्स जहां एक तरफ इसे डिजिटल युग और विज्ञान की क्रांति बता रहे हैं वहीं दूसरी तरफ भविष्य को लेकर अपनी चिंताएं भी व्यक्त कर रहे हैं। प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग्स ने बीबीसी का बताया कि, “पूर्ण कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास मानव जाति के अंत का संकेत हो सकता है… यह अपने आप ही आगे बढ़ जाएगा, और लगातार बढ़ती दर से खुद को फिर से डिज़ाइन करेगा। मनुष्य, जो धीमी जैविक विकास द्वारा सीमित हैं, प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते, और पीछे छूट जाएंगे।”


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