राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव, पक्षपात के आरोप!

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (10 दिसंबर 2024): कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक ने संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। विपक्ष का आरोप है कि धनखड़ सदन की कार्यवाही के दौरान सत्तारूढ़ दल का पक्ष लेते हैं और विपक्ष की आवाज दबाने का प्रयास करते हैं।

विपक्ष के आरोप

विपक्ष का कहना है कि धनखड़ का कामकाज पक्षपातपूर्ण है। तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी सहित 71 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। विपक्ष का दावा है कि संसद की कार्यवाही में बार-बार उनकी बातों को दबाया गया और सरकार को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई।

राजनीतिक विवाद और सदन में हंगामा

अविश्वास प्रस्ताव ऐसे समय में पेश किया गया जब भाजपा ने कांग्रेस पर अरबपति जॉर्ज सोरोस के साथ मिलकर देश को अस्थिर करने का आरोप लगाया। इस आरोप के बाद संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ और कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

विपक्ष की प्रतिक्रियाएं

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला ने सरकार पर संसद को न चलने देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार 75 वर्षों की उपलब्धियों पर चर्चा से बच रही है। राजीव शुक्ला ने यह भी स्पष्ट किया कि सोनिया गांधी का जॉर्ज सोरोस से कोई संबंध नहीं है।

बीजद का रुख

बीजू जनता दल के अध्यक्ष नवीन पटनायक ने कहा कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव पर आवश्यक कदम उठाएगी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि प्रस्ताव का समर्थन किया जाएगा या नहीं। राज्यसभा में बीजद के सात सदस्य होने के कारण उनका रुख काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

विपक्षी दलों की एकता

इस बार विपक्षी दल एकजुट होकर प्रस्ताव के समर्थन में खड़े हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, जो पहले कांग्रेस से दूरी बनाए हुए थीं, ने भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।

अविश्वास प्रस्ताव का मतलब

अविश्वास प्रस्ताव के तहत विपक्ष किसी सरकार या सभापति की कार्यशैली पर सवाल उठाता है। इसे सदन में पेश करने के लिए कम से कम 50 सांसदों का समर्थन आवश्यक होता है। प्रस्ताव पेश होने के बाद 10 दिनों के भीतर चर्चा और मतदान कराया जाता है।

राज्यसभा में जगदीप धनखड़ के खिलाफ यह प्रस्ताव संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष की नाराजगी का संकेत है। अब देखना होगा कि यह प्रस्ताव सदन में कितना प्रभाव डालता है।।


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