AAP सरकार के दौरान घाटे में पहुंची DTC: CAG रिपोर्ट में हुए कई खुलासे

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (24 मार्च 2025): दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को विधानसभा सत्र के दौरान दिल्ली परिवहन निगम (DTC) पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट पेश की। यह सदन में पेश की गई तीसरी CAG रिपोर्ट है, जिसमें निगम के वित्तीय और परिचालन संबंधी कई गंभीर खामियों का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, AAP सरकार के कार्यकाल में DTC को भारी नुकसान हुआ और बसों की संख्या में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। इस रिपोर्ट में निगम के संचालन, वित्तीय प्रबंधन और कार्यप्रणाली में लापरवाहियों को उजागर किया गया है।

AAP सरकार में DTC को हुआ भारी घाटा, बसों की संख्या घटी

CAG रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में DTC के पास 4,344 बसें थीं, लेकिन 2022-23 तक यह संख्या घटकर 3,937 रह गई। यानी निगम के बेड़े से करीब 400 बसें कम हो गईं, जिससे सार्वजनिक परिवहन की सेवाएं प्रभावित हुईं। इसी अवधि में निगम का कुल घाटा 25,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 60,750 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय संकट के बावजूद निगम के पास कोई ठोस व्यापार योजना नहीं थी। सरकार से आर्थिक सहायता मिलने के बावजूद निगम केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीद सका, जिससे परिचालन क्षमता में गिरावट आई।

वित्तीय समझौते की कमी और गलत रणनीति बनी घाटे की वजह

CAG रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि DTC और दिल्ली सरकार के बीच कोई वित्तीय समझौता ज्ञापन (MoU) नहीं हुआ, जिससे निगम के वित्तीय और परिचालन लक्ष्यों को तय करने में बाधा आई। अन्य राज्य परिवहन निगमों (STUs) के साथ DTC के प्रदर्शन की कोई तुलना नहीं की गई, जिससे संचालन में सुधार के अवसर भी नहीं मिल सके। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि निगम की वित्तीय नीतियों में पारदर्शिता की कमी थी और भविष्य के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई गई, जिससे घाटा लगातार बढ़ता चला गया।

668.60 करोड़ रुपये के संभावित राजस्व नुकसान का दावा

CAG रिपोर्ट के अनुसार, बसों के बार-बार खराब होने और गलत रूट प्लानिंग के कारण 2015 से 2022 के बीच DTC को 668.60 करोड़ रुपये के संभावित राजस्व नुकसान का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट में बताया गया कि कुल 814 बस रूटों में से केवल 468 (57%) रूटों पर ही सेवाएं दी जा रही थीं। बसों की उत्पादकता भी राष्ट्रीय औसत से कम रही, जिससे यात्रियों को अधिक परेशानी उठानी पड़ी। परिचालन क्षमता में गिरावट से निगम की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था कमजोर हुई।

बसों की आपूर्ति में देरी और 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना नहीं वसूला

रिपोर्ट में कहा गया कि बसों की आपूर्ति में देरी के कारण 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन DTC प्रशासन इस राशि की वसूली करने में असफल रहा। इसके अलावा, 2015-22 के दौरान DTC के बेड़े में पुरानी बसों की संख्या तेजी से बढ़ी। 2015-16 में जहां केवल 0.13% बसें ओवरएज (अधिवर्षीय) थीं, वहीं 2023 तक यह आंकड़ा 44.96% हो गया। इससे बसों के ब्रेकडाउन की घटनाएं बढ़ गईं और यात्री सुविधाओं पर नकारात्मक असर पड़ा।

किराया निर्धारण में स्वायत्तता की कमी और आय में गिरावट

CAG रिपोर्ट के अनुसार, 2009 के बाद से DTC के बस किराए में कोई वृद्धि नहीं हुई। किराया निर्धारण की स्वतंत्रता न होने के कारण निगम अपने परिचालन खर्च को पूरा नहीं कर सका। दिल्ली सरकार द्वारा लगातार सब्सिडी दिए जाने के बावजूद निगम घाटे से उबर नहीं पाया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि विज्ञापन अनुबंधों में देरी और डिपो की खाली जमीन का व्यावसायिक उपयोग न करने के कारण भी संभावित राजस्व का नुकसान हुआ।

तकनीकी परियोजनाओं की विफलता और सुरक्षा उपायों में कमी

रिपोर्ट के अनुसार, DTC की कई तकनीकी परियोजनाएं भी निष्प्रभावी साबित हुईं। 2017 में लागू की गई स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली (AFCS) 2020 से निष्क्रिय पड़ी है। 2021 में 52.45 करोड़ रुपये खर्च कर बसों में लगाए गए CCTV कैमरे भी अब तक पूरी तरह से चालू नहीं हो सके। इन तकनीकी खामियों के कारण यात्रियों की सुरक्षा पर भी असर पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया कि भारी बजट खर्च के बावजूद इन योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं हुआ।

प्रशासनिक विफलताएं और स्टाफ प्रबंधन में गड़बड़ी

CAG रिपोर्ट में DTC के प्रशासनिक ढांचे में कई खामियों को उजागर किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों की सही संख्या तय करने की कोई नीति नहीं बनाई गई, जिससे चालक, तकनीशियन और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भारी कमी रही। वहीं, कंडक्टरों की संख्या आवश्यकता से अधिक पाई गई। इससे बस संचालन प्रभावित हुआ और परिचालन लागत में अनावश्यक वृद्धि हुई। इसके अलावा, विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण कई महत्वपूर्ण फैसले समय पर नहीं लिए गए। रिपोर्ट के अनुसार, DTC के वित्तीय संकट से उबरने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई। निगम के निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी रही, जिससे वित्तीय स्थिरता प्रभावित हुई। लंबित देनदारियों की वसूली नहीं की गई, जिससे निगम की आय में और गिरावट आई। रिपोर्ट में कहा गया कि यदि निगम को घाटे से उबारना है, तो उसे जल्द से जल्द एक प्रभावी वित्तीय योजना बनानी होगी और परिचालन में सुधार लाना होगा।

विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता की प्रतिक्रिया

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने CAG रिपोर्ट के निष्कर्षों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में Public Accounts Committee या Committee on Govt Undertakings (COGU) ने कोई रिपोर्ट पेश नहीं की। प्रशासनिक विभागों ने भी CAG रिपोर्ट के विभिन्न मुद्दों पर अपने Action Taken Notes (ATN) प्रस्तुत नहीं किए। यह रिपोर्ट पेश होने के तीन महीने के भीतर विधानसभा में आनी चाहिए थी। विधानसभा अध्यक्ष ने इस लापरवाही को गंभीर प्रशासनिक विफलता बताया और रिपोर्ट पर विस्तृत चर्चा की मांग की।

CAG की इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि AAP सरकार के दौरान DTC का संचालन गंभीर वित्तीय और प्रबंधकीय चुनौतियों से जूझता रहा। शराब घोटाले और मोहल्ला क्लीनिक की अनियमितताओं के बाद यह तीसरी बड़ी रिपोर्ट है, जो दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। रिपोर्ट पेश होने के बाद सदन में तीखी बहस होने की संभावना है।


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