केंद्रीय भारी उद्योग राज्य मंत्री ने EPCH के हस्तशिल्प एक्सपो नरसापुर-2025 का किया उद्घाटन

नरसापुर, आंध्र प्रदेश- 22 मार्च 2025: हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) द्वारा 21 से 25 मार्च 2025 तक आंध्र प्रदेश के नरसापुर स्थित अंतरराष्ट्रीय लेस ट्रेड सेंटर (आईएलटीसी) में आयोजित हस्तशिल्प एक्सपो 2025 का उद्घाटन आज भारत सरकार के केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने किया।

उद्घाटन समारोह में जल संसाधन विकास मंत्री और पालाकोल से विधायक डॉ. निम्माला राम नायडू; बोम्मिदी नायकर, विधायक, नरसापुरम; पितानी सत्यनारायण, विधायक, अचंता; कोथापल्ली सुब्बा रायडू, अध्यक्ष, ए.पी. राज्य कापू निगम के साथ ही ईपीसीएच के सीओए सदस्यों के एन तुलसी राव, रवि के पासी; ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक  आर के वर्मा, आंध्र प्रदेश के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और सदस्यों की गरिमामयी मौजूदगी देखी गई।

इस अवसर पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए भारत सरकार के केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात राज्य मंत्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने कहा, “मैं टीम ईपीसीएच और नरसापुर के स्टेकहोल्डर्स को इस अभूतपूर्व मंच को बनाने के लिए बधाई देता हूं, जहां पूरे देश से आगंतुक आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह शो खास तौर पर शिल्प और विरासत से समृद्ध कारीगरों के लिए उनके उत्पादों को प्रदर्शित करने और लोगों से जुड़ने का एक शानदार अवसर है। इस दौरान उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था में हस्तशिल्प उद्योग के महत्व पर और खास तौर पर ग्रामीण रोजगार सृजन एवं निर्यात क्षमता में इसके महत्व पर बल डाला।”

मंत्री महोदय ने विशिष्ट व्यक्तियों के साथ आईएलटीसी, नरसापुर में एक अत्याधुनिक डाइंग यूनिट का भी उद्घाटन किया। यह आधुनिक डाइंग यूनिट पर्यावरण के अनुकूल उन्नत तकनीक से सुसज्जित है, जो पारंपरिक डाइंग तकनीकों की समृद्ध विरासत को संरक्षित तो करता ही है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि पर्यावरण पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़े।

जल संसाधन विकास मंत्री और पालाकोल से विधायक डॉ. निम्मला रामा नायडू ने कहा, “आंध्र प्रदेश के नरसापुर में आयोजित यह गौरवपूर्ण कार्यक्रम भारतीय हस्तशिल्प की समृद्ध विरासत का जश्न मना रहा है, यह कारीगरों और उद्योग के स्टेकहोल्डर्स को देश के बेहतरीन हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने के लिए एक अद्वितीय मंच प्रदान कर रहा है। हस्तशिल्प केवल उत्पाद नहीं हैं; वे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पीढ़ियों से चले आ रहे कौशल का प्रतिनिधित्व करते हैं।”

ईपीसीएच के अध्यक्ष दिलीप बैद ने कहा, “नरसापुर हस्तशिल्प एक्सपो – 2025 में प्रदर्शित उत्पाद अपने में अनूठे हैं, ये शिल्प कौशल, परंपरा और नवाचार के मिश्रण को बहुत खूबसूरती से दर्शाते हैं। यह खजाना न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, बल्कि इन्हें समकालीन वैश्विक ट्रेंड के अनुरूप भी डिजाइन किया गया है। यह आयोजन एक बहुप्रतीक्षित मेला सीरिज की शुरुआत है, जिसमें शिल्पकारों की रचनात्मकता को प्रदर्शित किया गया है, यहां वो अपने उत्कृष्ट शिल्प कौशल और अनूठे उत्पादों को दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं।”

ईपीसीएच महानिदेशक की भूमिका में मुख्य संरक्षक और आईईएमएल अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने बताया, “हस्तशिल्प एक्सपो- 2025 जैसे आधुनिक, दीर्घकालिक बिजनेस मॉडल में भारत की समृद्ध शिल्प परंपराओं को बहुत सहजता के साथ जोड़ा गया है, और इसे इसमें शामिल सभी स्टेकहोल्डर्स को लाभ पहुंचाने के लिए सोच-समझकर डिजाइन किया गया है। इससे पुरस्कार विजेता शिल्पकारों को जोड़ना यह सुनिश्चित करता है कि यह आयोजन प्रमाणिक, शिल्प कार्यों से समृद्ध है जो भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को खूबसूरती के साथ पेश करता है। इस मेले के आगंतुकों को यहां लकड़ी के शिल्प, हॉर्न एवं बोन क्राफ्ट्स, जरी एवं जरी शिल्प, हाथ से बनाए गए चमड़े के उत्पादों, कढ़ाई एवं क्रोशिए के शिल्प, आर्टमेटलवेयर आदि के विस्तृत रेंज की छानबीन करने का अवसर मिलेगा।”

ईपीसीएच के उपाध्यक्ष डॉ. नीरज विनोद खन्ना (Neeraj Vinod Khanna) ने कहा, “यह एक्सपो नरसापुर में हस्तशिल्प उद्योग के लिए एक नए युग की पहचान है, जो कारीगरों को पहचान बनाने और उनके बाजारों का विस्तार करने के लिए एक मजबूत मंच प्रदान करता है। हमारा लक्ष्य भारतीय हस्तशिल्प को उनकी पारंपरिक विशेषताओं को संरक्षित करते हुए वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाना है।”

उनके इस भावना को दोहराते हुए ईपीसीएच के उपाध्यक्ष सागर मेहता ने कहा, “अपनी समृद्ध विरासत, शिष्टता और पाक-कला के लिए मशहूर नरसापुर, लेस और क्रोशिए के उत्पादों के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में भी उभरा है।”

ईपीसीएच की प्रशासनिक समिति (सीओए) के सदस्य और नरसापुर के प्रमुख सदस्य निर्यातक के.एन. तुलसी राव ने कहा, “यह मेला अपने आयोजन के प्रत्येक दिन सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक आगंतुकों का स्वागत करेगा और यह एक बीटूसी आयोजन है। इसका उद्देश्य ऑन-द-स्पॉट बिक्री को प्रोत्साहन करना और खुदरा विक्रेताओं एवं कई अन्य पेशेवरों के अलावा वॉल्युम बायर्स को महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करना है। मेले के पांच दिनों के दौरान, मजेदार गतिविधियों, इंटरैक्टिक गेम्स और खुद से कर के सीखने के वर्कशॉप को समर्पित एक किड जोन की व्यवस्था भी होगी। इसके अलावा, मेले में विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ-साथ क्षेत्रीय खान पान सामग्रियों का विशाल रेंज भी मौजूद होगा जो आगंतुकों के लिए एक शानदार पाक अनुभव सुनिश्चित करेगा।

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने कहा, “ईपीसीएच नियमित रूप से व्यापार के लिए मार्केटिंग प्लेटफॉर्म तैयार करके क्षेत्रीय शिल्प को बढ़ावा देने का प्रयास करता रहा है, खास तौर पर सूक्ष्म और लघु उद्यमियों, कारीगरों और शिल्पकारों के लिए ताकि वे अपने विरासत शिल्प कौशल का प्रदर्शन कर सकें। इनके उद्यमों की जीवंत लाइनें भी शो में आने वाले आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।”

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद देश से हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के शिल्प समूहों में होम, लाइफस्टाइल, टेक्स्टाइल, फर्नीचर और फैशन जूलरी एवं एक्सेसरीज के उत्पादन में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने की एक नोडल संस्थान है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि वर्ष 2023-24 के दौरान हस्तशिल्प का कुल निर्यात 32,759 करोड़ रुपये (3,956 मिलियन अमेरिकी डॉलर) था।


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