न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ आदिश सी अग्रवाल ने सर्वोच्च न्यायालय के कदम को बताया स्वागत योग्य

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (23 मार्च 2025): दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में हाल ही में हुई आगजनी के मामले में अब वरिष्ठ अधिवक्ता एवं ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आदिश सी अग्रवाल का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय कमेटी की सराहना की है।

डॉ. आदिश सी अग्रवाल ने एक वीडियो जारी कर कहा कि इस घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और कॉलेजियम के अन्य सदस्यों के विवेकपूर्ण फैसले की सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना एक स्वागत योग्य कदम है, जिससे इस मामले से जुड़े सभी संदेहों का निवारण हो सकेगा।

साजिश की आशंका जताई

अपने बयान में डॉ. अग्रवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि जिस कमरे में आग लगी थी, वह केवल एक स्टोर रूम था, जहां बेकार का सामान रखा जाता था। उन्होंने कहा कि घटना के समय न तो न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य वहां मौजूद था। ऐसे में यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह पूरी घटना न्यायमूर्ति वर्मा को बदनाम करने की साजिश हो सकती है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरण की मांग

डॉ. अग्रवाल ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण का जो आदेश दिया गया है, उसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए। इससे वे अपने न्यायिक कार्यों में पुनः सक्रिय हो सकेंगे और साथ ही इस मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सकेगी।

क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि बीते दिनों न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी। अग्निशमन विभाग ने तत्काल पहुंचकर आग पर काबू पा लिया, लेकिन इस दौरान कुछ फुटेज सामने आए, जिसमें बड़ी मात्रा में नोटों की गड्डियां दिखाई दे रही थीं। फुटेज सामने आने के बाद यह सवाल उठने लगे कि इतनी बड़ी रकम वहां कहां से आई। मामले के तूल पकड़ने के बाद उच्चतम न्यायालय ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है, जो इस पूरे मामले की गहन जांच कर रही है।

अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि यह घटना महज एक दुर्घटना थी या फिर किसी बड़ी साजिश का हिस्सा।।


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