नई दिल्ली (22 मार्च 2025): दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का मतदान शुक्रवार को संपन्न हुआ और मतगणना जारी है। इस बीच हाई कोर्ट के कुछ वरिष्ठ और युवा अधिवक्ताओं ने टेन न्यूज़ से खास बातचीत में अपनी प्रतिक्रिया दी और ताजा रुझानों पर प्रकाश डाला। अधिवक्ताओं ने युवा वकीलों के लिए वर्किंग स्पेस, एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल, और इंटर्नशिप व्यवस्था सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी मांगें रखीं।
मतगणना के ताजा रुझान
एडवोकेट अशीष व्यास ने बताया कि मतगणना प्रक्रिया अभी धीमी चल रही है, लेकिन सुचारू रूप से जारी है। अब तक 21 राउंड की गिनती पूरी हो चुकी है, और ताजा रुझानों के अनुसार
हरी हरण अध्यक्ष पद पर 50 वोटों की बढ़त बनाए हुए हैं।
सचिन पुरी वाइस प्रेसिडेंट पद पर 800 वोटों से आगे चल रहे हैं।
विक्रम पवार सचिव पद के लिए लीड कर रहे हैं।
कुनाल मल्होत्रा संयुक्त सचिव पद पर आगे हैं।
कनीका ट्रेजरर पद के लिए, जो महिलाओं के लिए आरक्षित है, बढ़त बनाए हुए हैं।
युवा अधिवक्ताओं की प्रमुख मांगें
एडवोकेट अनिल ने बताया कि युवा अधिवक्ताओं की सबसे बड़ी समस्या चैंबर और वर्किंग स्पेस की कमी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले नए अधिवक्ताओं को कोई वर्क स्टेशन उपलब्ध नहीं है, जिससे उन्हें अपने केस पर काम करने और क्लाइंट से मिलने में कठिनाई होती है। उन्होंने मांग की कि कोर्ट में स्पेशल चैंबर या कम्युनिटी वर्किंग स्पेस की सुविधा दी जाए, जिससे युवा वकील बिना किसी परेशानी के अपने कानूनी कार्य कर सकें।
एडवोकेट राहुल यादव ने इस समस्या को और विस्तार से बताते हुए कहा कि जूनियर अधिवक्ताओं के लिए चैंबर उपलब्ध कराए जाएं, और सीनियर अधिवक्ता उन्हें बेहतर इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करें। उन्होंने हाई कोर्ट की कैंटीन में बढ़ती भीड़ पर भी चिंता जताई और इसके लिए समाधान निकालने की मांग की।
एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल और सुरक्षा की मांग
एडवोकेट राहुल यादव ने यह भी कहा कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल पारित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देशभर में वकीलों पर हो रहे हमलों को देखते हुए सरकार को एक सख्त कानून बनाना चाहिए, जिससे अधिवक्ताओं को सुरक्षा दी जा सके।
हालांकि, एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल का कुछ वर्गों ने विरोध भी किया था। एडवोकेट्स का कहना था कि बिल में कुछ प्रावधान ऐसे थे जो वकील समुदाय के लिए नुकसानदायक हो सकते थे, जैसे कि यदि किसी वकील पर कोई केस दर्ज होता है, तो उसे प्रैक्टिस करने से रोका जा सकता था। इसके अलावा, यदि कोई क्लाइंट वकील की सेवाओं से असंतुष्ट होता, तो वह उनकी फीस वापस लेने की मांग कर सकता था। अधिवक्ताओं ने इन प्रावधानों को अनुचित और विवादास्पद बताते हुए इसका विरोध किया, जिसके कारण इसे फिलहाल होल्ड पर रखा गया है।
नई सरकार से उम्मीदें
दिल्ली में हाल ही में नई सरकार बनने के बाद, अधिवक्ता समुदाय को उम्मीद है कि सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान देगी। अधिवक्ताओं ने कहा कि वे सरकार के आगामी फैसलों का इंतजार कर रहे हैं और आशा करते हैं कि उनके हितों की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का यह चुनाव अधिवक्ताओं के कई महत्वपूर्ण मुद्दों को सामने लाया है। मतगणना जारी है और जल्द ही अंतिम परिणाम घोषित किए जाएंगे। इस बीच, युवा और वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सरकार से बेहतर कार्यस्थल, सुरक्षा कानून, और इंटर्नशिप सुविधाओं पर ठोस कदम उठाने की मांग की है।।
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