संसद में अब भाषाओं की बाध्यता खत्म, AI करेगा अनुवाद

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (19 मार्च 2025): भारत की संसद में भाषा की विविधता अब किसी बाधा का कारण नहीं बनेगी। संसद में कृत्रिम मेधा (एआई) आधारित अनुवाद प्रणाली लागू की जा रही है, जिसे “संसद भाषिणी” नाम दिया गया है। यह प्रणाली सांसदों और जनता को उनकी पसंदीदा भाषा में संसदीय कार्यवाही को समझने में मदद करेगी। इस पहल को औपचारिक रूप देने के लिए मंगलवार को लोकसभा सचिवालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद रहे।

क्या करेगा ‘संसद भाषिणी’?

यह एआई-आधारित तकनीक संसद में होने वाली चर्चाओं, ऐतिहासिक दस्तावेजों, समिति बैठकों और अन्य संसदीय सामग्री का तेजी से और सटीक अनुवाद करेगी। इसके जरिए सांसद अपनी मातृभाषा में संसद की कार्यवाही को समझ सकेंगे, जिससे बहसों और चर्चाओं में अधिक प्रभावी भागीदारी संभव होगी। इसके अलावा, संसद की आधिकारिक वेबसाइट पर एक एआई-चैटबॉट भी जोड़ा जाएगा, जो नागरिकों को विभिन्न भाषाओं में संसदीय जानकारी प्रदान करेगा। इससे आम जनता के लिए संसदीय प्रक्रियाओं को समझना और लोकतांत्रिक संवाद में भाग लेना आसान होगा।

यह तकनीक भारतीय लोकतंत्र को अधिक समावेशी बनाएगी और देश की भाषाई विविधता को सम्मान देगी। संसद में नई तकनीक के उपयोग से कार्यक्षमता बढ़ेगी और यह एक डिजिटल और बहुभाषी लोकतंत्र की ओर बड़ा कदम साबित होगा।


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