राष्ट्रीय क्वांटम मिशन: भारत की तकनीकी क्रांति की ओर एक बड़ा कदम

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (18 मार्च 2025): भारत वैश्विक तकनीकी दौड़ में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (NQM) के माध्यम से एक महत्वपूर्ण छलांग लगाने के लिए तैयार है। यह मिशन केवल एक वैज्ञानिक पहल नहीं, बल्कि भारत को क्वांटम प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है। 19 अप्रैल 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत इस मिशन की अवधि 2023-24 से 2030-31 तक तय की गई है, जिसमें कुल ₹6,003.65 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य क्वांटम कंप्यूटिंग, संचार, क्रिप्टोग्राफी और अन्य उन्नत तकनीकों के विकास के माध्यम से भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाना और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे ले जाना है।

क्वांटम कंप्यूटर पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में अधिक शक्तिशाली होते हैं क्योंकि वे क्यूबिट नामक इकाइयों का उपयोग करते हैं, जो एक ही समय में 0 और 1 दोनों स्थितियों में रह सकते हैं। इस तकनीक के विकास से सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक प्रौद्योगिकियों के आधार पर 20-50 क्यूबिट के क्वांटम कंप्यूटर (3 वर्षों में), 50-100 क्यूबिट (5 वर्षों में) और 50-1000 क्यूबिट (8 वर्षों में) विकसित किए जाएंगे। इसके साथ ही, उपग्रह-आधारित क्वांटम संचार को 2000 किलोमीटर की दूरी तक बढ़ाया जाएगा, जिससे सुरक्षित संचार प्रणाली को मजबूती मिलेगी। इंटर-सिटी क्वांटम कुंजी वितरण (QKD) प्रणाली का विकास कर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के माध्यम से सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क विकसित किया जाएगा, जो भविष्य में क्वांटम इंटरनेट की नींव रखेगा।

मिशन के तहत उन्नत क्वांटम सेंसिंग तकनीकों का विकास किया जाएगा, जिसमें परमाणु घड़ियां, गुरुत्वाकर्षण सेंसर, मैग्नेटोमीटर और अन्य अत्यधिक संवेदनशील उपकरण शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, अगली पीढ़ी की क्वांटम सामग्री और उपकरण विकसित किए जाएंगे, जो सुपरकंडक्टर, उन्नत अर्धचालक संरचनाओं और टोपोलॉजिकल सामग्रियों पर आधारित होंगे। इस मिशन को सफल बनाने के लिए भारत के प्रमुख संस्थानों में चार थीमैटिक हब (T-Hub) स्थापित किए गए हैं, जिनमें भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु, IIT मद्रास, IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली शामिल हैं। ये हब नवाचार, कौशल विकास, उद्योग सहयोग और वैश्विक अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत भारत साइबर सुरक्षा को भी मजबूत करने के लिए पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) और क्वांटम-लचीले एन्क्रिप्शन तकनीकों पर काम कर रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), सोसाइटी फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एंड सिक्योरिटी (SETS), और टेलीमेटिक्स विकास केंद्र (C-DOT) जैसे संस्थान इस दिशा में अत्याधुनिक समाधानों पर कार्य कर रहे हैं। यह मिशन भारत की डिजिटल संरचना को सुरक्षित बनाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए आवश्यक उपाय कर रहा है।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ते हुए, यह मिशन स्वास्थ्य सेवा, संचार, वित्त, अंतरिक्ष अन्वेषण और दवा खोज जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखता है। साथ ही, यह डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी राष्ट्रीय पहलों को भी मजबूती देगा।

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन केवल वैज्ञानिक अनुसंधान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत को क्वांटम युग में वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने का एक सशक्त प्रयास है। तकनीकी नवाचार, वैश्विक सहयोग और आर्थिक विकास की दिशा में उठाया गया यह कदम भारत को वैज्ञानिक उत्कृष्टता की नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। क्वांटम प्रौद्योगिकियों में किए गए ये निवेश न केवल भारत के तकनीकी भविष्य को सुरक्षित करेंगे, बल्कि देश को वैज्ञानिक प्रगति की अग्रिम पंक्ति में खड़ा करेंगे।।


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