तिहाड़ जेल के पूर्व सुपरिटेंडेंट ने कर दिया बड़ा खुलासा, रोजाना एयर होस्टेस का आना-जाना!

टेन न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली (26 फरवरी 2025): तिहाड़ जेल के पूर्व सुपरिटेंडेंट सुनील गुप्ता ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के जेल में बिताए दिनों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। गुप्ता के अनुसार, जेल में रहते हुए सुब्रत रॉय को कई विशेष सुविधाएं दी गई थीं, जिनमें एयर होस्टेस का आना और शराब की बोतलों का मिलना शामिल था। उन्होंने दावा किया कि दिन में दो से तीन बार अलग-अलग एयर होस्टेस सुब्रत रॉय से मिलने आती थीं और घंटों उनके साथ समय बिताती थीं। यह भी कहा गया कि उनके सेल से शराब की बोतलें भी बरामद की गई थीं, जिससे साफ होता है कि जेल प्रशासन की मिलीभगत से यह सुविधाएं दी जा रही थीं।

कोर्ट के आदेश के बाद मिली थी खास सुविधाएं

सुनील गुप्ता ने बताया कि कोर्ट के आदेश के तहत सुब्रत रॉय को जेल के अंदर एक कोर्ट कॉम्प्लेक्स में रहने की अनुमति दी गई थी, क्योंकि उन्होंने अपनी संपत्तियों को बेचकर निवेशकों का पैसा लौटाने की बात कही थी। उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विदेशी व्यापारियों से बात करने की भी इजाजत मिली थी। इसी दौरान, उन्हें एक महिला निजी सचिव रखने की अनुमति दी गई, लेकिन इसके अलावा रोजाना एयर होस्टेस उनसे मिलने आती थीं। गुप्ता ने कहा कि वे इस मुलाकातों का कारण नहीं जानते, लेकिन जो चाहें, वह सोच सकते हैं।सुनील गुप्ता ने दावा किया कि जब उन्होंने इस मामले को डीजी जेल के सामने उठाया तो इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। इसके बाद उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से संपर्क किया और जेल में चल रही इन अनियमितताओं की जानकारी दी। गुप्ता ने बताया कि केजरीवाल ने उनसे इस पूरी गतिविधि का वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद केजरीवाल ने सुझाव दिया कि जेल में छापेमारी की जाए और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो जेल अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

जेल प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप

गुप्ता के अनुसार, जब उन्होंने जेल मंत्री की मौजूदगी में इस मामले को उठाया, तो उन्हें बताया गया कि यदि अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई की गई, तो वह यह कहेगा कि वह महानिदेशक के निर्देशों का पालन कर रहा था। उन्होंने कहा कि जेल प्रशासन पूरी तरह से सुब्रत रॉय के सामने झुक गया था और उन्हें सभी तरह की सुविधाएं दी जा रही थीं। गुप्ता ने बताया कि जब उन्होंने यह मामला उठाया, तो उन्हें विभिन्न तरीकों से परेशान किया जाने लगा। डीजी जेल ने उनसे कहा कि मुख्यमंत्री से मिलना उनके लिए सही नहीं था और उन्होंने ‘गरीब आदमी’ को फंसाने की कोशिश की थी। हालांकि, इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई और सुब्रत रॉय जेल में आराम से अपनी विशेष सुविधाओं का आनंद लेते रहे।

रिटायरमेंट के समय मिली चार्जशीट

सुनील गुप्ता ने कहा कि जेल में हो रही गड़बड़ियों को उजागर करने के कारण उन्हें कई तरह से परेशान किया गया। जब वे रिटायर होने वाले थे, तब 10 साल पुराने एक मामले में उन्हें 15 पेज की चार्जशीट थमा दी गई। यह केवल उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए किया गया था। हालांकि, 4-5 साल बाद उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया और सरकार ने चार्जशीट वापस ले ली, लेकिन इस दौरान उन्हें भारी तनाव झेलना पड़ा।

सुनील गुप्ता के इन खुलासों ने तिहाड़ जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जेल के अंदर वीआईपी कैदियों को दी जाने वाली विशेष सुविधाओं और अधिकारियों की मिलीभगत की यह कहानी दर्शाती है कि किस तरह न्यायिक व्यवस्था के आदेशों का भी उल्लंघन किया जाता है। इस मामले की विस्तृत जांच होनी चाहिए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इस पूरी प्रक्रिया में कौन-कौन लोग शामिल थे और ऐसे वीआईपी ट्रीटमेंट को रोका जा सके।।


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