ITS डेंटल काॅलेज, ग्रेटर नोएडा में ’’बेसिक लाइफ सपोर्ट’’ पर दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
आई0 टी0 एस0 डेंटल काॅलेज, ग्रेटर नोएडा में जीवन सुरक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर ’’बेसिक लाइफ सपोर्ट’’ का आयोजन दिनांक 12 और 13 फरवरी, 2025 को किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को आपातकालीन स्थितियों में जीवन रक्षा कौशल प्रदान करना था। इस कार्यशाला में संस्थान के सभी शिक्षकों एवं छात्रों ने भाग लिया।
बीएलएस बुनियादी चिकित्सा सहायता है, जो लोगों का अस्पताल पहुंचने से पहले या उन परिस्थितियों में दी जाती है, जहां चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नही होती है।
दैनिक जीवन में रोड पर चलते हुए, माॅल में घूमते हुए या फिर बाजार के भीड भाड वाले इलाके में हम देखते हैं कि कभी किसी प्रकार की दुर्घटना हो जाने पर ’’जीवन सुरक्षा’’ सम्बंधी शुरूवाती उपचार की तुरन्त जरूरत पडती है। तुरन्त उपचार न मिल पाने से कभी – कभी मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है। जीवन सुरक्षा सम्बंधी जानकारी से कई मरीजों का तुरन्त ही प्राथमिक इलाज किया जा सकता है।
प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली के सर्जिकल आॅन्कोलाॅजी एंड क्लिनिकल लीड के डायरेक्टर डाॅ0 अंशुमन कुमार, ने कहा कि हर चिकित्सक के लिए ’’जीवन सुरक्षा’’ से सम्बंधित अचानक प्रयोग में आने वाली मूलभूत जानकारी जरूर होनी चाहिए। डाॅ0 कुमार ने छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों को चलचित्र, थ्योरी एवं अन्य प्रायोगिक तरीकों के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथी ए0ओ0एम0एस0आई0, दिल्ली एन0सी0आर0 के अध्यक्ष डाॅ0 गगन खरे ने कहा कि बेसिक लाइफ सपोर्ट की जानकारी सभी शिक्षकों एवं छात्रों को होनी चाहिए, क्योंकि बेसिक लाइफ सपोर्ट की जरूरत कभी-कभी दैनिक जीवन में भी पड़ सकती है।
इस अवसर पर संस्थान के प्रधानाचार्य डाॅ0 सचित आनंद अरोरा ने बताया कि प्रायः आम जिंदगी में कभी – कभी अचानक आपदायें जैसे – सड़क दुर्घटना, रेल दुर्घटना, आग लगना, भूकम्प आना आदि समस्याओं का सामना करना पडता है।
’’बेसिक लाइफ सपोर्ट’’ के अंतर्गत ऐसी परिस्थितियों से निपटने का चिकित्सकीय पद्धति पर आधारित तरीका सिखाया जाता है। दैनिक जीवन में हर कदम पर इन विद्याओं की जरूरत पडती है।
ऐसा होने पर मौके पर घायल को सीधा लिटा दें। उसकी नब्ज देखें, गर्दन की नाडी, नाक पर हाथ लगाकर देखें कि उसकी सांसे चल रही हैं। इसके बाद उसकी छाती खत्म होने व पेट शुरू होने वाली जगह पर अपने हाथ की हथेली पर दूसरे हाथ को रखकर उसे प्रेस करें। एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें। इसके बाद उसे अस्पताल पहुंचा दें।
संस्थान के उपाध्यक्ष सोहिल चडढा ने प्रशिक्षण शिविर में उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
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