विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के ‘अभिव्यक्ति’ कार्यक्रम में भाषा शिक्षण में लयात्मक नवाचार पर जोर

टेन न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली (21 जनवरी 2025): विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस द्वारा आयोजित ‘अभिव्यक्ति’ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हिंदी भाषा के प्रख्यात विद्वान डॉ. विनोद ‘प्रसून’ ने भाषा विज्ञान के शिक्षण में सहज ध्वनि बोध के लिए लयात्मक नवाचार और अवधारणा गीतों के सृजन की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में अमेरिका, उज़्बेकिस्तान, भारत, बुल्गारिया, बहरीन और तंजानिया से जुड़े वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम की शुरुआत विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने मंचासीन विद्वानों का स्वागत करते हुए सचिवालय के उद्देश्यों से अवगत कराया। अमेरिका से गणित शिक्षिका नीना सरीन ने स्कूल के बाद हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपने प्रयासों को साझा किया, वहीं उनकी पाँचवीं कक्षा की छात्रा अनुजा नेरे ने आत्मविश्वास से भरी मधुबनी कला पर प्रस्तुति दी। उज़्बेकिस्तान से डॉ. सिरोजिद्दीन नुर्वातोव और हिंदी अध्यापिका मख़्फ़ुज़ा मिर्ज़ामुरोदोवा ने अपने देश में हिंदी के प्रचार-प्रसार पर प्रकाश डाला। भारत से डॉ. आरती पाठक ने भाषा विज्ञान के शिक्षण में अपनाए गए नवाचारों की जानकारी दी, जबकि उनकी छात्रा निक्की ने हिंदी भाषा के प्रति अपने संघर्ष और अनुभव साझा किए।

कार्यक्रम में बहरीन से हिंदी प्रचारक ममता तिवारी की सहभागिता उल्लेखनीय रही। खाड़ी हिंदी परिषद के संस्थापक श्री राम मणि तिवारी ने आम बोलचाल में हिंदी के सही रूप को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. विनोद ‘प्रसून’ ने डॉ. माधुरी रामधारी के कुशल नेतृत्व में विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा हिंदी भाषा के वैश्विक प्रचार-प्रसार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विदेशों में हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए वर्णमाला को मधुर गीतों की तरह सिखाया जाना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने अपने प्रसिद्ध हिंदी गीत ‘सरस, सरल मनोहारी है, अपनी हिंदी प्यारी है’ की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में हिंदीमय वातावरण बनाया।

कार्यक्रम का संचालन विश्व हिंदी सचिवालय के वरिष्ठ सहायक संपादक प्रकाशवीर जी ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन उप महासचिव डॉ. शुभंकर मिश्र ने प्रस्तुत किया।

इस आयोजन ने वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में अपनी छाप छोड़ी।


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