“जैन परंपरा की तपःशक्ति ने भारत की आत्मा को नई दिशा दी”: सीएम योगी | भगवान पार्श्वनाथ गुफा मंदिर का उद्घाटन

टेन न्यूज नेटवर्क

GHAZIABAD News (27/11/2025): गाजियाबाद के मुरादनगर में आज आध्यात्मिक आस्था, तप परंपरा और सांस्कृतिक गौरव का विशिष्ट संगम बन गया, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान पार्श्वनाथ के भव्य गुफा मंदिर का उद्‌घाटन किया। जैन समाज द्वारा आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव के बीच निर्मित यह भव्य मंदिर केवल धार्मिक संरचना नहीं, बल्कि संपूर्ण क्षेत्र के लिए प्रेरणा, सद्भाव और नैतिक चेतना का नया केंद्र बनता दिखाई दिया। विशाल सभा के मध्य संत प्रसून सागर महाराज मुख्य आसंदी पर विराजमान थे, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए उनके समीप विशेष कुर्सी की व्यवस्था की गई, जिसने न केवल कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई, बल्कि धार्मिक मर्यादा और प्रशासनिक सम्मान के समन्वय का दुर्लभ दृश्य भी प्रस्तुत किया।

गुफा मंदिर के लोकार्पण को अपार श्रद्धा के साथ देखा गया, विशेषकर इसलिए क्योंकि यह केवल 100 दिनों की अवधि में पूर्ण हुआ है। आचार्य प्रसून सागर महाराज और मुनि पीयूष सागर के निर्देशन में 26 से 30 नवंबर तक आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव के मध्य तैयार हुआ यह मंदिर आध्यात्मिक समर्पण का जीवंत प्रतीक है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में इसे समाज सेवा, आध्यात्मिक उत्थान और मानव मूल्य आधारित जीवन शैली की दिशा में जैन परंपरा के अमूल्य योगदान का विस्तार बताया।

समारोह का केंद्र आचार्य प्रसून सागर महाराज का व्यक्तित्व और उनकी अद्भुत तप साधना रही। उन्होंने अपने संबोधन में समाज को यह संदेश दिया कि संयम, करुणा और सकारात्मक सोच ही जीवन की ऊँचाइयों का वास्तविक मार्ग है। उनके तप का इतिहास स्वयं में चमत्कारिक है—संत महाराज ने 557 दिनों तक अखंड मौन और एकांतवास का पालन किया, जिसमें 496 दिन निर्जल उपवास रहा। उन्होंने मंच से अपनी साधना का वर्णन करते हुए बताया कि पिछले 37 वर्षों से उन्होंने स्वयं स्नान नहीं किया, प्रतिदिन केवल एक बार भोजन करते हैं, पाँच वर्षों से न गेहूं का सेवन किया और न ही किसी प्रकार का ड्राई फ्रूट ग्रहण किया, और उनकी दिनचर्या में प्रतिदिन 25 से 30 किलोमीटर पैदल चलना शामिल है। उन्होंने ‘अजय’ नाम के एक बालक का उल्लेख करते हुए कहा कि उसने उन्हें सिंह की तरह निर्भय होकर जीवन जीने की प्रेरणा दी।

समारोह में प्रसून महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस तरह की तपस्या और अनुशासन वे अपने जीवन में धारण करते हैं, वह किसी योगी की साधना से कम नहीं। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ एक समय भोजन कर दिन के शेष 23 घंटे समाज और राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर देते हैं। महाराज ने यह भी कहा कि योगी सरकार की व्यवस्था और दृष्टि ने महाकुंभ के दौरान विश्व को यह दिखाया कि आस्था और प्रशासन मिलकर कितने उत्कृष्ट परिणाम दे सकते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वर्षों से प्रचलित यह मिथक कि ‘जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है वह सत्ता में वापस नहीं आता’, उसे योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्य, संकल्प और जनसेवा के बल पर पूरी तरह समाप्त कर दिया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने भावपूर्ण संबोधन में कहा कि, जैन परंपरा भारत की आध्यात्मिक आत्मा है और इसके मूल्य केवल किसी समुदाय के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता के उत्थान के लिए आवश्यक हैं। जैन तीर्थंकरों ने अहिंसा, सत्य, तप, करुणा और आत्मसंयम का मार्ग दिखाया है और यदि दुनिया को सही दिशा चाहिए तो उसे भारत की इस अध्यात्म परंपरा की शरण में आना ही होगा। योगी ने उत्तर प्रदेश के जैन इतिहास का उल्लेख करते हुए बताया कि जैन परंपरा के अनेक महत्वपूर्ण पड़ाव इसी पावन भूभाग से जुड़े हैं—श्रावस्ती में भगवान संभवनाथ का जन्म, वैशाली में महावीर का अवतरण और कुशीनगर के पावागढ़ (फाजिलनगर) में उनका महापरिनिर्वाण। उन्होंने घोषणा की कि यूपी सरकार भगवान महावीर के महापरिनिर्वाण स्थल फाजिलनगर का नाम ‘पावानगरी’ करने की प्रक्रिया आगे बढ़ा रही है, ताकि इस पवित्र स्थान को उसके प्राचीन गौरव के अनुरूप सम्मान प्राप्त हो सके।

योगी आदित्यनाथ ने आचार्य प्रसून सागर महाराज की दिव्य साधना का उल्लेख करते हुए कहा कि 557 दिनों का कठोर व्रत, निर्जल उपवास और आत्मनियंत्रण किसी सामान्य मनुष्य की शक्ति से परे है। उन्होंने कहा कि यदि संकल्प दृढ़ हो तो मनुष्य असंभव को भी संभव कर सकता है—और यह सत्य उन्हें महाराज की साधना को देखकर अनुभव हुआ।

अपने संबोधन में योगी ने अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर और प्रयागराज महाकुंभ की व्यवस्थाओं को भारत की सांस्कृतिक चेतना के पुनरुत्थान का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि विश्व ने पहली बार देखा कि लाखों लोगों का एकत्र होना केवल आस्था का नहीं, बल्कि एक अनुशासित और वैज्ञानिक व्यवस्था का भी उदाहरण बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत विश्व को जो संदेश दे रहा है, वह उसके ऋषि-मुनि परंपरा की देन है—अहिंसा, सत्य, सह-अस्तित्व और प्रकृति के प्रति सम्मान पर आधारित जीवन।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए नौ संकल्पों—जल संरक्षण, स्वच्छता, वृक्षारोपण, प्रकृति आधारित खेती, स्वस्थ जीवनशैली और गरीबों के कल्याण—का उल्लेख करते हुए यह कहा कि इन आदर्शों को जैन समाज सदियों से अपने जीवन में उतारकर दुनिया के सामने साकार उदाहरण प्रस्तुत करता आया है।

समारोह के अंत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जैन संतों, आयोजन समिति, समाज के वरिष्ठ जनों और उपस्थित श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पंचकल्याणक महोत्सव केवल जैन समाज का पर्व नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपरा का उत्सव है—एक ऐसा उत्सव जो मानवता, करुणा और अध्यात्म के नए अध्याय लिखने की प्रेरणा देता है।


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